सरकारी बेपरवाही के चलते बाढ़ की तबाही झेलने को मजबूर हैं हरियाणा के लोग: रणदीप सुरजेवाला

punjabkesari.in Saturday, Sep 13, 2025 - 08:43 PM (IST)

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा): अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव व कर्नाटक के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला प्रदेश के विभिन्न जिलों के बाढग़्रस्त क्षेत्रों में जाकर लगातार नुक्सान का जायजा ले रहे हैं और पीडि़तों से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने 6 सितंबर को अपने इस दौरे की शुरूआत की थी और पिछले करीब एक सप्ताह में वे यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, हिसार, जींद व फतेहाबाद 6 जिलों के तीन दर्जन गांवों में बाढग़्रस्त क्षेत्रों का जायजा ले चुके हैं।

शनिवार को कैथल के विभिन्न क्षेत्रों में दौरा करने के बाद सुर्जेवाला ने कहा कि बाढ़ मुआवजे के नाम पर भाजपा सरकार किसानों व मजदूरों के साथ भद्दा मजाक कर रही है। प्रदेश में बाढ़ व बरसात के चलते 47 लाख एकड़ फसल तबाह हो गई है। प्रदेश के 11 शहर, 72 कस्बे एवं 6150 गांव बाढ़ व बारिश से प्रभावित हुए हैं और सरकार गुमशुदा नजर आ रही है। सुर्जेवाला ने कहा कि अब बाढ़ के पानी से जहां बीमारियां फैल रही हैं तो वहीं पीने के पानी की भयंकर किल्लत हो गई है। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है। न जल निकासी का प्रबंध है और न ही किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है। सुर्जेवाला ने कहा कि चौतफरफा बाढ़ से ग्रस्त हरियाणा अब ‘‘भाजपाई ट्रिपल इंजन’’ के धोखे और निकम्मेपन के भंवर में फंसा है तथा सरकारी बेपरवाही और बाढ़ की तबाही झेलने को मजबूर हंै। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि हरियाणा के 7,353 गांवों में से 6,150 गांव बाढग़्रस्त हैं। 42 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं। खुद किसानों ने 25 लाख एकड़ कृषि भूमि का खराबा सरकारी पोर्टल पर दर्ज करवाया है। कपास हो, धान हो, बाजरा हो, गन्ना हो या सब्जियां, बेतहाशा नुकसान हुआ है। यमुना, घग्गर, मारकंडा, टांगरी, रूण, वेगना, सोम-पथराला नदियों के उफान पर आने से अनेक जगह तटबंध टूट गए हैं। सारे ट्यूबवैल व मोटरें खत्म हो गए हैं। सभी पीने के पानी के जलघर बाढ़ के पानी से दूषित हो गए हैं। सैंकड़ों की संख्या में मवेशी बह गए हैं। गांव की अंदरूनी व लिंक सडक़ें सब बाढग़्रस्त हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि कैथल के गुहला-चीका में 50 से अधिक गांवों में 30 हजार एकड़ से अधिक फसलें डूबी पड़ी हैं, जिनमें भागल, भऊपुर, रत्ताखेड़ा, धड़ाम, सिहाली, बूडऩपुर, मोहनपुर, मनझेड़ी, मैंगड़ा, सरोला, गंडोला, पीडल, पपराला, पिसौल, कमहेड़ी, भूना, खरल इत्यादि शामिल हैं। सरोला-रत्ताखेड़ा के पास घग्गर का तटबंध टूट गया है।

