लॉकडाउन: गेंहू की फसल तैयार, किसान चिंतित

punjabkesari.in Monday, Apr 06, 2020 - 11:19 AM (IST)

फरीदाबाद (पूजा शर्मा) : फरीदाबाद से सटे हुए दर्जनों गांवों के किसानों की चिंताएं अब लॉक डाउन के चलते बढऩे लगी हैं क्योंकि खेतों में खड़ी गेहूं की फसल पूरी तरह से पक कर तैयार हो गई है और अब इस फसल को काटने के लिए न तो मशीनें पहुंच रही हैं ना ही मजदूर मिल रहे हैं। ऐसे में अगर कुछ दिनों तक फसल नहीं काटी गई तो खुद ही फसल झड़ कर खेत में ही गिर जाएगी।

जिसके चलते गांव के ही कुछ लोग धीरे धीरे कर खुद ही अपनी फसल को काटने में लग गए है, वही फसल को मशीन से निकालने की चिंता भी अब सताने लगी है क्योंकि अभी तक इन गांवों में मेवात से लोग और मशीनें पहुंचती थी, मगर अब इन गांवों के किसानों ने मेवात के लोगों को बुलाने से मना कर दिया है। कोरोना वायरस को लेकर देश भर में लाकडाउन लगा दिया गया है। इस कारण क्षेत्र में हार्वेस्टर (कटाई मशीन) नहीं न आने से किसान अपनी गेहूं की फसल नहीं निकाल पा रहे हैं। मालूम हो कि वर्तमान में किसानों की गेहूं की फसल पक कर तैयार है परंतु लॉकडाउन एवं पंजाब में कर्फ्यू के चलते हार्वेस्टर नहीं आ पा रही हैं। इससे फसलों की कटाई भी नहीं हो पा रही है।  

पहले बेमौसम बरसात और ओला गिरने से फसलों के नुकसान से परेशान किसान अब खेत में बची फसल की कटाई को लेकर चिंता में हैं। कोरोना संक्रमण से लॉकडाउन की स्थिति में पक कर तैयार फसल कट नहीं पा रही है। क्षेत्र में कंबाइन चलाने वालों के कमी से मशीन लोगों के दरवाजे पर खड़ी है। एक सप्ताह में गेहूं की फसल नहीं कटी तो खेत में झडऩे की नौबत आ जाएगी। ऐसे में किसानों को फसल की बर्बादी की चिंता सता रही है।

लॉक डाउन के कारण आवागमन का साधन बंद है। इसलिए कंबाइन चलाने वाले नहीं आ रहे। ऐसे में किसानों को गेहूं की फसल की पूरी बर्बादी साफ दिख रही है। लॉक डाउन में हाथ से गेहूं की फसल काटने को मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं। मजदूर नहीं मिलने से अन्य फसलें खेत में बर्बाद हो रही हैं। कोरोना का कहर फसल पर भी टूट रहा है। हाथ से काटने वाली फसल को भी काटने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं।

मजदूर नहीं मिलने से फसल की निराई गुणाई और सिचाईं नहीं हो पा रही। इधर हार्वेस्टर के अभाव में मजदूरों से भी कटाई करवा कर उसे थ्रेसर से निकाला जा सकता है परंतु अतीत में बिहार एवं उत्तर प्रदेश आदि स्थानों से आने वाले मजदूर भी नहीं आए हैं एवं स्थानीय मजूदर पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं। 
ऐसे में अगर मौसम ने करवट ली तो उनकी खड़ी फसल खराब हो सकती है। 
 


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Isha

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