रवि चोपडा द्वारा न्यूयॉर्क में विशाल गणेश रथयात्रा का हुआ आयोजन, अमेरीका में भी गणपति बप्पा मोरया की रही धूम
punjabkesari.in Saturday, Sep 30, 2023 - 10:32 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): भारतीय भले ही अपने देश में हों या फिर विदेश की धरती पर वे कभी अपने संस्कार, अपनी सभ्यता और संस्कृति को कभी नहीं भूलते हैं। विश्व की सबसे बडी अर्थव्यवस्था कहे जाने वाले अमेरिका में अपनी मेहनत और लगन के बूते देश का नाम रोशन कर रहे उद्यमी अगर धर्म और सेवा भाव के कार्यों से जुडे हों तब हिंदु संस्कृति से जुडे त्यौहारों को बडे पैमाने पर मनाया जाना भी लाजमी है। इस मौके पर उनके साथ शालू चोपडा, युवराज चोपडा और कुंवर चोपडा समेत अनेक भारतीय लोग इसके आयोजक रहे़।कार्यक्रम में न्यूयॉर्क राज्य विधानसभा के सदस्य एडवर्ड सी ब्रौनस्टीन, अध्यक्ष उमा मैसूरकर, अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य ग्रेस मेंग, न्यूयॉर्क राज्य के सीनेटर जॉन सी लियू, न्यूयॉर्क परिषद के सदस्य सैंड्रा मुख्य रूप से गणेश पूजन के लिए मौजूद रहे।
हिंदुस्तान की धरती पर गणपति बप्पा का नाम गूंजे और विदेश की धरती इससे अछूती रह जाए, विश्व के कोने कोने में बसे भारतीय ऐसा होने नहीं देते हैं। न्यूयॉर्क शहर में बसे प्रमुख व्यवसायी रवि चोपड़ा द्वारा गणपति महोत्सव को न्यूयॉर्क शहर में इतने विशाल स्तर पर आयोजित किया गया कि अमेरीका की अनेक बडी राजनीतीक हस्तियां भी इसमें भाग लेने और बप्पा की पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचने पर मजबूर हो गईं। रवि चोपडा द्वारा न्यूयॉर्क में विशाल गणेश रथयात्रा का आयोजन किया गया। इस मौके पर विशाल लंगर का आयोजन भी किया गया और समाज को मिल बांट कर खाने का संदेश दिया गया।
गणेश पूजन और रथयात्रा में अमेरीका के अलग अलग स्थानों से आए 10,000 लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम के आयोजक होटल व्यवसायी रवि चोपडा ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता हैं। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का मार्गदर्शक रहा है और भारत ने विश्व को विकास के मार्ग पर अग्रसर किया है। इसी कारण से भारत को विश्व गुरू भी कहा जाता था। उन्होंने कहा कि किसी भी देश का नागरिक जब अपनी सभ्यता, संस्कृति और इतिहास से दूर हो जाता है तब उस देश का ह्रास होता है लेकिन भारत की मिट्टी से जुडे लोग विश्व के किसी भी कोने में हों, वे अपने कल्चर को नहीं भूलते हैं। उन्होंने कहा कि गणेश पूजन भारत का एक प्रमुख त्यौहार है और यहसउनकी नैतिक जिम्मेदारी है कि वे कहीं पर भी रहें लेकिन अपने देवताओं का पूजन जरूर करें।
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