बरसात से पहले सरकार ने नहीं की नदी-नालों की सफाई

भाजपा सरकार पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने कहा कि एक तरफ पूरा हरियाणा बाढ़ से ग्रस्त है, तो दूसरी ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सैनी वीडियो शूट और जुबानी जमाखर्च में व्यस्त हैं। प्रदेश में बारिश से पहले कहीं भी न तो ड्रेनों की सफाई की गई, और न ही बाढ़ की रोकथाम के कोई और कदम उठाए गए। मुख्यमंत्री सहित सारी सरकार केवल चुटकुले सुनाने में व्यस्त रही। इसका परिणाम आज हरियाणावासी भुगत रहे हैं। भाजपा सरकार द्वारा न तो राज्य फ्लड कंट्रोल बोर्ड की बैठक बुला बारिश के सीजन से पहले बाढ़ प्रबंधन व रोकथाम का प्रोटोकॉल तैयार किया गया, न ही निर्देश दिए गए, न ही बजट आवंटित किया गया। मुख्यमंत्री द्वारा न ही बाढ़ प्रबंधन व रोकथाम के लिए जिला उपायुक्तों की बैठक बुलाई, न ही हिदायत दी, न ही जिला स्तर पर ड्रेन और नदियों के तटों को मजबूत करने का कोई पुख्ता इंतजाम किया गया, न ही कटाव को रोकने के लिए मिट्टी से भरे कट्टों व मशीनरी का इंतजाम किया गया, न ही छोटे और बड़े पंपिंग सैट्स व ऑपरेटर्स का इंतजाम किया गया, तथा न ही और जरूरी कदम उठाए गए। 

मुआवजे के नाम पर किसानों से किया जा रहा है मजाक

कांग्रेस महासचिव सुर्जेवाला ने कहा कि बाढ़ से जनता का हाल-बेहाल असल में सरकारी निकम्मेपन व लापरवाही का नतीजा है। जान-माल के नुकसान के बावजूद सरकार नहीं जाग रही है।  आज तक भी बाढ़ राहत व बचाव कार्यों के लिए भाजपा सरकार ने एन.डी.आर.एफ., पैरा मिलिट्री, सेना या किसी अन्य केंद्रीय एजैंसी से मदद लेने की कोई पहल नहीं की। दूसरी ओर मोदी सरकार भी ऐसे सोई पड़ी है, जैसे हरियाणा में कुछ हुआ ही न हो। प्रधानमंत्री मोदी को तो हरियाणा देश के नक्शे पर नजर ही नहीं आता। सुर्जेवाला ने कहा कि 9 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हवाई जहाज से पंजाब व हिमाचल आए, परंतु हरियाणा आने की तकलीफ भी नहीं की और न ही एक फूटी कौड़ी राष्ट्रीय आपदा कोष से हरियाणा को दी। हरियाणा की इससे बड़ी अनदेखी और क्या हो सकती है?  सब जानते हैं कि हरियाणा में खेती की एक एकड़ जमीन का पट्टा भी सालाना 70 हजार रुपए है। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने 7 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजे की घोषणा कर किसानों का मजाक उड़ाया है। गरीब, भूमिहीन एस.सी. और बी.सी. समाज के मजदूरों को तो एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी। नष्ट हुए मकानों का मुआवजा 1 लाख रुपए तक है, जबकि नुकसान काफी अधिक है। बाढ़ में मरी एक गाय या भैंस की कीमत डेढ़ से 2 लाख रुपए है, पर मुआवजा केवल 30 हजार रुपए तय किया गया है। इससे बड़ा मजाक क्या होगा कि बाढ़ में मरने वाले व्यक्तियों के जीवन की कीमत केवल 4 लाख रुपए है। समय आ गया है कि मुख्यमंत्री नायब सैनी हरियाणा के लोगों से बाढ़ कुप्रबंधन के लिए माफी मांगें और मुआवजे के नाम पर हरियाणा के लोगों का मजाक उड़ाना बंद करें। सुर्जेवाला ने कहा कि किसानों को 50 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा, बाढ़ से मौत होने पर 40 लाख रुपए मुआवजा, हर एस.सी. व बी.सी. परिवार को 50 हजार रुपए रोजगार खोने का मुआवजा, किसानों को ट्यूबवैल के नुक्सान का 1 लाख रुपए मुआवजा एवं मवेशी मारे जाने का डेढ़ लाख रुपए मुआवजा देना चाहिए।


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Content Writer

Yakeen Kumar

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