अगले वर्ष ''छोटी सरकार'' का चुनाव सियासी दलों के लिए होगी ''बड़ी परीक्षा''
punjabkesari.in Wednesday, Oct 21, 2020 - 08:47 AM (IST)
चंडीगढ़( संजय अरोड़ा): बरौदा में उपचुनाव को लेकर सियासी घमासान जारी है और 3 नवम्बर को यहां उपचुनाव होना है। इसके बाद भी सियासी जंग अगले वर्ष फरवरी में प्रस्तावित पंचायत चुनाव को लेकर भी जारी रहने की संभावना है। इस प्रकार मौजूदा खट्टर सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के साथ ही जहां बरोदा उपचुनाव भाजपा-जजपा गठबंधन के लिए एक बड़ी परीक्षा है तो अगले वर्ष के शुरूआत में पंचायत चुनाव के रूप में दूसरी बड़ी चुनौती सामने आने जा रही है। इस प्रकार से बरोदा उपचुनाव के तुरंत बाद से अगले वर्ष होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर सभी दलों की सियासी सरगर्मियां जारी रहेंगी और 'छोटी सरकारÓ के लिए होने वाले ये चुनाव भी सभी राजनीतिक दलों के लिए 'बड़ी परीक्षाÓ मानी जा रही है।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा में पंचायत चुनाव खासकर गांव के सरपंच का चुनाव चौधर व रुतबे का प्रतीक माना जाता है। राजनीतिक दल भी इससे अछूते नहीं रहते हैं। बड़े गांवों में तो राजनीतिक दलों का हस्तक्षेप व्यापक पैमाने पर देखने को नजर आता है। यहां पर सरपंची के चुनाव में प्रत्येक वोटर्स की नब्ज टटोलने के साथ ही सभी तरह का शह-मात का खेल चलता है। इसलिए बरोदा उपचुनाव के बाद पंचायत चुनाव भी सत्ताधारी दल के साथ-साथ विपक्षी दलों के लिए काफी अहम होगा।
भाजपा ने पंचायती राज प्रणाली में किए बड़े बदलाव
गौरतलब है कि पंचायत चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने दोनों कार्यकाल में बड़े बदलाव किए हैं। 2016 में जनवरी में हुए पंचायत चुनाव से पहले भाजपा सरकार की ओर से 2015 के अंत में पंचायती राज प्रणाली में शैक्षणिक योग्यता को अनिवार्य कर दिया था। इसके अलावा महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सरकार ने महिलाओं को भी छोटी सरकार में समान अधिकार देने की मंशा से इसी साल ही कुछ समय पहले ही पंचायती राज प्रणाली में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान लागू कर बड़ा बदलाव किया। ऐसे में इस बार प्रदेश की आधी से अधिक पंचायतों की चौधर महिलाओं के हाथ में होगी। अगले साल फरवरी में होने वाले पंचायत चुनाव में 3102 महिला सरपंच चुनी जाएंगी, जबकि पिछली बार कुल 2,565 महिला सरपंच थीं। इसी तरह से अब महिला जिला पार्षदों की संख्या 208 हो जाएगी, जबकि पिछली बार 181 महिलाएं जिला पार्षद चुनकर आई थीं। ब्लॉक समिति में महिला सदस्यों की संख्या इस बार 1501 होगी। इसी तरह से इस बार 31233 महिला पंचायत सदस्य निर्वाचित होंगी जबकि पिछली बार महिला पंचों की संख्या 25,495 थी।
शैक्षणिक योग्यता की शर्त के चलते चुनाव में हुआ था 6 माह का विलम्ब
मिली जानकारी के अनुसार संविधान के नियम के अनुसार अगले साल 24 फरवरी से पहले पंचायत चुनाव करवाए जाने जरूरी है। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जमीनी स्तर पर पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। करीब 6205 सरपंचों सहित अन्य पंचायत प्रतिनिधियों के चुनाव को लेकर आयोग की ओर से वार्डवाइज मतदाता सूचियों का आवंटन भी शुरू कर दिया है। भारतीय निर्वाचन आयोग की ओर से जारी की गई यह मतदाता सूची 25 सितम्बर 2020 तक अपडेट है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूचियों को लेकर आपात्तियां ली जा रही हैं। इन आपत्तियों के बाद मतदाता सूचियों का फाइनल प्रकाशन करने के बाद पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी। ऐसी संभावना है कि आयोग की ओर से इस साल दिसम्बर माह के अंत तक पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। आयोग की ओर से पंचायत सदस्यों को छोड़कर सरपंच, जिला परिषद सदस्यों एवं ब्लॉक समिति के सदस्यों के चुनाव ई.वी.एम. से करवाए जाएंगे। राज्य में 62466 पंचायत सदस्यों के चुनाव होने हैं। इतनी संख्या में ईवीएम न होने की सूरत में यह चुनाव बेल्ट पेपर के जरिए करवाए जाएंगे।
गौरतलब है कि हरियाणा में पिछले पंचायती चुनाव 2016 में 10 जनवरी, 17 जनवरी व 24 जनवरी को अलग-अलग तीन चरणों में हुए थे। इन चुनावों में छह माह का विलम्ब हुआ था, जिसका कारण यह था कि भाजपा सरकार की ओर से पंचायती चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू की गई थी और इस कारण से यह मामला कोर्ट में चला गया था। इसलिए चुनाव जुलाई 2015 की बजाय जनवरी 2016 में हो सके थे।
2016 में जिलावार चुने गए पुरुष व महिला सरपंच
जिला कुल पुरुष महिला
अम्बाला 408 230 178
भिवानी 468 289 179
फरीदाबाद 116 69 47
गुरुग्राम 200 114 86
हिसार 308 182 126
झज्जर 250 150 100
जींद 301 185 116
कैथल 276 156 120
करनाल 380 206 174
कुरुक्षेत्र 392 231 161
महेंद्रगढ़ 346 203 143
मेवात 316 185 131
पलवल 259 151 108
पंचकूला 126 82 44
पानीपत 174 102 72
रेवाड़ी 358 219 139
रोहतक 139 83 46
सिरसा 337 193 144
सोनीपत 304 182 122
यमुनानगर 471 259 212
कुल 6186 3621 2565