बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा हरियाणा, जुलाई 2028 में शुरू होगी न्यूक्लियर प्लांट की पहली यूनिट
punjabkesari.in Friday, Jan 24, 2025 - 03:13 PM (IST)
चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी) : हरियाणा के फतेहाबाद में वर्ष 2009 में शुरू हुई उत्तर भारत के पहले न्यूक्लियर पॉवर प्लांट परियोजना के कार्य में एक बार फिर से तेजी आई है। तकनीकी दिक्कतों के चलते निर्धारत समय में निर्माण कार्य पूरा नहीं होने के कारण यह परियोजना कईं साल पीछे हो गई थी, लेकिन अब कार्य में आई तेजी से जल्द ही इस परियोजना के पूरा होने के आसार है। फतेहाबाद के गोरखपुर में न्यूक्लियर पॉवर प्लांट के स्थापित होने में सबसे बड़ी बाधा उसकी प्रस्तावित आवासीय कॉलोनी में काले हिरणों से खड़ी हुई थी।
गांव बड़ोपल में साइट पर काले हिरण मिलने से वन्यजीव संस्थान देहरादून और हरियाणा वन्यजीव विभाग ने आपत्ति जताते हुए क्षेत्र को परियोजना के लिए अनुपयुक्त करार देते हुए इसे किसी अन्य जगह स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी। इसके बाद प्लांट की आवासीय कॉलोनी के लिए सेक्टर-6 एचएसवीपी अग्रोहा में 194 एकड़ वैकल्पिक भूमि का आवंटन किया गया। वहीं, कोरोना काल भी परियोजना में देरी का बड़ा कारण रहा है। अब सभी तरह की बाधाओं को लगभग पार कर लिया गया है और इसके निर्माण में तेजी लाई जा रही है।
चरणबद्ध तरीके से पूरे होंगे चारों चरण
यह परियोजना चार यूनिटों में बंटी है। 2800 मेगावाट वाली इस परियोजना की 700 मेगावाट की पहली यूनिट का व्यावसायिक संचालन जुलाई 2028 में शुरू होने की संभावना जताई गई है। इसके बाद दूसरी यूनिट दिसंबर 2028, तीसरी यूनिट जुलाई 2029 और चौथी यूनिट जुलाई 2030 तक चालू होने की योजना है। पूरी परियोजना के पूर्ण रूप से संचालन में आने के बाद हरियाणा को कुल उत्पादित बिजली का 50 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा, जो राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा। अगर यह पर्यावणीय और तकनीकी समस्या आड़े नहीं आती तो यह परियोजना की पहली यूनिट जुलाई 2018, दूसरी दिसंबर 2018, तीसरी जुलाई 2019 और चौथी यूनिट जुलाई 2020 में शुरू हो जाती।
चुनौतियों को पार करने के बाद आगे बढ़ी परियोजना
न्यूक्लियर पॉवर प्लांट के निर्माण के लिए हरियाणा विद्युत उत्पादन निगम (एचपीजीसीएल) को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया था। परियोजना के लिए गोरखपुर में 1503 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया। इसे सुचारू रूप से क्रियान्वित करने के लिए 16 जुलाई 2012 को राज्य स्तरीय अंतर-विभागीय समन्वय समिति का गठन किया गया। यह समिति मुख्य सचिव की अध्यक्षता में काम करती है और परियोजना से जुड़े मुद्दों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
अब तक आईडीसीसी की करीब 10 बैठकें हो चुकी हैं, जिनमें परियोजना से संबंधित कई समस्याओं का समाधान किया गया है। हालांकि परियोजना को कई पर्यावरणीय और तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन अब इसे तेजी से पूरा करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। परियोजना की देरी के मुख्य कारणों में पर्यावरणीय चिंताएं और स्थानांतरण की प्रक्रिया शामिल रही है। बावजूद इसके अब परियोजना की प्रगति को लेकर उम्मीदें काफी बढ़ गई है।
हरियाणा के बिजली हालात में यह रहेगी प्लांट की भूमिका
हरियाणा वर्तमान में देश के अन्य न्यूक्लियर पॉवर प्लांट्स से बिजली प्राप्त कर रहा है। इसमें 44.25 मेगावाट रावतभट्टा न्यूक्लियर पॉवर स्टेशन, 27.98 मेगावाट नरौरा परमाणु ऊर्जा संयंत्र और 25 मेगावाट अन्य न्यूक्लियर स्रोतों से शामिल हैं। राज्य की कुल स्थापित बिजली क्षमता 14943.92 मेगावाट है। इसका कंपाउंड वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) लगभग 6.7 प्रतिशत है। गोरखपुर न्यूक्लियर पावर प्लांट, जिसे न्यूक्लियर पॉवर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) द्वारा संचालित किया जा रहा है। राज्य की ऊर्जा जरूरतों को स्थायी रूप से पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है। एनपीसीआईएल देश की सबसे बड़ी न्यूक्लियर पॉवर उत्पादन कंपनी है। यह स्वच्छ और भरोसेमंद ऊर्जा प्रदान करने में अग्रणी है।
ऊर्जा क्षेत्र में आएगा क्रांतिकारी बदलाव
गोरखपुर न्यूक्लियर पॉवर प्लांट हरियाणा के ऊर्जा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। यह परियोजना न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगी। इसके पूरा होने से हरियाणा न केवल अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होगा बल्कि यह ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। हालांकि परियोजना के पहले चरण के चालू होने में अभी साढ़े तीन साल का समय है, लेकिन इसके भविष्य को लेकर उत्साह और उम्मीदें बनी हुई हैं।
पर्यावरणीय और तकनीकी बाधाओं को पार करते हुए यह परियोजना न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगी। 2030 तक इसके पूर्ण रूप से संचालित होने पर यह राज्य की बिजली की जरूरतों को स्थाई और विश्वसनीय रूप से पूरा करेगा। परियोजना के पूरा होने पर हरियाणा को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता मिलेगी और यह राज्य के औद्योगिक और सामाजिक विकास में भी बड़ा योगदान देगा।