30 वर्ष पहले जिस महम ने 'ठुकराया' अब उसी ने इस्तीफे के बाद 'अपनाया' !

punjabkesari.in Monday, Feb 08, 2021 - 03:44 PM (IST)

संजय अरोड़ा: देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री एवं सियासी दिग्गज स्व. चौ. देवीलाल का किसी समय में कर्मस्थल रहा महम विधानसभा क्षेत्र के इतिहास में एक ऐसा समय आया जब यहां की ऐतिहासिक महम चौबीसी ने न केवल चौ. देवीलाल के परिवार को सियासी तौर पर पूरी तरह ठुकरा दिया। बेशक इन 30 सालों में 2 बार 1996 व 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में इनेलो टिकट पर बाली पहलवान विधायक निर्वाचित हुए मगर इस अवधि के दौरान देवीलाल परिवार के किसी भी सदस्य ने तब से लेकर अब तक इस क्षेत्र से कोई चुनाव नहीं लड़ा। अब अचानक करीब 30 वर्षांे बाद हरियाणा की सियासत ने एक ऐसी करवट ली है कि देवीलाल परिवार को ठुकराने वाला यह क्षेत्र अब फिर से उन्हें अपनाने को आतुर दिखाई दे रहा है। 

abhay chautala awarded with kisan kesari award

यह सियासी बदलाव तब हुआ है जब देवीलाल के पोत्र अभय सिंह चौटाला ने किसानों के समर्थन में विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया है। इसी के चलते इस क्षेत्र से संबंधित महम चौबीसी ने अभय सिंह चौटाला द्वारा उठाए गए इस कदम पर उनका सम्मान करने का निर्णय लिया है। महम चौबीसी की ओर से अभय चौटाला का 11 फरवरी को बड़े स्तर पर यहां सम्मान किया जाएगा। इस प्रकार 1990 के बहुचर्चित महम कांड के बाद इस क्षेत्र से सियासी रूप से दूर हुआ देवीलाल परिवार अपनी तीसरी पीढ़ी के माध्यम से इस क्षेत्र से 'सम्मान’ के साथ जुडऩे जा रहा है और 30 वर्षों बाद महम चौबीसी से इस परिवार की दूरियां नजदीकियां बनेंगी बल्कि सियासी रूप से भी देवीलाल परिवार फिर से महम को अपनी सियासी कर्मभूमि बना सकता है। विशेष बात ये है कि किसानों के मुद्दे पर इस्तीफा देने वाले अभय सिंह चौटाला का महम से पूर्व अब तक गाजीपुर बॉर्डर, जींद, सिंघु बॉर्डर, नाथूसरी चौपटा व चौटाला गांव में सम्मान किया जा चुका है।

देवीलाल का निर्वाचन क्षेत्र रहा है महम
गौरतलब है कि महम विधानसभा क्षेत्र देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल का निर्वाचन क्षेत्र रहा है। यहां से चौ. देवीलाल तीन बार 1982, 1985 और 1987 में विधायक निर्वाचित हुए और मुख्यमंत्री बने। फिर एक ऐसा वक्त भी आया जब साल 1990 में चौ. देवीलाल द्वारा राष्ट्रीय सियासत में सक्रिय होने व देश का उपप्रधानमंत्री बन जाने पर जब महम विधानसभा क्षेत्र से त्यागपत्र दे दिया गया तो यहां हुए उपचुनाव में उनके बेटे व तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला चुनावी मैदान में उतरे, मगर उस समय किन्हीं कारणों से हुई चुनावी ङ्क्षहसा के चलते यहां उपचुनाव नहीं हो पाया और चौटाला फिर सिरसा जिला के दड़बाकलां विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में विजयी तो हो गए मगर महम में हुई चुनावी हिंसा का दाग उनके दामन पर ऐसा लगा कि महम कांड से देवीलाल परिवार का नाम जुड़ गया और जो महम इस परिवार को सिर आंखों पर बैठाता था उसी महम ने इस परिवार को सियासी रूप से ठुकरा दिया था। इस वजह से चौटाला को मुख्यमंत्री तक की कुर्सी छोडऩी पड़ी थी। 

