जन सरोकार के साथ सरकारी खर्चों पर नजर रखना भी विधायकों की जिम्मेदारी : ज्ञानचंद गुप्ता

punjabkesari.in Wednesday, Dec 14, 2022 - 08:09 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): देश की राजधानी नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में बुधवार को आयोजित पीआरएस के वार्षिक सम्मेलन में हरियाणा में हुए विधायी सुधार चर्चा में रहे। इस सम्मेलन में कई राज्य विधान मंडलों के पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया। सम्मेलन का विषय विधानमंडलों का सशक्तिकरण रहा। इस दौरान हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी कहीं ज्यादा बढ़ गई है। 

 

उन्होंने कहा कि भारत के संविधान निर्माताओं ने आज से 75 वर्ष पूर्व ही जनप्रतिनिधियों के महत्व को समझ लिया था। यही कारण है कि संविधान ने जनप्रतिनिधियों की सामूहिकता से बने विधानमंडल को सर्वोच्च शक्तियां प्रदान की हैं।  आज जनता जागरूकता और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भूमिका ही लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रभावी बना रही है। जनप्रतिनिधियों को अपने निर्वाचन क्षेत्र में तो सक्रिय रहना ही होता, इसके साथ-साथ विधायी कामकाज उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। राज्य में बनने वाले विधेयकों का गहराई से अध्ययन करना, उन पर चर्चा कर पारित करना बतौर विधायक उनका दायित्व है। वे सुशासन सुनिश्चित करने के लिए सरकार के कामकाज पर नजर रखते हैं और बजट के जरिए सार्वजनिक संसाधनों के प्रभावी आबंटन को सुनिश्चित करते हैं।

 

उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था के कारण ही देश ने 75 वर्ष में अभूतपूर्व तरक्की की है। इस विकास को हमें दलगत दृष्टिकोण से ऊपर उठकर कर देखना चाहिए।  गुप्ता ने इस दौरान हरियाणा विधान सभा में गत वर्षों में हुए विधायी सुधारों का ब्योरा भी पेश किया। उन्होंने बताया कि यहां आदर्श विधायी परंपरा की शुरुआत करते हुए लोक सभा की तर्ज पर लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष विपक्षी दल के विधायक को मनोनीत किया गया है। सदन के विचार के लिए आने वाले प्रत्येक विधेयक पर गंभीरता से विचार विमर्श की परंपरा विकसित की। इसके लिए विधेयक के पेश होने से कम से कम 5 दिन पूर्व संबंधित प्रारूप को सदस्यों को उपलब्ध करवा दिया जाता है।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल भारत की योजना के अनुरूप संसदीय कार्य मंत्रालय की नेवा (नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन) परियोजना का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन हो चुका है। इससे हरियाणा विधान सभा को पेपरलेस किया जा सका है। उन्होंने कहा कि सदन में विधायी कामकाज को पारदर्शी और प्रभावी तरीके से किया जा रहा है। गत दो वर्षों में 4 विधेयक प्रवर समिति को भेजे गए हैं। इन विधायकों में हरियाणा खेलकूद विश्वविद्यालय विधेयक 2021, हरियाणा नगर पालिका (संशोधन) विधेयक 2022, हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2022 तथा हरियाणा पुलिस (संशोधन) विधेयक 2022 शामिल है। इसके साथ ही सत्र के अलावा भी विधायक सरकार से महीने में 3 प्रश्न भी विधान सभा के माध्यम से पूछ सकते हैं। इनका जवाब 21 दिन में दे दिया जाता है। इसमें लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को प्रोटोकॉल कमेटी के सम्मुख बुलाया जाता है। 

 

विधान सभा में शून्यकाल शुरू करना भी नया प्रयोग है। प्रश्नकाल के लिए ड्रा प्रणाली शुरू की गई है। बेस्ट लेजिस्लेटर अवार्ड भी देना शुरू किया है। इसमें एक लाख रुपये नकदी और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। विधायकों की सुविधा के लिए उन्हें गाड़ियों के लिए झंडियां प्रदान की गईं। विधान परिसर में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की तांबे से बनी 7 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है।  विधानसभा में हरियाणा की पहचान गीता संदेश के साथ भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के रथ का भित्ति-चित्र की स्थापना भी गई। संसद की तर्ज पर हरियाणा विधानसभा के जलपान गृह में विधायकों के लिए दोपहर के भोजन की व्यवस्था।

 

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Content Writer

Gourav Chouhan

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