राम के आने की खुशी में भावुक हुए IAS अधिकारी मनीराम शर्मा, बोले - वर्षों का इंतजार हुआ पूरा
punjabkesari.in Monday, Jan 22, 2024 - 06:22 PM (IST)
चंडीगढ़ (धरणी) : 22 जनवरी यानि वह शुभ दिवस जो बेहद उत्साहवर्धक और खुशनुमा मौसम के साथ शुरू हुआ, जिसके रंग में पूरा देश रंगा हुआ नजर आया। चारों तरफ खुशियां ही खुशियां थी। हर गली नुक्कड़ में भंडारे और प्रसाद वितरण इस तरह से देखने को मिले, मानों पूरे देश में हर जगह मेले ही मेले लगे हो। हर मुख से जय श्री राम के उद्घोष और नारे वातावरण को सुगंधित करते नजर आए। क्या साधारण और क्या वीवीआइपी सभी एक राम की भक्ति में लीन दिखे। क्या नेता-क्या अधिकारी और क्या आमजन मानों सबके तन मन में राम बस चुके हों। पूरा देश जश्न मनाता दिखा। हिंदुओं का सबसे बड़ा पर्व दीपावली भी 22 जनवरी के आगे फीकी नजर आई। मानो यह आज तक की सबसे बड़ी दीपावली आई हो। लंबे समय से सनातनियों के धर्म-संस्कृति और पहचान के साथ जो छेड़छाड़ का दौर चल रहा था, हिंदुओं की भावनाओं को रोजाना कमजोर राजनीतिक इच्छा शक्ति के कारण जो कुचला जा रहा था। उस पर पूर्ण विराम लग चुका हो। ऐसा लगा जैसे देश एक बड़े बदलाव की ओर चल चुका है।
ऐसा महसूस कर रहा हूँ जैसे मेरे घर का कोई लंबे समय से अधूरा पड़ा काम पूरा हुआ हो- मनीराम शर्मा
इसी कड़ी में पंचकूला के एक मंदिर में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ मनीराम शर्मा भी राम की भक्ति में सराबोर दिखे। हवन यज्ञ में शामिल होने के बाद उन्होंने जी भरकर भगवान राम की पूजा- आराधना की। बातचीत में पता चला कि राम की दीवानगी उनके सिर चढ़कर बोलती है। इतना अधिक समर्पित भाव कि वह हुई प्राण प्रतिष्ठा के बारे में बातचीत करते-करते पूरी तरह से भावुक हो गए। उनके शब्द भी लबों से निकलने में काफी मुश्किल पैदा कर रहे थे, आंखों में आंसू थे वो भी राम के आने की खुशी में। बातचीत के दौरान उन्होंने तुलसीदास जी के रामचरित्र मानस की पूर्ण व्याख्या दोहों समेत टिप्स पर कर डाली। पता चला कि वह राम के कोई छोटे-मोटे भगत नहीं थे बल्कि पूर्ण समर्पित और दृढ़ संकल्पित भगत है जो हर वर्ष अपने गांव में रामचरित्र मानस का पाठ करवाते हैं और पूरे गांव समाज को दाल बाटी चूरमा का प्रसाद भी खिलाते हैं। उन्होंने बताया कि बचपन से ही वह तुलसीदास जी के रामचरितमानस को सुनते और पढ़ते आ रहे हैं। उनके पिता द्वारा 1997 में जो पाठ प्रारंभ किया गया था, उन्होंने उसमें बाधा नहीं आने दी और आज तक भी वह अखंड चल रहा है। उनकी आंखों में खुशी के आंसू और होठों पर जय श्री राम के नारे थे। मनीराम शर्मा ने श्री राम मंदिर की स्थापना पर बोलते हुए कहा कि ऐसा महसूस हो रहा है जैसे मेरे घर का कोई लंबे समय से अधूरा पड़ा काम पूरा हो गया हो। करोड़ों देशवासियों की तरह ही मैं भी बहुत भावुक हूं।
आज का यह दिन एक क्रांतिकारी दिन साबित होगा : शर्मा
पिछले दौर की राजनीतिक विचारधारा पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए शर्मा ने कहा कि मेरी तरह नई पीढ़ी को भी आज तक बहुत गलत शिक्षा मिलती रही है। पाठ्य पुस्तकों को गलत तरीके से प्रस्तुत किए जाने के कारण ही हम धर्म संस्कृति से दूर होकर नास्तिकता की ओर बड़े हैं। एक ऐसा दौर मुझ पर भी आया जब मैं पूर्ण नास्तिक हो चुका था। लेकिन आज ऐसा माहौल बन चुका है कि नई पीढ़ी अब आस्तिकता की ओर न केवल खुद बढ़ेगी बल्कि दूसरों को भी बढ़ावा देगी। आज का यह दिन एक क्रांतिकारी दिन साबित होगा। फिर से सभी सनातन धर्म संस्कृति की तरफ वापिस लौटेंगे। उन्होंने बताया कि इतिहास का मैं विद्यार्थी रहा और यूपीएससी भी इतिहास का विषय लेकर पड़ी और खूब पढ़ा कि बाबरी मस्जिद के लिए कैसे हमारा मंदिर तोड़ा गया। बाबरी मस्जिद 1528 में जब हमारे मंदिर को तोड़कर बनाई गई तो आसपास के गांवों में मौजूद बहुत से ठाकुर परिवार चमड़े के जूते को त्याग नंगे पांव रहने लगे। अयोध्या का राम मंदिर केवल उन परिवारों की नहीं बल्कि पूरे देश की एक भावना है।
हमारे भगवान राम एक आदर्श पुत्र आदर्श शिष्य आदर्श राजा आदर्श पति और आदर्श शत्रु भी रहे : शर्मा
शर्मा ने कहा कि तुलसीदास जी के रामचरित्र मानस को अगर पढ़ें तो हमारे भगवान राम का पूर्ण जीवन आदर्श जीवन रहा है। पहले वह आदर्श पुत्र रहे, फिर पुत्र के बाद वह आदर्श शिष्य बने फिर वह आदर्श राजा भी रहे और आदर्श पति भी बने, इसके साथ-साथ वह एक आदर्श शत्रु भी रहे हैं यानि तुलसीदास जी का रामचरित्र मानस एक समझने का बड़ा विषय है वह एक बड़ा आदर्श है जो कभी वैर भाव को बढ़ावा नहीं देता। श्री राम ने लंका चढ़ाई से पहले भगवान शिव की पूजा आराधना की यानि उनके जीवन के किसी भी अंश में झांका जाए तो वह हर जगह आदर्श ही मिलेंगे और भगवान स्वयं कहते हैं कि उन्हें किसी भी पदत्ति- किसी भी तरीके से पूजा जाए अगर भावनाएं अच्छी हैं तो वह अवश्य स्वीकार करते हैं। शर्मा ने कहा कि आज देश एक नए मोड़ पर है और आने वाले समय में हमारा युवा भगवान राम के आदर्शों पर चलेगा और एक रामराज देश में फिर से स्थापित होगा।