करनाल उपचुनाव जरूरी, 6 महीने में चुनाव ना होने पर मंत्रीमंडल हो सकता है सीज: राम नरायाण यादव

punjabkesari.in Friday, Mar 29, 2024 - 02:03 PM (IST)

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी): लोकसभा चुनाव होने में अब कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं. वहीं, हरियाणा में इसी साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं. साथ ही करनाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव भी होना हैं. हरियाणा के सीएम नायब सैनी यहां से भाजपा के उम्मीदवार हैं. इस उपचुनाव को रद्द करने को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. 

लेकिन करनाल उपचुनाव करवाना इतना महत्वपूर्ण क्यों है इसे लेकर एक्सक्लुसिव बातचीत में कहा कि हरियाणा विधानसभा के सेवानिवृत स्पेशल सेक्रेटरी तथा पंजाब विधानसभा के सेवानिवृत एडवाइजर राम नरायाण यादव के साथ. उन्होंने कहा कि सविंधान के आर्टिकल 164 की धारा 4 के अनुसार यदि 6 महीने के अंदर को मंत्री विधानसभा का सदस्य नहीं बन पाता है तो उसका मंत्री पद जा सकता है. इसलिए करनाल उपचुनाव करवाना महत्वपूर्ण है.

 

प्रस्तुत है एक्सक्लुसिव बातचीत के प्रमुख अंश:

 

प्रश्न- जब सरकार के कार्यकाल 6 महीने से एक साल तक का रह जाए तो उपचुनाव करवाने कितने अहम, इस बारे में क्या कहता है कानून।

उत्तर - मामला हाईकोर्ट में है. हर व्यक्ति कोर्ट जा भी सकता है. वहीं, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के सेक्शन 150 1A की धारा ये कहती है कि अगर उपचुनाव होना है तो उसे 6 महीने के अंदर करवा लेना चाहिए। लेकिन इसमें एक प्रोविजन भी है कि यदि एक साल से कम का समय किसी सीट के लिए बचा हुआ है तो वहां चुनाव नहीं हो सकते। इसके साथ ही केंद्र या राज्य सरकार चुनाव कराने में असर्मथ है तो चुनाव आयोग सर्टिफिकेट देकर चुनाव नहीं करवा सकता।

 

प्रश्न- सविंधान का जो प्रोविजन यहां क्रिएट हुआ है उसे दर्शकों को समझाएं।

उत्तर - देखिए सविंधान के आर्टिकल 164 की धारा 4 के अनुसार यदि 6 महीने के अंदर को मंत्री विधानसभा का सदस्य नहीं बन पाता है तो उसका मंत्री पद जा सकता है. इसलिए करनाल उपचुनाव करवाना महत्वपूर्ण है. यदि सीएम नायब सैनी 6 महीने के अंदर विधानसभा के सदस्य नहीं बन पाते हैं तो अपने आप की उनकी मिनिस्टरी जा सकती है. सविंधान के अनुसार चुनाव आयोग भी इस चुनाव को करवाने के लिए बाध्य है.

 

प्रश्न- क्या ऐसा कोई अतीत का उदाहरण है जिसमें इसी तरह उपचुनाव हुए हों.

उत्तर- जी हां ऐसे बहुत से उदाहरण है. पीवी नरसिंम्हा राव, हरियाणा में चौधरी बंसीलाल का भी उदाहरण है. जब 1986 में ऐसे ही चुनाव हुए थे. इसके साथ ही राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भी उदाहरण है. इनके समय में छह महीने से कम समय में भी उपचुनाव करवाएं गए हैं. केंद्र से लेकर राज्यों में ऐसे कई उदाहरण है.

 

प्रश्न- रत्नलाल कटारिया की मृत्यु के बाद क्यों नहीं करवाया गया उपचुनाव

उत्तर- देखिए यदि केंद्र और राज्य सरकार चुनाव ना करवा सकें तो चुनाव आयोग से सर्टिफिकेट लेकर उसे स्थगित किया जा सकता है. ऐसा कई बार हुआ भी है. यही कारण है हरियाणा में तब चुनाव नहीं करवाया गया था.

 

 


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Content Writer

Isha

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