दिल्ली खेल विश्वविद्यालय की पहली कुलपति बनी ओलंपिक मेडल विजेता कर्णम मल्लेश्वरी

punjabkesari.in Thursday, Jun 24, 2021 - 10:38 PM (IST)

यमुनानगर (सुरेंद्र मेहता): हरियाणा के यमुनानगर की रहने वाली कर्णम मल्लेश्वरी को  दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली खेल विश्वविद्यालय का पहला कुलपति नियुक्त किया गया है। भारत की पहली महिला ओलंपिक मेडल विजेता कर्णम मल्लेश्वरी ने 2000 सिडनी ओलंपिक में वेट लिफ्टिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। उनकी इस पद पर नियुक्ति को लेकर परिजन काफी खुश हैं।

यमुनानगर की रहने वाली कर्णम मल्लेश्वरी इस समय एफसीआई में मुख्य महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत हैं। मल्लेश्वरी के दिल्ली खेल विश्वविद्यालय का पहला कुलपति नियुक्त किए जाने पर परिवार में खुशी का माहौल है। उनके पति राजेश त्यागी जो खुद भी वेटलिफ्टर है, का कहना है कि उनके परिवार के लिए यह बहुत खुशी का मौका है। उन्होंने बताया कि मल्लेश्वरी को 1994 में अर्जुन पुरस्कार और 1999 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह 1999 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित की गई थीं। राजेश त्यागी ने इस नियुक्ति के लिए दिल्ली सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि जब एक खिलाड़ी को ऐसे पद पर नियुक्त किया जाता है तो उसके अच्छे परिणाम सामने आते हैं। 

मल्लेश्वरी ने 25 साल की उम्र में सितंबर 2000 में सिडनी ओलंपिक में कुल 240 किलोग्राम में स्नैच श्रेणी में 110 किलोग्राम और क्लीन एंड जर्क में 130 किलोग्राम भार उठाया और ओलंपिक में पदक (कांस्य) जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इसके बाद उनकी ऐतिहासिक उपलब्धियों की वजह से उन्हें जनता ने ’द आयरन लेडी’ नाम दिया। कर्णम आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव वोसवानिपेटा हैमलेट में 12 साल की उम्र से खेल के मैदान में उतरी थीं। उस समय उनके पिता कर्णम मनोहर फुटबॉल खिलाड़ी थे तो वहीं उनकी चार बहनें भारोत्तोलक खिलाड़ी थी। कर्णम मल्लेश्वरी बेहद कमजोर थीं और उन्हें भारोत्तोलक से दूर रहने को कहा गया। तब उनकी मां आगे आईं और उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने कर्णम को यह विश्वास दिलाया कि वह यह कर सकती हैं। 

1990 में कर्णम की जिंदगी में एक बड़ा बदलाव तब आया जब एशियाई खेल से पहले राष्ट्रीय कैंप लगा। इसमें कर्णम अपनी बहन के साथ एक दर्शक के रूप में गई थीं और खिलाड़ी के तौर पर इसका हिस्सा नहीं थीं, लेकिन इसी दौरान विश्व चैंपियन लियोनिड तारानेंको की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने तुरंत ही कर्णम की प्रतिभा को पहचान लिया और कुछ स्किल्स देखने के बाद उन्हें बैंगलोर स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में भेज दिया। यहां से कर्णम ने अपनी प्रतिभा दिखानी शुरू की और उसी साल अपना पहले जूनियर राष्ट्रीय वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 52 किग्रा भारवर्ग में नौ राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दिए। इसके एक साल बाद उन्होंने पहला सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप का खिताब भी जीत लिया।
 

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Content Writer

Shivam

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