गुरु बिन ज्ञान न होवे कोटि जतन कीजे...धूमधाम से मनाई गई गुरुपूर्णिमा
punjabkesari.in Monday, Jul 22, 2024 - 02:21 PM (IST)
गुड़गांव, (ब्यूरो): गुरु बिन ज्ञान न होत है, गुरु बिन दिशा अजान, गुरु बिन इन्द्रिय न सधे, गुरु बिन बढ़े न शान। गुरु मन में बैठत सदा, गुरु है भ्रम का काल, गुरु अवगुण को मेटता, मिटें सभी भ्रमजाल। कुछ इन्ही पंक्तियों के साथ प्रज्ञा योगशाला में गुरु पूर्णिमा का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर योगशाला के योगियों ने अपने योग गुरु का फूल माला पहनाकर स्वागत किया और आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान योगशाला में भजन कीर्तन का भी आयोजन किया गया। योग गुरु गोपाल के मुताबिक, कार्यक्रम में योगशाला में आने वाले सभी योगियों ने भाग लिया और योगशाला के अपने अपने अनुभवों को एक दूसरे के साथ सांझा किया।
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योग गुरु गोपाल और नेहा शर्मा ने बताया कि आदिगुरु परमेश्वर शिव ने दक्षिणामूर्ति रूप में समस्त ऋषि मुनियों को शिवज्ञान प्रदान किया था, इसकी स्मृति में गुरु पूर्णिमा महापर्व मनाया जाता है। यह उन सभी गुरुजनों को समर्पित परंपरा है, जो अपने शिष्यों को निस्वार्थ रुप से शिक्षा देते हैं। मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा वाले दिन वेदव्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन व्यासजी का पूजन किया जाता है। वेदव्यास भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं।
उन्होंने बताया कि गुरु शब्द का संस्कृत में अर्थ होता है - अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना। गुरु किसी व्यक्ति विशेष को नहीं कहते, अपितु गुरु तत्त्व है, गुरु ज्ञान है, ज्योतिपुंज है, जो सम्पूर्ण चराचर जगत में व्याप्त है। कहा जाता है कि किसी व्यक्ति को चिंतामणि मिल जाए तो स्वर्ग के सभी सुख मिल जाते हैं, पर यदि गुरु तत्व प्राप्त हो जाए तो उसे वैकुंठ प्राप्त हो जाता है।
योग गुरु का कहना है कि गुरु के बिना कोई भवसागर नहीं तर सकता, चाहे वह ब्रह्मा जी और शंकर जी के समान ही क्यों न हो। जिस ज्ञान की प्राप्ति के बाद मोह उत्पन्न न हो, दुखों का शमन हो जाए तथा परब्रह्म अर्थात स्वयं के स्वरूप की अनुभूति हो जाए, ऐसा ज्ञान गुरु कृपा से ही प्राप्त हो सकता है। योग गुरु का कहना है कि प्रत्येक क्षेत्र में व्यक्ति का कोई न कोई गुरु अवश्य होता है, उनका सम्मान किया जाना चाहिए।