20 सितंबर को होंगे रोड जाम, 25 को देश बंद का ऐलान: गुरनाम सिंह चढूनी

punjabkesari.in Saturday, Sep 19, 2020 - 12:23 PM (IST)

हिसार(विनोद): भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी हिसार में अनाज मंडी में धरने पर पहुंचे। गुरनाम सिंह ने धरने पर पहुंचकर किसानों को संबोधित किया और ऐलान किया कि 20 सितंबर को रोड जाम किए जाएंगे वही 25 सितंबर को पूरा भारत बंद किया जाएगा। पत्रकारों से बातचीत करते हुए गुरनाम सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 3 अध्यादेश लाए जा रहे हैं वह किसानों के हित में नहीं है। जिसको लेकर आज पूरे देश का किसान धरना प्रदर्शन कर रहा है। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य, किसान कर्जा मुक्ति को लेकर पूरे देश में किसान आंदोलन कर रहे हैं कल 19 तारीख को आंदोलन की रूपरेखा बनाकर 20 तारीख को सभी किसान रोड जाम करेंगे, वहीं 25 सितंबर को पूरा देश बंद किया जाएगा।

चडूनी ने कहा है कि हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला में अगर थोड़ी भी शर्म बाकी है, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। किसानों के लिए लाये जा रहे तीन नये कृषि अध्यादेशों पर भाजपा की घटक दल की केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने जब इस्तीफा दे दिया तो दुष्यंत को भी सरकार से अलग हो जाना चाहिए। चडूनी आज हिसार में नई अनाज मंडी में भारतीय किसान यूनियन द्वारा दिये जा रहे धरना प्रदर्शन में पहुंचे थे। यहां उन्होंने ये बात पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। उन्होंने इन तीन अध्यादेशों के खिलाफ यूनियन की भविष्य की रणनीति भी बतायी।

केन्द्र सरकार के तीन कृषि अध्यादेशों को वापिस लेने के लिए चल रहा किसानों का आंदोलन तेजी पकड़ता जा रहा है। जगह जगह प्रदर्शन व धरना हो रहे हैं। हिसार में चल रहे धरना प्रदर्शन में भाग लेने के लिए भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चडूनी पहुंचे तो उन्होंने हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला पर निशाना साधा। चडूनी ने बताया कि 20 सितम्बर से उनके आंदोलन का अगला दौर शुरू होगा। ये आंदोलन राज्य से शुरू होकर पूरे देश के स्तर तक पहुंचेगा। सरकार किसानों की मांग नहीं मानती है तो पूरे देश के किसान बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।

एक सवाल के जवाब में किसान नेता ने कहा कि दिल्ली में यूनियन की गुटबंदी के आरोप बेबुनियाद हैं। ये सब भारतीय जनता पार्टी सरकार की चाल है जो किसानों को बांटना चाहते हैं। दूसरे गुट में किसान नेता न होकर भाजपा के ही नुमाइंदे शामिल हैं।भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष ने तीन अध्यादेशों को लेकर कहा कि ये अमेरिका के दबाव में लाया गया अध्यादेश है। इससे आम जनता को एक प्रतिशत फायदा नहीं होगा। पूरा का पूरा फायदा कार्पोरेट जगत को होगा। उन्होंने कहा कि ये देश के डब्ल्यूटीए में शामिल होने के कारण हो रहा है। इससे सिर्फ और सिर्फ किसानों का शोषण होगा।

जिस प्रकार इन तीन कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसान एकजुट हो रहे हैं और किसानों को राजनीतिक पार्टियों का समर्थन मिल रहा है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टियां पूरे देश में केन्द्र सरकार के खिलाफ मोर्चा बंदी करने में सफल हो सकती हैं। काफी लंबे समय के बाद राजनीतिक पार्टियों को एक मुद्दा मिला है जिस पर हरियाणा व पंजाब के बाद अन्य राज्यों में भी केन्द्र सरकार का विरोध शुरू हो सकता है। अकाली दल की केन्द्रीय मंत्री के इस्तीफा देने के बाद ये मुद्दा और जोर पकड़ सकता है। अब देखना होगा कि केन्द्र सरकार इस मुद्दे पर किसानों की आवाज सुनकर उनकी आपत्तियों को दूर करेगी, या फिर अध्यादेश को कानून बनाकर किसानों का आक्रोश झेलेगी।


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Isha

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