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उल्लेखनीय है कि तीस बरसों से महम कांड चौटाला परिवार के लिए बुरे सपने की तरह रहा है। परंतु अभय सिंह चौटाला द्वारा किसानों के मुद्दे पर दिए गए त्यागपत्र के बाद अब जहां इस परिवार की महम चौबीसी से फिर से नजदीकियां होती नजर आ रही हैं तो वहीं महम कांड का दाग भी साफ होता दिख रहा है। कुल मिलाकर 30 वर्षों के बाद प्रदेश के सियासी परिदृश्य में आया यह बदलाव निश्चित तौर पर इनेलो और अभय सिंह चौटाला के लिए सियासी तौर पर शुभ संकेत माना जा सकता है।

हिंसा की वजह से रद्द हुआ था महम उपचुनाव
1987 में चौ. देवीलाल महम से विधायक निर्वाचित हुए और राज्य के दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। 1989 में चौ.देवीलाल ने तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस सरकार के खिलाफ समूचे विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम शुरू की और उन्हें इसमें सफलता भी मिली। इसके बाद केंद्र में सत्ता परिवर्तन हुआ और वी.पी. सिंह के नेतृत्व में बनी केंद्र सरकार में देवीलाल उपप्रधानमंत्री बन गए और उन्होंने महम से इस्तीफा देकर बेटे ओमप्रकाश चौटाला को मुख्यमंत्री बनवा कर उनके लिए सीट खाली कर दी। चौटाला के महम से ताल ठोंकने से पहले ही आनंद सिंह दांगी भी सक्रिय हो गए। साल 1982, 1985 और 1987 में देवीलाल के चुनाव प्रचार की अहम जिम्मेदारी दांगी ने ही संभाली थी।

आनंद सिंह दांगी ने भी महम उपचुनाव में ताल ठोकने के लिए एस.एस बोर्ड से त्यागपत्र दे दिया। तनाव और हिंसा के बीच 27 फरवरी 1990 को महम में मतदान हुआ। 8 मतदान केंद्रों पर मतदान 28 फरवरी को हुआ था। उस दिन महम में हिंसा का तांडव हुआ। गांव बैंसी के स्कूल में गोलीबारी हुई, बूथ कैप्चरिंग हुई और कई लोग मारे गए। खैर चुनाव आयोग की ओर से 7 मार्च 1990 को महम उपचुनाव को रद्द कर दिया गया। 26 मई 1990 को महम और दड़बा कलां विधानसभा में उपचुनाव होना था। पर उससे पहले ही 16 मई को महम से आजाद विधायक अमीर सिंह की हत्या हो गई।

ellenabad seat has been an echo of the devi lal family

देवीलाल और चौटाला को छोड़नी पड़ी थी कुर्सी
देवीलाल पर अब राष्ट्रीय स्तर पर दबाव लगातार बढ़ रहा था। चौटाला दड़बा कलां से विधायक बन गए पर महम कांड उनका पीछा नहीं छोड़ रहा था। फरवरी 1992 में सी.बी.आई की ओर से अमीर सिंह मर्डर और महम कांड की जांच शुरू की गई। महम का उपचुनाव दो बार हुआ, लेकिन दोनों बार ही नतीजे नहीं आए। साल 1991 के आम चुनाव में जाकर नतीजे आए जब आनंद सिंह दांगी यहां से विधायक बने। महम कांड का सियासी असर इतना हुआ कि देवीलाल को उपप्रधानमंत्री तो चौटाला को मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी। महम कांड में अभय सिंह चौटाला का भी नाम सामने आया और केस अदालत में भी चला। इसी साल जनवरी माह के अंत में रोहतक की अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश रितु बहल की कोर्ट ने फैसला सुना दिया। अदालत ने इस मामले में केस को दोबारा शुरू करने की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। इससे इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला समेत 7 लोगों को बड़ी राहत मिली।
 

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Content Writer

vinod kumar

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