हाउस के अंदर की बहुत सी शक्तियां केवल हाउस के हाथों में होती हैं : राम नारायण यादव

punjabkesari.in Tuesday, Jan 19, 2021 - 04:58 PM (IST)

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी):  अभय चौटाला द्वारा स्पीकर के पास ईमेल से भेजे गए इस्तीफे में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने संवेदनहीन विधानसभा शब्द पर कड़ा विरोध किया। लेकिन स्पीकर ने उनकेेेे पास इस्तीफा न पहुंचने की बात कही। वही दोबारा अभय सिंह चौटाला ने कार्यालय से अपने प्रतिनिधि द्वारा स्पीकर केे पास एक कंडीशनल इस्तीफा भिजवाया। क्या इस प्रकार केे कंडीशनल इस्तीफे मंजूर किए जा सकते हैं ? अगर ई-मेल सेे इस्तीफा स्पीकर के पास पहुंच गया हो तो किस प्रकार की कार्रवाई अभय सिंह चौटाला के खिलाफ की जा सकती है ? विशेषाधिकार आखिर क्या है ? यह किन-किन लोगों पर किन परिस्थितियों मे लागू होते हैं ? यह केवल सदन मे या फिर यह सदन के बाहर भी लागू होते हैं ? इन सब सवालों के जवाब जानने के लिए हरियाणा विधानसभा के पूर्व एडिशनल सेक्रेटरी, पंजाब विधानसभा के पूर्व एडवाइजर, संविधान और कानून विशेषज्ञ राम नारायण यादव से पंजाब केसरी ने विशेष बातचीत की। इसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत है:-

प्रशन:- अभय चौटाला ने कंडीशनल इस्तीफा दिया है क्या यह मंजूर होगा, क्योंकि देवीलाल और मंगल सेन ने भी इस प्रकार की स्थिति दिए थे ?
उत्तर:-
विधानसभा के रूल 58 में यह स्पष्ट दिया हुआ है, अगर कोई कंडिश्नल इस्तीफा देता है तो वह स्पीकर की विल के ऊपर है कि वह उन कंडीशन उसको इग्नोर कर दे, मेंबर को बुलाए यानि कैसे भी अपनी सेटिस्फेक्शन करें। जहां तक चौधरी देवीलाल और मंगल सेन के समय में भी ऐसी बातें हुई थी। चौधरी देवीलाल के साथ मंगल सेन और 8 दिन बाद चंद्रावती का भी उसी ग्राउंड पर इस्तीफा मंजूर हुआ था, बाकी सात-आठ मेंबरों के इस्तीफे रिजेक्ट कर दिए गए थे। 2004 में भी इसी प्रकार बीजेपी के 6 विधायकों ने इस्तीफे दिए थे।

प्रशन:- विशेषाधिकार हनन केवल विधायक पर या आम आदमी पर भी लागूू होता है और क्या यह केवल सदन में ही लागूूू होता है ?
उत्तर:-
विशेषाधिकार बहुत ही सेंसिटिव और महत्वपूर्ण मुद्दा है। यह कॉम्प्लिकेटेड और अन कोडिफाइड है। इसका कोई लॉ नहीं है। इसी वजह से हमारी पार्लियामेंट्री प्रैक्टिस में 1949 से इसको बिना लाइसेंस का हथियार कहा जाता है। पार्लियामेंट मेंं विधानसभा के मेंबर को फ्रीडम आफ स्पीच का अधिकार है। लेकिन वह अधिकार बाहर नहींं है। बाहर उसे तभी अधिकार है जब वह पार्लियामेंट्री ड्यूटी पर होता है। अगर वह पार्लियामेंट्री ड्यूटी पर नहीं है तो वह एक साधारण व्यक्ति जितने ही अधिकार रखता हैै।

प्रशन:- अगर पार्लियामेंट के बाहर ऐसी कोई बात होती हैै तो क्या उन पर भी लागूू होता है ?
उत्तर:-
अगर पार्लियामेंट के बाहर कोई सदस्य इस प्रकार के बात कर देते हैं जो मानहानि के अंदर आता हैै तो यह उन पर भी लागू होता है।

प्रशन:- प्रिविलेज कितने प्रकार का होता है और इसमें किस प्रकार की कार्रवाई के प्रावधान है ?
उत्तर:-
पार्लियामेंट्री मे प्रिविलेज तीन प्रकार के होते हैं एबसॉल्यूट, कर्टिसी, प्रोपराइटी। सदन के बाहर किसी सदस्य ने कोई बात ऐसी कही है जिससे सदन की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है तो वह ऐबसॉल्यूट के दायरे में  बन सकता है।

प्रशन:- प्रिविलेज आखिर क्या होता है आम आदमी के लिए सरल शब्दों में समझाएं ?
उत्तर:-
प्रिविलेज मोशन होता है एक विशेष अधिकार। इसका मतलब है कि किसी व्यक्ति को कोई विशेष अधिकार, राइट या छूट देना। जैसे 1994 का एक उदाहरण सभा का देता हूं सभा में 1 सदस्य ने कहा प्रिविलेज कोडिफाई कीजिए। नहीं कर सके। फिर डॉक्टर अयंगर ने पंडित मैत्रा केे जवाब में कहा कि मिस्टर मैत्रा हम इसको नहीं कर सकते। क्योंकि हालात ऐसे हैं की यह स्टैटर्ड हैैै और कहीं भी इकट्ठे नहीं, लोकसभा मे भी नहीं है। इसलिए हम फ्रीडम ऑफ स्पीच हाउस में देते हैं, बाहर नहीं देते हैं। फिर उन्होंने इसका अर्थ पूछा तो उन्होंने कहा मिस्टर मैत्रा, अगर मैं आपको हाउस में यू आर डिशऑनेस्ट कहूं तो मेरे ऊपर कारवाई नहीं होगी और अगर ही शब्द मैं सदन के बाहर आपको कहूं तुम मेरे ऊपर कारवाई हो जाएगी जैसे एक आम आदमी पर होती है। इसलिए विशेषाधिकार हाउस में दिए हुए हैं। जिसमेंं कोई भी मेंबर एनीथिंग कोई भी बात कहे बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने तो एनीथिंग को एवरीथिंग में कहा हुआ है कि इसमें पनिशमेंट देने की शक्ति हाउस के ऊपर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इसमें वह तो क्या कोई भी नहीं दखल नहीं दे सकता।

प्रशन:- अभय चौटाला ने ईमेल के जरिए स्पीकर के पास इस्तीफा भेजा, जिसमें संवेदनहीन विधानसभा लिखे जाने की बात चर्चा में है, अगर वह इस्तीफा पहुंचा है तो क्या कार्रवाई हो सकती है ?
उत्तर:
- इसमें दो बातें होती हैं एक कार्रवाई की बात दूसरी विधानसभा की मर्यादा के ऊपर ठेस पहुंचाए जाने की बात। मैं चौधरी अभय सिंह या किसी और की बात नहीं करता। अगर कोई व्यक्ति संवेदनहीन विधानसभा कह दे तो क्या हमारी संसदीय प्रथाएं उसको असेपट करेंगी और वह मांग लेंगी कि वह संवेदनहीन है। इसलिए यह 90 विधानसभा सदस्यों ने देखना है कि वह स्वेदनहीन है या संवेदनशील है।इसलिए इन्होंने संवेदनहीन कहा है तो यह हमारी संस्था का सवाल है यह किसी एक विधायक का नहीं बल्कि सभी 90 विधायकों का सवाल है।

 

 


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Isha

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