कहीं बांछें खिलीं तो कहीं सांसें अटकीं !

punjabkesari.in Saturday, Oct 19, 2019 - 10:53 AM (IST)

डेस्कः चुनावी महाभारत के अंतिम क्षणों में मजबूत उम्मीदवारों की सुनिश्चित जीत से बांछें खिली हुई हैं तो  चुनावी भंवर में फंसे दिग्गजों की सांसें अटकी हुई हैं। कुछ सीटों पर तो तस्वीर साफ दिखाई दे रही है जिसमें जीतने वाले को पता है कि वह जीत रहा है और हारने वाले को यह आभास हो गया है कि उसकी नैया भंवर में फंस चुकी है। जीतने वाला इसलिए अब  पैसा नहीं बहा रहा, हारने वाला इसलिए अब हाथ खींच रहा है। कुछ सीटों पर इतना कांटे का संघर्ष बन गया है कि सटोरिए और राजनीतिक पंडित रंग बदलने में गिरगिट को भी मात कर रहे हैं। राजनीतिक कार्यकत्र्ताओं को भी पता चल गया है कि ऊंट किस करवट बैठ रहा है तो वह भी बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं। 

नीरस मुकाबलों ने बढ़ाई मतदान की ङ्क्षचता! 
जिन सीटों पर मतदान से पहले ही परिणाम मालूम है, वहां नीरसता ने मतदाताओं का उत्साह ठंडा कर दिया है। मजबूत उम्मीदवार अपनी जीत का अंतर बढ़ाना चाहते हैं तो कमजोर उम्मीदवार अपनी जमानत सुरक्षित रखने के लिए संघर्ष करते दिखाई दे रहे हैं। मुकाबला न होने के कारण इसका असर मतदान के प्रतिशत पर पड़ता दिखाई दे रहा है। कम मतदान होने की आशंका से ङ्क्षचतित मजबूत उम्मीदवार ने अपने शक्ति केंद्र प्रमुखों को मसालेदार भोजन तो कराया ही, साथ ही यह लक्ष्य निर्धारित कर दिया कि जिसके केंद्र में सर्वाधिक मतदान होगा उसे वह मतगणना के बाद सम्मानित करेंगे और पुरस्कार देंगे। यह पुरस्कार का प्रोत्साहन मतदान का कितना प्रतिशत बढ़ा पाता है, यह तो 21 अक्तूबर को पता चलेगा।


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Isha

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