पंचकूला हिंसा मामले में हाईकोर्ट ने कहा-डेरा समर्थकों के पंचकूला में एकत्रित होने का मकसद क्या था?

punjabkesari.in Thursday, Jan 09, 2020 - 10:48 AM (IST)

चंडीगढ़(हांडा): पंचकूला में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को सजा सुनाए जाने के बाद भड़की ङ्क्षहसा और उस वक्त हुए जान-माल के नुक्सान की भरपाई को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई दौरान फुल बैंच बार-बार कोर्ट मित्र एडवोकेट अनुपम गुप्ता से यही जानने का प्रयास करती रही कि आखिरकार पंचकूला में डेरा समर्थकों के एकत्र होने का मकसद क्या था? हाईकोर्ट ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर स्टूडैंट्स के एकत्रित होने के पीछे जे.एन.यू. में हुए हमले को वजह बताते हुए सवाल उठाए कि डेरा समर्थकों का पंचकूला में एकत्रित होने का मकसद क्या था? अगर कोई मकसद नहीं था तो इतनी बड़ी संख्या में उन्हें पंचकूला में एकत्रित क्यों होने दिया गया? 

कोर्ट मित्र की ओर से 2 घंटे तक की गई बहस में बार-बार सरकार, पुलिस व प्रशासन को इसका जिम्मेदार बताया गया। कोर्ट मित्र ने कहा कि डेरा प्रमुख की सजा पर फैसला आने से पहले प्री-प्लाङ्क्षनग तहत डेरा समर्थक पंचकूला में एकत्रित होते रहे लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट ने धारा 144 नहीं लगाई, जबकि ऐसे मामलों में वह पब्लिक आर्डर जारी कर सकते थे। कोर्ट मित्र ने कहा कि बिना किसी मकसद के लोगों का एकत्रित होना संदिग्ध हो तो धारा 109 यानी आवारागर्दी तहत और धारा 107 जहां कानून-व्यवस्था बिगडऩे की संभावना हो,कार्रवाई की जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और डेरा समर्थकों ने ङ्क्षहसात्मक रूप धारण कर लिया,जिसमें 400 करोड़ तक की संपत्ति का नुक्सान हुआ। कोर्ट मित्र अनुपम गुप्ता ने राष्ट्रीय राजमार्ग को आम लोगों के लिए अवरुद्ध किए जाने संबंधी कई आदेशों का जिक्र करते हुए कहा कि हरियाणा ही एक ऐसा राज्य है, जहां बार-बार राष्ट्रीय राजमार्गों पर धरने-प्रदर्शन और ङ्क्षहसा होती आई है,क्योंकि सरकार राजनीतिक दबाव के चलते सख्त नहीं होती।

राष्ट्रीय राजमार्ग के इस्तेमाल का आमजन को संवैधानिक अधिकार है और यातायात व्यवस्था अवरुद्ध न हो,यह सुनिश्चित करना सरकार का जिम्मा है, जोकि पंचकूला ङ्क्षहसा दौरान नहीं निभाया गया,जिसके चलते लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ीं। सरकार चाहती तो राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध करने पर डेरा समर्थकों पर दंगों से पहले ही कार्रवाई कर सकती थी, जोकि नहीं हुई। कोर्ट को बताया गया कि संविधान की धारा (19 बी 1) तहत बिना हथियार और बिना शोरगुल किए प्रोटैस्ट करना लोगों का संवैधानिक अधिकार है लेकिन बिना मकसद या वजह के बिना भीड़ के रूप में एकत्रित होना संवैधानिक अधिकार के दायरे में नहीं है। 

कोर्ट मित्र को 2 घंटे तक सुनने के बाद हाईकोर्ट की फुल बैंच ने उन्हें बहस पूरी करने हेतु और समय देते हुए अगली सुनवाई 5 फरवरी को सुनिश्चित की है। इसके बाद बचाव पक्ष को भी अपना पक्ष रखने हेतु समय दिया जाएगा। इस मामले में कोर्ट ने तय करना है कि पंचकूला में हुई ङ्क्षहसा का जिम्मेदार कौन है और नुक्सान की भरपाई सरकार करेगी या डेरा सच्चा सौदा।


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Isha

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