18% जीएसटी के कारण बंद होने के कगार पर प्लाईवुड से जुड़ा प्रिटिंग उद्योग
punjabkesari.in Monday, May 08, 2023 - 09:16 AM (IST)

यमुनानगर (अभिषेक दत्ता) : किसी समय पूरे भारत में प्लाईवुड उद्योग के नाम से यमुनानगर की पहचान थी। लेकिन विभिन्न कारणों के चलते आज यह उद्योग पिछड़ रहा है। इस उद्योग से जुड़े प्रिंटिंग उद्योग पर भी संकट केबादल मड़रा रहे हैं। इस उद्योग पर 18% जीएसटी लगने सहित अन्य कारणों से उद्योग की कई इकाइयां बंद होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं।
प्लाईवुड उद्योग से जुड़े प्रिटिंग एसोसिएशन यमुनानगर के पदाधिकारियों का कहना है कि अब डिजीटिलाइजेशन की वृद्धि और मुद्रण की मांग कम हो रही है। जिससे सूक्ष्म और छोटे प्रिंटर कठिन परिस्थितियों में हैं। कच्चा माल, विशेषकर कागज की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण छपाई की मांग भी कम हो रही है। कागज और अन्य कच्चे माल की कीमतों में अचानक वृद्धि के कारण देश भर के प्रिंटर इन दिनों चुनौतीपूर्ण समय का सामना कर रहे हैं। मुख्य रूप से 85 प्रतिशत से अधिक प्रिंटर बहुत कम पूंजी और परिचालन धन के साथ सूक्ष्म या लघु हैं, मुद्रण की घटती मांग के कारण उनके लिए जीवित रहना मुश्किल हो जाता है।
उन्होंने कहा कि मांग घटने का दूसरा कारण छपाई पर भारी दर यानी 18 प्रतिशत जीएसटी है। परिणामस्वरूप मुद्रित उत्पाद, जैसे पाठ्यपुस्तकें, स्टेशनरी, नोटबुक आदि आम जनता के लिए महंगे और अवहनीय होते जा रहे हैं। इस मरणासन्न उद्योग को बचाने के लिए टैक्स को अधिकतम 12 प्रतिशत पर युक्तिसंगत बनाना सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जिले के 2500-3000 लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुये हैं। यमुनानगर के लगभग 100से ज्यादा प्रिंटर इसी काम पर निर्भर हैं जो कि आज के समय में बेरोजगारों जैसा जीवन जीने को मजबूर है। सरकार को इस उद्योग की ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिजली के रेट ज्यादा हैं जिसमें फिक्स चार्जेज के रूप में प्रिंटरों को देने पड़ते हैं। जिसमें काफी नुकसान होता है।
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