संघर्ष के दौर में मनोहर लाल के सारथी की भूमिका निभाने वाले नायाब सैनी अब हरियाणा के सारथी

punjabkesari.in Saturday, Jun 15, 2024 - 03:30 PM (IST)

चंडीगढ़(धरणी):  हरियाणा के 11वें मुख्यमंत्री बने नायब सिंह सैनी का जीवन वैसे तो शुरू से ही संघर्षशील रहा है, लेकिन अब मुख्यमंत्री पद पर आसानी होने के बाद उनके लिए हरियाणा में बीजेपी की सत्ता में वापसी करवाना कोई संघर्ष नहीं बल्कि एक ‘अग्निपरीक्षा’ होगी,  क्योंकि मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान होते ही उनके सामने लोकसभा का चुनाव एक चुनौती के रूप में सामने आ गया। भले ही लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटे कम होकर आधी यानि 5 रह गई हो, लेकिन कुल मिलाकर प्रदेश स्तर पर बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा। अब चूंकि विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। ऐसे में नायब सिंह सैनी भी इस चुनौती का स्वीकार कर अभी से इसके हल में जुट चुके हैं। सैनी अच्छे से जानते हैं कि विपक्ष उनकी किस कमजोरी का फायदा उठा रहा है, इसलिए उन्होंने सबसे पहले उसे ही दुरुस्त कर जनता में ये संदेश देने का काम किया कि विपक्ष केवल जनता को बरगला सकता है, जबकि बीजेपी उनकी तकलीफ को समझते हुए उसे हल करने में कोई देर नहीं करती। 

वकालत में थी नायब सिंह की रुचि

नायब सिंह का जन्म हरियाणा में अम्बाला के छोटे से गांव मिर्ज़ापुर में 25 जनवरी 1970 को हुआ था। नायब सिंह की मां पंजाबी हैं और पिता हरियाणवी हैं। नायब सिंह की मां का नाम कुलवंत कौर हैं और उनके पिता का नाम तेलु राम सिंह है। अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद नायब सिंह ने बिहार के बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। हरियाणा में जन्मे और बिहार से ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद वे अपनी आगे की पढ़ाई के लिए उत्तर प्रदेश आए थे। इस दौरान वह वकालत में रुचि रखते थे। इसलिए उन्होंने यूपी के मेरठ जिले में बने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की थी।

ऐसे हुई राजनीति में एंट्री

मेरठ से एलएलबी की डिग्री लेने के बाद नायब सिंह ने राजनीति का रुख किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने राजनीतिक करियर के शुरुआती दौर में नायब सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे। इसके कुछ सालों बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए थे। सैनी ने 1996 से लेकर 2000 तक हरियाणा बीजेपी में सहयोगी के तौर पर काम किया। इसके बाद 2002 में वह बीजेपी के युवा मोर्चा में अंबाल से जिला महामंत्री बने। 2005 में उन्हें बीजेपी युवा मोर्चा अंबाला में जिला अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद 2009 में नायब सिंह सैनी बीजेपी किसान मोर्चा हरियाणा के प्रदेश महामंत्री के पद पर रहे। 2012 में वह बीजेपी अंबाला के जिलाध्यक्ष बने। इसके बाद साल 2014 में नारायणगढ़ विधानसभा से विधायक बने। फिर साल 2016 में हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री रहे। 2019 में कुरुक्षेत्र से सांसद चुने गए थे। इस चुनाव में उन्हें 6 लाख 88 हजार 629 वोट मिले थे। अक्टूबर 2023 में नायब सिंह को हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।

मनोहर से नजदीकी का मिला फायदा

नायब सिंह सैनी ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ संगठन में लंबे समय तक काम किया। मनोहर लाल के साथ 1995 से नायब सिंह जुड़े हैं। मनोहर लाल उस समय संगठन मंत्री थे और नायब सिंह पार्टी कार्यालय में स्टाफ के नाते काम करते थे। काम को पूर्णता तक कैसे लेकर जाना है हमेशा उस पर उनकी मेहनत रहते थे। सामान्य छोटे-मोटे काम जैसे कंप्यूटर इत्यादि के कार्यों को यह उस वक्त देखते थे। वह ड्राइवर के तौर पर भी उनके साथ कई प्रदेशों में जाते थे। उस दौरान वह कईं-कई महीने एक साथ ही रहते थे।  असल में किसी भी व्यक्ति की पहचान दूसरा व्यक्ति अच्छे से कर सकता है, उसी का लाभ इन्हें मिला। नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनवाने के बाद खुद मनोहर लाल कईं बार सार्वजनिक तौर पर मंचों के जरिए नायब सैनी के संघर्ष और उनके परिवार की तारीफ कर चुके हैं। 

