हरियाणा में भेड़-बकरियों में फैल रही खतरनाक बीमारी, पशुपालक हो जाएं ALERT, नहीं तो...
punjabkesari.in Saturday, Oct 25, 2025 - 08:12 PM (IST)
हिसार (विनोद सैनी) : हरियाणा के कई जिलों में भेड़ और बकरियों में फुट रॉट यानी पैर सड़न नामक संक्रामक बीमारी फैल रही है। पशुओं में इस बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं। पशुओं में बढ़ते मामलों को देखते हुए लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) हिसार ने पशुपालकों के लिए महत्वपूर्ण सलाह जारी की है। विश्वविद्यालय के पशु जन-स्वास्थ्य एवं महामारी विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजेश खुराना ने बताया कि कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा के निर्देशन में विश्वविद्यालय की विशेषज्ञ टीमें लगातार फील्ड में सक्रिय हैं और प्रभावित पशुओं की जांच एवं उपचार कर रही हैं।
वैज्ञानिक ने पशुपालकों से की अपील
फुट रॉट बीमारी से संबंधित लुवास के वैज्ञानिक डॉ. रमेश ने पशुपालकों से अपील की है कि वे इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए स्वच्छता, जैव-सुरक्षा एवं आवश्यक सतर्कता बरतें। अधिक जानकारी एवं सहायता के लिए पशुपालन विश्वविद्यालय में संपर्क कर सकते हैं या निकटतम पशु चिकित्सालय में जाकर परामर्श ले सकते हैं।
पशुपालकों को सलाह
लुवास की ओर से पशुपालकों को सलाह दी गई है कि वे पशुओं के रहने के स्थान को साफ-सुथरा और सूखा रखें। नियमित रूप से फुट बाथ कराना अत्यंत आवश्यक है, जिसमें 10% जिंक सल्फेट, 4% फॉर्मेलिन या 0.5% लाल दवा के घोल से खुरों की सफाई की जानी चाहिए। संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें, खुरों की नियमित सफाई करें और घावों को मक्खियों से सुरक्षित रखें। बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत निकटतम पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
इन जिलों में 1100 से अधिक पशु संक्रमित
प्रदेश के कई जिलों में भेड़ और बकरियों में फुट रॉट (पैर सड़न) नामक संक्रामक बीमारी के लक्षण मिले हैं। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) की टीमों ने जांच के दौरान कई जिलों में इस बीमारी के केस दर्ज किए हैं। अब तक भिवानी, हिसार, फतेहाबाद और जींद जिलों में 1100 से अधिक पशु संक्रमित पाए गए हैं, जबकि डेढ़ महीने में करीब 150 की मौत हो चुकी है। खेतों और सार्वजनिक स्थलों में जलभराव और कीचड़ के कारण इस बीमारी के फैलने का खतरा और बढ़ गया है। भिवानी, हिसार, फतेहाबाद व जींद में मिले 1100 से ज्यादा पशु संक्रमित
विशेषज्ञ टीमें लगातार फील्ड में सक्रिय हैं: वैज्ञानिक
फुट रॉट बीमारी से संबंधित लुवास के वैज्ञानिक डॉ. रमेश बताया कि विशेषज्ञ टीमें लगातार फील्ड में सक्रिय हैं और प्रभावित पशुओं की जांच एवं उपचार कर रही हैं। उन्होंने बताया कि मौसम के कारण बना गीला और कीचड़युक्त हरियाणा और राजस्थान के सीमावर्ती इलाके सबसे अधिक प्रभावित यह बीमारी विशेष रूप से हिसार, भिवानी, जींद सहित राजस्थान के सीमावर्ती जिलों चूरू और हनुमानगढ़ में अधिक पाई गई है।
इस जीवाणुओं के होता है संक्रमण
बता दें हाल के मानसून मौसम के कारण बने गीले और कीचड़युक्त वातावरण में फुट रॉट बीमारी के तेजी से फैलने की आशंका बढ़ गई है। यह रोग मुख्यत डिकेलोबैक्टर नोडोसस एवं फ्यूजोबैक्टीरियम नेक्रोफोरम नामक जीवाणुओं के संक्रमण से होता है, जो पशुओं के खुरों को प्रभावित करता है। यदि समय पर इसका उपचार न किया जाए, तो इससे पशुओं में लंगड़ा पन, तेज दर्द और दूध और ऊन उत्पादन में भारी गिरावट हो सकती है। विश्वविद्यालय कोटा में पीपीआर, चिचड़ी जनित रोग और आंतरिक परजीवियों से होने वाले अन्य संक्रामक रोगों की भी पहचान कर रहीं हैं और पशुपालकों को समय पर रोकथाम एवं बचाव संबंधी जानकारी प्रदान की जा रही है।
फुट रॉट के लक्षण
फुट रॉट के प्रमुख लक्षणों में चलने में कठिनाई, खुरों के आसपास सूजन और लालिमा, दुर्गंधयुक्त सड़न, खुर की ऊपरी सतह का अलग होना और कभी-कभी बुखार एवं बेचैनी देखी जाती है।