भारतीय स्टार पहलवान निशा दहिया की हार से मां का छलका दर्द, बोलीं- अगले ओलंपिक में जीतेगी मेडल
punjabkesari.in Tuesday, Aug 06, 2024 - 11:10 AM (IST)
पानीपत (सचिन शर्मा): पेरिस ओलंपिक में पानीपत की निशा दहिया ने कुश्ती में कमाल किया था। उन्होंने प्री क्वार्टर फाइनल में यूक्रेन की रेसलर को हराकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया। हालांकि इसके बाद क्वार्टर फाइनल में उन्होंने शानदार खेल दिखाया। पहले राउंड में दक्षिण कोरिया की रेसलर से 8 -1 से आगे थी। वह दूसरे राउंड में उनके हाथ में गंभीर चोट लग गई। जिसके बाद उन्होंने रोते हुए मुकबला पूरा किया। हालांकि वो ये मुकाबला हार गईं, लेकिन दिल जीत लिया।
बेटी की हार से दुखी हुई मां
वहीं निशा के खेल के बाद उनकी मां ने कहा कि चोट लगने से निशा दहिया मैच हार गई। निशा दहिया की मां बोली कि उनका मन बहुत दुखी है, लेकिन मेडल की उम्मीदें बरकरार रहेंगे। निशा की मां ने बताया कि उनके हाथ में बहुत ज्यादा चोट है, ठीक होने में 5 महीने का समय लगेगा। निशा 5 महीने बाद फिर मैट पर दिखाई देंगी।
निशा दहिया की मां ने कहा कि पहला मैच थोड़ा टफ था, लेकिन निशा दूसरा मैच एक तरफा जीतने की ओर बढ़ रही थी। निशा ओलंपिक की विदेशी कोच के साथ दिन-रात मेहनत कर रहीं थीं। ओलंपिक में जाने से पहले बोलकर गई थी कि इस बार पक्का मेडल जीत कर आऊंगी और परिवार के लोगों को भी पूरी आस थी की मेडल आएगा। मां ने कहा कि दो दिन बाद बेटी का घर पहुंचने पर निशा दहिया का सम्मान करेंगे।
चोट लगने से हारी मैच
बता दें कि भारत को मेडल की उम्मीद एथलेटिक्स में सबसे अधिक है। पेरिस ओलंपिक अपने मध्य पड़ाव तक पहुंच चुका है, लेकिन अभी तक भारतीय खिलाड़ी ब्रॉन्ज मेडल से आगे नहीं जा पाए हैं, लेकिन पानीपत की निशा दहिया ने कुश्ती में कमाल किया था। उन्होंने प्री क्वार्टर फाइनल में यूक्रेन की रेसलर को हराकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया। हालांकि इसके बाद क्वार्टर फाइनल में उन्होंने शानदार खेल दिखाया। पहले राउंड में दक्षिण कोरिया की रेसलर से 8 -1 से आगे थी। वह दूसरे राउंड में उनके हाथ में गंभीर चोट लग गई। जिसके बाद उन्होंने रोते हुए मुकबला पूरा किया। हालांकि वह ये मुकाबला हार गईं, लेकिन दिल जीत लिया।
ऐतिहासिक पानीपत की धरती पर जन्म लेने वाली निशा दहिया महज 13 वर्ष की उम्र से ही कुश्ती की ट्रेनिंग ले रहीं हैं। वह अपने परिवार में सबसे छोटी बेटी हैं। निशा ने अपने किसान पिता के सपने को पूरा करने के लिए कुश्ती के खेल को चुना।
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