पीएम भी कर चुके हैं तारीफ 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार सार्वजनिक मंचों से पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल की तारीफ कर चुके है। प्रधानमंत्री खुद बता चुके हैं कि संगठन में रहते हुए वह कई-कई दिनों तक मनोहर लाल के साथ मोटरसाइकिल पर एक शहर से दूसरे शहर और एक गांव से दूसरे गांव घूमा करते थे। यहीं कारण रहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर 2014 में मनोहर लाल को पहली बार करनाल से विधानसभा की टिकट दी गई और जीतते ही मुख्यमंत्री बना दिया गया। अब 2019 में मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिलाने के बाद उन्हें करनाल से लोकसभा की टिकट दी गई और जितते ही केंद्र में कैबिनेट मंत्री के पद से नवाजा गया। यहीं कारण है कि जब हरियाणा में मुख्यमंत्री बदलने की बात आई तो प्रधानमंत्री मनोहर लाल की ओर से रखे गए नायब सिंह सैनी के नाम पर इंकार नहीं कर सके, क्योंकि जिस प्रकार से प्रधानमंत्री मोदी के साथ मनोहर लाल की नजदीकियां है। वैसे ही नायब सैनी की मनोहर लाल के साथ। इसलिए मनोहर लाल के कहने पर मोदी ने नायब सैनी के नाम पर मुहर लगाई। 

विपक्ष को देंगे मुंहतोड़ जवाब

नायब सैनी को पहले प्रदेश अध्यक्ष और बाद में सीएम बनाने के दौरान बीजेपी की ओर से कई मसलों को ध्यान में रखा गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार जातिगत आरक्षण का मुद्दा उठा रहे हैं और ओबीसी समुदाय को लेकर बीजेपी की घेराबंदी करने में लगे रहते हैं। हरियाणा में ओबीसी समुदाय का दबदबा है। हरियाणा सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में पिछड़ा वर्ग की आबादी 31 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जाति की संख्या 21 फीसदी है। खासतौर पर जाटलैंड में बीजेपी अपनी पकड़ को ढीला नहीं होने देना चाहती। सैनी जिस कुरुक्षेत्र सीट से सांसद थे, वहां जाट वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है। यही वजह है कि पार्टी ने कम समय में ज्यादा पॉपुलर्टी पाने वाले नायब सिंह सैनी को सबसे बेहतर चेहरा माना। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि मनोहर लाल की पसंद का भी ख्याल रखा गया। इसके अलावा अब नायब सैनी जिस प्रकार से जनहित में लगातार फैसले ले रहे है, उससे ये साफ हो गया है कि वह संगठन और सरकार के साथ जनता की नब्ज को भी अच्छे से समझते हैं।

प्रॉपर्टी ID में किया बदलाव

लोकसभा चुनाव में 5 सीट हाथ से जाने के कारणों पर मंथन करने के दौरान नायब सैनी को पता चला कि जनता प्रॉपर्टी आईडी की दिक्कतों से काफी परेशान है। इसलिए उन्होंने सबसे पहले प्रॉपर्टी आईडी में बदलाव किया। इसके अलावा जनहित से जुड़े कई अन्य फैसले भी लिए, जिनमें बड़े प्लॉट की टूकड़ों की रजिस्ट्री, वसीयत की रजिस्ट्री और गरीब परिवारों को मुफ्त 100-100 गज के प्लॉट देने के अलावा उन्हें मुफ्त बस यात्रा की सुविधा मुहैया करवाने समेत कई अन्य मामले शामिल हैं।

5 महीने में ही बदल गई किस्मत 

53 साल के नायब सिंह सैनी 2014 में मुख्य धारा की राजनीति में आए थे और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 9 साल के दौरान पहले विधायक बने, फिर राज्य सरकार में मंत्री, उसके बाद लोकसभा सांसद और अक्टूबर 2023 में हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। अध्यक्ष बनने के महज 5 महीने बाद ही नायब को सीएम के रूप में सबसे बड़ी जिम्मेदारी मिल गई है।


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Content Writer

Isha

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