बढ़ते तापमान ने फुलाई किसानों की सांसें, फसलों पर पड़ रहा भारी असर

punjabkesari.in Monday, Feb 17, 2020 - 12:28 PM (IST)

कैथल (महीपाल) : पिछले कुछ दिनों से लगातार तापमान बढ़ रहा है, जिससे किसान चिंतित है। सर्दी के मौसम में पहली बार तापमान 28 डिग्री पर पहुंच गया है। वहीं, मौसम विभाग की माने तो यह तापमान और बढ़ेगा। दोपहर के समय में लोग गर्म कपड़े उतार रहे हैं। वहीं, धूप में भी खड़ा होना मुश्किल है। लगातार बढ़ रहे तापमान के बाद किसान परेशान हैं। रविवार को अधिकतम तापमान 28 डिग्री व न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सैल्सियस दर्ज किया गया है।

ऐसे में यदि तापमान में इसी प्रकार से वृद्धि होती रही तो इस बार किसानों का पीला सोना धोखा दे सकता है। तापमान के कम या अधिक होने का सीधा सा असर गेहूं की फसल पर पड़ता है। इससे सबसे ज्यादा पीले रतुआ के प्रकोप को लेकर सता रहा है। हालांकि इसका असर अन्य फसलों पर भी पड़ता है लेकिन इस पर गेहूं की फसल को कम तापमान की जरूरत है, जबकि तापमान अधिक चल रहा है। इससे न केवल किसान बल्कि कृषि विज्ञानियों के माथे पर भी चिंता की लकीरें देखी जा सकती हैं। सबसे विशेष बात यह भी है कि यदि कोई बीमारी हो तो किसान दवाई से उस पर काबू कर ले लेकिन पीला रतुआ बीमारी तेजी से फैलने के कारण इस पर आसानी से नियंत्रण भी नहीं पाया जा सकता।

आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो वर्तमान में जिले में डेढ़ लाख हैक्टेयर से भी अधिक क्षेत्र में गेहूं की फसल लगाई गई है। गेहूं की फसल प्रदेश की अहम फसल है तथा प्रदेश में करीब 80 प्रतिशत भूमि पर वर्तमान में गेहूं की फसल ही है। गेहूं की फसल को इस समय कम तापमान की जरूरत है। यदि तापमान में बढ़ौतरी इसी कद्र से जारी रही तो गेहूं जल्द बालियां ले लेगी और गेहूं का दाना मोटा नहीं हो सकेगा। इसका सीधा सा असर गेहूं उत्पादन पर पड़ेगा। किसान अंग्रेज सिंह गुराया, रामबीर, तेजपाल ने  ताया कि फरवरी महीने में इतनी गर्मी नहीं देखी। यह माह ठंडा होना चाहिए। धुंध भी कुछ खास नहीं आई है।

कई दिनों से तेज हवाएं चल रही हैं। इस कारण ओस भी नहीं आ रही है। अगर अब एक बरसात हो जाए तो अच्छी बरसात हो सकती है। गेहूं की बिजाई लेट होने के कारण पौधे में बढ़ौतरी नहीं हुई है। बरसात नहीं हुई तो उप्तादन पर असर पड़ेगा। अगर ऐसा ही मौसम रहा तो फसलों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। अब तक तो गेहूं की फसल सही खड़ी थी लेकिन अब पिछले एक सप्ताह से तापमान में आई एकाएक वृद्धि ने गेहूं का रंग बदल दिया है। यदि तापमान यूं ही बढ़ता रहा तो वे कहीं के  नहीं रहेंगे। किसानों का कहना है कि यदि तापमान में कटौती नहीं हुई तो गेहूं का उत्पादन 30 प्रतिशत तक कम हो सकता है। बीमारी आने से पूर्व ही कृषि वैज्ञानिकों की टीम खेतों में पहुंच चुकी है तथा फसल का निरीक्षण कर रही है।

किसान एवं कल्याण विभाग के उप कृषि निदेशक कर्मचंद ने बताया कि गेहूं की फसल में पीला रतुआ नामक बीमारी आने की संभावना बढ़ी हुई है। यदि यह बीमारी खेतों में आ जाती है तो इसके लक्षण पत्तों पर पीला रंग के छोटे-छोटे धब्बे कतारों में बन जाते हैं। कभी-कभी ये धब्बे पत्तियों के डंठलों पर भी पाए जाते हैं। इसके नियंत्रण के लिए इस बीमारी के लक्षण नजर आते ही 200 मिली लीटर प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत ई.सी. को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। यदि मौसम रोग फैलाने के अनुकूल हो तो इस छिड़काव को 10-15 दिन के अंतराल के बाद दोहराएं। विभाग द्वारा किसानों के लिए विभिन्न सरकारी संस्थानों के माध्यम से 50 प्रतिशत अनुदान पर दवाई उपलब्ध करवाने का प्रबंध किया गया है। 

अनुदान प्राप्त करने के लिए किसान संबंधित संस्थानों जैसे हैफेड, एच.एल.आर.डी.सी., एच.ए.आई.सी., एच.एस.डी.सी. से खरीद कर उसका बिल व बैंक खाते का विवरण अपने क्षेत्र के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग में प्रस्तुत करें ताकि अनुदान की राशि उसके बैंक खाते में डाली जा सके। सहायक पौधा संरक्षण अधिकारी दिनेश शर्मा ने पीला रतुआ बीमारी को लेकर गांव हरिगढ़ किंगन व आसपास गांव के खेतों का मुआयना किया परंतु खेत में पीले रतुआ बीमारी नहीं मिली। खेतों के सर्वे के दौरान अभी जिला में पीला रतुआ बीमारी का खेत नहीं मिला।


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Isha

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