महागठबंधन के घटक दल कांग्रेस व ‘आप’ के लिए हरियाणा में पैदा हो सकता है सियासी संकट
punjabkesari.in Tuesday, Jul 25, 2023 - 11:20 PM (IST)

चंडीगढ़: हरियाणा में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर आम आदमी पार्टी की ओर से जोर-आजमाइश की जा रही है, तो वहीं राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए के खिलाफ ‘इंडिया’ का गठन कर महागठबंधन की नींव रखते हुए कांग्रेस सहित करीब 26 घटक दल भी एकजुट हो गए हैं और इनमें आम आदमी पार्टी भी शामिल है। ऐसे में अब पंजाब और हरियाणा जैसे प्रदेशों में आम आदमी पार्टी के बड़े चेहरों के लिए पांव जमाना और विशेषकर कांग्रेस के लिहाज से अपनी रणनीति को बदलना किसी चुनौती से कम नहीं है।
वहीं पंजाब व हरियाणा दोनों ही राज्यों में बहुत से बड़े चेहरे कांग्रेस से ही किनारा करके आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे और ये नेता कांग्रेस के खिलाफ मुखर भी रहे हैं, ऐसे में अब राष्ट्रीय स्तर पर हुए महागठबंधन में कांग्रेस एवं आप दोनों ही सहयोगी दल के रूप में है तो हरियाणा में कांग्रेस का विरोध करने वाली आम आदमी पार्टी के नेता अब कैसे कांग्रेस से दोस्ती का हाथ मिलाएंगे? यह बड़ा सवाल बना हुआ है। सियासी पर्यवेक्षकों का मानना है कि राष्ट्रीय स्तर पर 26 दलों के हुए महागठबंधन के चलते इसके दो घटक दलों कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लिए हरियाणा में आने वाले दिनों में सियासी संकट पैदा होने की संभावना बन सकती है, क्योंकि ये दोनों ही दल न केवल एक-दूसरे पर सियासी वार-पलटवार करते रहे हैं, बल्कि एक-दूसरे के खिलाफ संसदीय व विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। ऐसे में आगामी चुनावों के मद्देनजर इन दोनों दलों में पंजाब की ही भांति हरियाणा में भी एकजुटता के प्रयास सफल होने की उम्मीद कम ही नजर नहीं आती है।
गौरतलब है कि हरियाणा में अगले साल संसदीय एवं विधानसभा के चुनाव होने हैं। भाजपा, जजपा, कांग्रेस और इनैलो के अलावा आम आदमी पार्टी भी इन चुनावों को लेकर पूरी तरह से सक्रिय नजर आती है। इसी कवायद के अंतर्गत ही आप ने इसी साल जून में अपनी जंबो कार्यकारिणी का गठन किया और इस कड़ी में राज्यसभा के सदस्य डा. सुशील गुप्ता को पार्टी का प्रदेश प्रमुख बनाया गया था। विशेष बात यह है कि आम आदमी पार्टी के नैशनल कैंपेन कमेटी के चेयरमैन डा. अशोक तंवर लंबे समय तक कांग्रेस में रहे और पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ मतभेदों के बाद सितंबर 2019 में तंवर ने कांग्रेस से किनारा कर लिया और पिछले साल वे आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। इसी तरह से पूर्व मंत्री निर्मल सिंह व उनकी बेटी चित्रा सरवारा भी पहले कांग्रेस में थे। 2019 में निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा को कांगे्रस ने टिकट नहीं दी। इसके बाद निर्मल सिंह व चित्रा सरवारा दोनों बागी हो गए और कांग्रेस से किनारा करते हुए आजाद चुनाव भी लड़ा। निर्मल सिंह और चित्रा भी पिछले वर्ष आप में शामिल हुए। सियासी पर्यवेक्षकों का मानना है कि पंजाब में पिछले साल फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में आप ने कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करते हुए अपना संकल्प पत्र जनता के बीच रखा। यहां तक कि पंजाब में तो भगवंत मान और कांग्रेस के नेताओं में चुनावों के बाद भी अक्सर तीखी नोंक-झोंक देखने को मिलती है। ऐसी ही परिस्थिति हरियाणा में भी है। डा. अशोक तंवर, निर्मल सिंह, पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा सहित सभी बड़े नेता कांग्रेस को कोसते हुए नजर आते हैं।
सियासी पर्यवेक्षकों के अनुसार अब एनडीए के खिलाफ कांग्रेस और आप सहित करीब 26 घटक दल एकजुट हुए हैं और एक सांझा रणनीति बनाते हुए अगले साल मई में होने वाले लोकसभा चुनाव को मिलकर लडऩे का ऐलान कर दिया है, ऐसे में हरियाणा में आम आदमी पार्टी अब किस एजेंडे के साथ आगे बढ़ेगी? क्या कांग्रेस के साथ यहां भी पार्टी हाथ मिलाएगी या फिर लोकसभा चुनाव तक ही यह गठबंधन बना रहेगा? जैसे सवाल अभी से सियासी गलियारों में उठने लगे हैं। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में कई संसदीय सीटों को लेकर पेंच फंस सकता है। कांग्रेस 30 विधायकों के साथ हरियाणा में मुख्य विपक्षी दल है और ऐसे में कांग्रेस सीटों के बंटवारे को लेकर भी आम आदमी पार्टी को कितना समायोजित कर पाएगी, ये भी एक बड़ा सवाल महागठबंधन के सामने नजर आता है।
उल्लेखनीय है कि आम आदमी पार्टी पिछले काफी समय से हरियाणा में अपने पांव मजबूत करने में जुटी है। मूल रूप से हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले अरविंद केजरीवाल ने 2013 में दिल्ली में सरकार बनाने के बाद मई 2014 में हरियाणा की सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ा। इसके बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 46 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे मगर इन दोनों ही चुनावों में आप को कामयाबी नहीं मिली। अब पार्टी फिर से हरियाणा पर फोकस कर रही है। पार्टी ने पिछले साल हुए निकाय चुनाव में ताल ठोकी और नवंबर 2022 में हुए पंचायत चुनाव भी अपने दमखम पर लड़ा। जिला परिषद की 15 सीटों पर जीत के बाद आम आदमी पार्टी उत्साहित भी नजर आई। इसी तरह से अक्तूबर 2022 में आप ने आदमपुर उपचुनाव भी लड़ा। अप्रैल में पार्टी ने अपनी सभी इकाइयों को भंग करते हुए जून में नई कार्यकारिणी का गठन किया और उसके बाद से पार्टी के नेता लगातार जनता के बीच जा रहे हैं। खुद अरविंद केजरीवाल भी कुछ समय पहले हरियाणा में आए थे और ऐसा माना जा रहा है इस बार पार्टी पंजाब की तरह हरियाणा में जोर-शोर से चुनावी मैदान में उतरना चाहती है। गौरतलब है कि पंजाब में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 117 में से 92 सीटों पर जीत दर्ज और पहली बार पंजाब में सरकार बनाई। इसके बाद हिमाचल प्रदेश व गुजरात चुनाव में भी किस्मत आजमाई। गुजरात में करीब 41 लाख वोट लेने के बाद आप को राष्ट्रीय राजनीतिक दल का दर्जा मिला। इससे पार्टी कार्यकत्र्ता व नेता काफी उत्साहित नजर आते हैं और अभी से हरियाणा के विधानसभा चुनावों के लिए जुटे हुए हैं।
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