'फाइनल फैसला है हरियाणा को नहीं देंगे एक बूंद पानी', जानिए क्या है पंजाब-हरियाणा के जल विवाद की पूरी कहानी

punjabkesari.in Thursday, May 01, 2025 - 04:55 PM (IST)

डेस्कः भाखड़ा नहर से पानी के विवाद को लेकर हरियाणा और पंजाब के बीच बवाल मच गया है। हरियाणा सरकार का दावा है कि राज्य के पास घरेलू उपयोग के लिए भी पानी नहीं बचा है। वहीं, पंजाब ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया था। लेकिन इस विवाद को लेकर बुधवार शाम को BBMB की इमरजेंसी मीटिंग हुई थी, जिसमें ये फैसला लिया गया कि हरियाणा के लिए साढ़े 8 हजार क्यूसिक पानी दिया जाएगा। अधिकारियों को इस बारे में आदेश भी दिए गए। यह मीटिंग केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्‌टर के आदेश पर हुई। हालांकि पंजाब सरकार के प्रतिनिधि ने इसका विरोध किया। जबकि, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान सरकार के प्रतिनिधि फैसले के पक्ष में रहे।

वाटर रेगुलेशन डायरेक्टर को हटाया

इससे पहले दोनों राज्यों के विवाद को देख भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) के वाटर रेगुलेशन डायरेक्टर के बाद सेक्रेटरी को बदल दिया गया है। सेक्रेटरी सुरिंदर सिंह मित्तल हरियाणा के कोटे से बोर्ड में नियुक्त थे। अब सेक्रेटरी का चार्ज पंजाब कोटे के बलवीर सिंह को दे दिया गया है। इससे पहले पंजाब कोटे से बोर्ड में नियुक्त भाखड़ा डैम के डायरेक्टर (वाटर रेगुलेशन) इंजी. आकाशदीप सिंह को हटाया गया था। उनकी जगह हरियाणा कोटे से नियुक्त इंजी. संजीव कुमार को डायरेक्टर रेगुलेशन लगाया गया है।
 
पंजाब सीएम भगवंत मान ने ये दी थी दलील

पंजाब सीएम भगवंत मान ने कहा था कि हरियाणा ‘डिप्लीशन अवधि’ में पहले ही पानी का अपना निर्धारित हिस्सा उपयोग कर चुका है। पोंग और रंजीत सागर जैसे दो बड़े बांधों में जलस्तर औसत से काफी नीचे है। पाक जाने से जो पानी रोका गया है, वो पानी हमें दे दो, हमारे डैम भर जाएंगे तो हम आगे यानी हरियाणा को पानी दे देंगे। उन्होंने कहा कि हम पंजाब किसानों को पानी के लिए परेशान नहीं कर सकते हैं, क्योंकि धान लगाने का सीजन आने वाला है। नहरी सिस्टम ठीक करने के बाद पानी हमारे लिए ही है। हम आगे पानी नहीं दे सकते हैं।  

21 मई के बाद पानी ले ले हरियाणाः मान

वहीं, आज भगवंत मान नंगल डैम पहुंचे। जहां पर उन्होंने कहा कि हरियाणा अपने हिस्से का पानी ले चुका और हमारे सभी डैम में पानी की कमी की है। उन्होंने कहा कि BBMB में गुंडागर्दी की गई है। पानी देने को लेकर फाइनल फैसला पंजाब लेता है। आगे कहा कि हमें भी पानी की जरूरत है। 21 मई के बाद हरियाणा पानी ले ले। इससे पहले हम हरियाणा को पानी के एक बूंद क पानी नहीं देंगे।

जल विवाद में हरियाणा सीएम ने क्या कहा...

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 27 अप्रैल को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखकर दावा किया कि पंजाब सरकार 23 अप्रैल को BBMB द्वारा लिए गए फैसले का सम्मान नहीं कर रही है, जिसमें हरियाणा को अतिरिक्त 4,500 क्यूसेक पानी देने की अनुमति दी गई थी। यह मांग 4 अप्रैल को उन्हें दिए गए 4,000 क्यूसेक से अलग है। 

सीएम सैनी ने कहा कि चुनाव आ गया है। अब AAP सरकार ऐसा ही करेगी। पंजाब के लोग ये समझ रहे हैं। AAP ये गंदी राजनीति कब तक करेगी। सीएम सैनी ने कहा कि लोग तो बुला बुलाकर पीने का पानी पिलाते हैं। आज तक के इतिहास में पीने के पानी को लेकर कोई भी विवाद नहीं हुआ। पंजाब हमारा बड़ा भाई है, क्यों दोनों के बीच डिफरेंस खड़ा कर रहे हैं। मेरा घर है पंजाब, क्या हम जाएंगे नहीं पंजाब। अगर पंजाब प्यासा रहता है तो हम अपने हिस्से का पानी वहां के लोगों को देंगे। मान सरकार के कारण हमारा पानी पाकिस्तान चला जाएगा।
 
पानी छोड़ने की अवधि

  • 1960 की इंडस जल संधि के तहत सतलुज, रावी और ब्यास का जल भारत को मिला। 
  • 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के बाद भाखड़ा प्रबंधन बोर्ड (बीएमबी) का गठन किया गया। 
  • भाखड़ा-नंगल परियोजना का प्रशासन और रखरखाव 1967 में इसे सौंप दिया गया। जब ब्यास परियोजना का काम पूरा हो गया, तो ब्यास निर्माण बोर्ड को बीएमबी को सौंप दिया गया। 1976 में इसका नाम बदलकर बीबीएमबी कर दिया गया। 
  • बीएमबी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ को पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करता है। हर साल, राज्यों को पानी का आवंटन दो बार तय किया जाता है। 
  • पानी छोड़ने की अवधि (डिप्लीशन पीरियड) 21 सितंबर से 20 मई के बीच है, जबकि भरने की अवधि (फिलिंग पीरियड) 21 मई से 20 सितंबर के बीच है।

(पंजाब केसरी हरियाणा की खबरें अब क्लिक में Whatsapp एवं Telegram पर जुड़ने के लिए लाल रंग पर क्लिक करें)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Deepak Kumar

Related News

static