हरियाणा ने बढ़ाई यमुना प्रदूषण नियंत्रण अभियान की गति, मुख्य सचिव ने दिए ड्रेन-वाइज कमेटियां बनाने के निर्देश
punjabkesari.in Thursday, Dec 04, 2025 - 08:04 AM (IST)
चंडीगढ़ (धरणी) : हरियाणा सरकार ने यमुना नदी की स्वच्छता और प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों की गति बढ़ा दी है। इस संबंध में आज मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में विभिन्न विभागों द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रगति का विस्तृत मूल्यांकन किया गया। बैठक में अपशिष्ट जल के शोधन, औद्योगिक अनुपालन और सीवरेज अवसंरचना के सुदृढ़ीकरण पर विशेष जोर दिया गया।
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि यमुना में मिलने वाले 11 प्रमुख नालों से प्रतिदिन बहने वाले 1511.55 मिलियन लीटर अपशिष्ट जल में से लगभग 1000 मिलियन लीटर पहले से ही उपचारित किया जा रहा है, जो यमुना पुनर्जीवन के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। प्रदूषण स्तर को लगातार नियंत्रित रखने के लिए सभी नालों के पानी की गुणवत्ता की नियमित निगरानी की जा रही है।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि हर नाले के लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों को मिलाकर मंडल आयुक्त की अध्यक्षता में अलग-अलग कमेटियां गठित की जाएं। ये कमेटियां हर 10 दिन में बैठक करेंगी और प्रगति रिपोर्ट हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन को भेजेंगी। बैठक में यह भी बताया गया कि राज्य ने यमुना कैचमेंट एरिया में सीवरेज शोधन क्षमता में व्यापक विस्तार किया है। वर्तमान में हरियाणा में 90 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट संचालित हैं, जिनकी कुल क्षमता 1518 एमएलडी है। इसके अतिरिक्त, 107 एमएलडी क्षमता के चार नए संयंत्र निर्माणाधीन हैं, जिनके मार्च 2027 तक पूरा होने की संभावना है। इसके अलावा, 227 एमएलडी क्षमता के नौ संयंत्रों का उन्नयन किया जा रहा है तथा 510 एमएलडी क्षमता के नौ नए संयंत्र प्रस्तावित हैं।
औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। राज्य में 184.5 एमएलडी क्षमता के 17 कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट संचालित हैं। दो प्लांट अपग्रेड किए जा रहे हैं और 146 एमएलडी क्षमता के आठ नए प्लांट प्रस्तावित हैं। अधिकांश बड़ी औद्योगिक इकाइयां इन संयंत्रों से जुड़ चुकी हैं अथवा उन्होंने स्वयं के स्तर पर अपशिष्ट शोधन संयंत्र स्थापित किए हैं, जिससे पर्यावरणीय मानकों का पालन सुनिश्चित हो रहा है।
बैठक में पेश किए गए ड्रेन-वाइज एक्शन प्लान से पता चला कि धनौरा एस्केप, ड्रेन नंबर 2, ड्रेन नंबर 6, मुंगेशपुर ड्रेन, केसीबी ड्रेन, ड्रेन नंबर 8, लेग-1, लेग-2, लेग-3, बुढ़िया नाला और गौंची ड्रेन सहित सभी प्रमुख नालों पर कार्यों में निरंतर प्रगति हो रही है। बिना शोधन किए पानी को नदी में जाने से रोकने के लिए बड़े स्तर पर सीवर टैपिंग कार्य किया जा रहा है। नए संयंत्रों जैसे यमुनानगर में 77 एमएलडी, रोहतक में 60 एमएलडी और गुरुग्राम में प्रस्तावित 100 एमएलडी प्लांट के निर्माण से आने वाले वर्षों में यमुना में प्रदूषण भार और कम होगा। रोहतक, फरीदाबाद और गुरुग्राम में प्रमुख एसटीपी के अपग्रेडेशन का कार्य भी प्रगति पर है।
राज्य ने यमुना कैचमेंट एरिया के 34 शहरों में सीवरेज नेटवर्क को लगभग पूरा कर लिया है। प्रस्तावित 1632 किलोमीटर सीवर लाइन में से 1626.6 किलोमीटर लाइन बिछाई जा चुकी है तथा फरीदाबाद में शेष 5.4 किलोमीटर कार्य आगामी 31 दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। शोधन क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ राज्य सरकार ट्रीटेड पानी के पुन: उपयोग को भी बढ़ावा दे रही है। उपचारित पानी पर आधारित तीन सिंचाई परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जबकि छह परियोजनाएं प्रगति पर हैं। इससे ताजे पानी के स्रोतों पर निर्भरता में कमी आएगी।