हरियाणा में वैज्ञानिकों की बड़ी रिसर्च, अब बछड़ी के जन्म से ही पता चलेगा...कितना दूध देगी

punjabkesari.in Wednesday, Sep 17, 2025 - 06:15 PM (IST)

करनाल : देश में पहली बार करनाल की नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI) के वैज्ञानिकों ने देसी साहीवाल नस्ल की गायों में जीनोमिक चयन की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की है। इस तकनीक से अब किसी बछड़ी के जन्म के समय ही यह अनुमान लगाया जा सकेगा कि वह बड़ी होकर कितना दूध देगी।

NDRI के निदेशक डॉ. धीर सिंह के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने यह मॉडल विकसित किया है। पारंपरिक फीनोटाइप चयन पद्धति में जहां किसी गाय की आनुवंशिक क्षमता पहचानने में 6-7 साल लग जाते थे, वहीं जीनोमिक चयन से यह काम केवल 7 दिनों में संभव होगा।

इन वैज्ञानिकों ने किया कमाल

संस्थान के पशु आनुवांशिक एवं प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ. विकास वोहरा ने इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया। उनके साथ वैज्ञानिक डॉ. अनुपमा मुखर्जी, डॉ. रानी, डॉ. गोपाल और डॉ. राजा की टीम ने इस शोध को सफल बनाया।

श्रेष्ठ सांडों से लिया गया है सीमन

NDRI ने जीनोमिक तकनीक से साहीवाल नस्ल के 10 श्रेष्ठ सांडों का चयन किया है। इन सांडों के सीमन से पैदा होने वाली बछड़ियां अपने जीवनकाल में औसतन 300 लीटर अधिक दूध देंगी। संस्थान में इन सांडों का सीमन उपलब्ध करा दिया गया है और किसान इसका लाभ उठा सकते हैं।

वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तकनीक से देश में नस्ल सुधार की गति तेज होगी और दुग्ध उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह उपलब्धि केंद्र और राज्य सरकारों को भारतीय नस्लों के संरक्षण और सुधार की दिशा में नई योजनाएं बनाने में मदद करेगी।

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Content Writer

Yakeen Kumar

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