हरियाणा की दिव्यांग खिलाड़ी रेखा ने नेशनल खेलों में जीते 3 मेडल, दिव्यांगता को हराकर भरी सपनों की उड़ान

punjabkesari.in Sunday, Apr 07, 2024 - 01:45 PM (IST)

चरखी दादरी (पुनीत श्योराण) : मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। यह कहावत उनके लिए सटीक बैठती है जो विषम परिस्थितियों में भी अपने आप को सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाते हैं और उनकी प्रतिभा को हर कोई सलाम करता है। कुछ ऐसा ही चरखी दादरी निवासी दिव्यांग खिलाड़ी रेखा देवी के साथ हुआ है। रेखा ने दिव्यांगता को हराकर सपनों की उड़ान भरी और नेशनल स्तर पर पैरा तलवारबाजी में तीन मेडल जीते। साथ ही एशियन चैंपियनशिप तक पहुंची। अब रेखा का पैरा ओलंपिक खेलों में देश के लिए मेडल जीतने का सपना है।

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दिव्यांग खिलाड़ी रेखा देवी ने दिव्यांगता को अभिशाप ना मानकर इसे अपने लिए प्रेरणा बनाया और आज राष्ट्रीय पैरा एथलीट में कई मेडल लेकर अपनी प्रतिभा का लोहा पूरे देश में मनाया है। हालांकि रेखा को पहले तो अपने जीवन में कई विफलताओं का भी सामना करना पड़ा, लेकिन अपनी विशेष परिस्थितियों को ढाल बनाकर उसके बाद हर मुश्किल से लड़ना सीखा और आज वह देश की सफल पैरा एथलीट भी है।

दिव्यांग खिलाड़ी रेखा ने बताया कि पहले नौकरी के लिए काफी मेहनत की और नौकरी नहीं मिली तो पैरा खेलों में भविष्य संवारने का निर्णय लिया। मेहनत के बूते नेशनल एथलीट खेलों में जेवलीन व डिस्कस थ्रो में मेडल जीते तो उसे हरियाणा में ग्रुप डी की नौकरी मिल गई। बहादुरगढ़ नगर परिषद में बेलदार के पद पर तैनात रेखा ने नौकरी मिलने के बाद भी पैरा खेलों में अपना जोहर दिखाते हुए कई स्पर्धाओं में मेडल जीतने का सिलसिला जारी रखा और एशियन खेलों में हिस्सा लिया। हालांकि एशियन खेलों में मेडल नहीं जीत पाई। रेखा का कहना हैं कि हौंसलों से उड़ान भरकर पैरा ओलंपिक में देश के लिए मेडल जीतना उसका सपना है। दिव्यांगता ही उनकी ताकत है और विषम परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी। अब वह ओलंपिक तक पहुंचने के लिए मैदान में मेहनत कर रही हैं।

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Content Writer

Manisha rana

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