किरण चौधरी की सदस्यता पर स्पीकर का फैसला असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट जाएगी कांग्रेस

punjabkesari.in Saturday, Jul 27, 2024 - 11:52 AM (IST)

चंडीगढ़ : कांग्रेस विधायक दल के चीफ विहिप भरत भूषण बत्तरा और विधायक दल के उपनेता अफताब अहमद ने चंडीगढ़ कांग्रेस कार्यालय पर संयुक्त प्रेसवार्ता में कहा कि पूर्व कांग्रेस विधायक किरण चौधरी के खिलाफ दायर की दल- बदल विरोधी याचिका को तकनीकी आधारों पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा गलत तरीकों से खारिज किया गया है। स्पीकर ने विपक्ष की याचिका को खारिज करके संविधान की दसवीं अनुसूची की अवहेलना की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी स्पीकर के इस व्यवहार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेगी।

इस दौरान उनके साथ हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के मीडिया एवं कम्यूनिकेशन इंचार्ज चांदवीर हुड्डा भी रहे। उन्होंने कहा कि हमको उनके फैसले की आलोचना करने का पूरा अधिकार है। पिछले दिनों स्पीकर ने पूर्व कांग्रेस विधायक किरण चौधरी की सदस्यता रद्द करने को लेकर जो फैसला सुनाया है, वह अज्ञानता का प्रतीक है। स्पीकर ने ऐसा करके संविधान के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास किया है। संविधान की दसवीं अनुसूची के भाग दो में लिखा है कि सदस्यता रद्द करने के लिए कानून के जो नियम होते हैं, वह उन्हें रोक नहीं सकते। विधानसभा स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपना फैसला दिया है जो कि गैर- कानूनी है और संविधान की अवेहलना करता है।

उन्होंने कहा कि संविधान की दसवीं अनुसूची का भाग दो इस संबंध में कार्रवाई करता है। इसके अनुसार कोई भी नेता किसी पार्टी से विधायक बना हुआ है और वह उसकी सदस्यता छोड़ता है उसी समय सदन से भी स्वेच्छा से डिसक्वालिफाई हो जाता है। इसके लिए कानून में रुल्स की आड़ लेना और रूल्स के मुताबिक स्पीकर की पीटिसन आपके पास आना लैंडमार्क ऑफ सुप्रीम कोर्ट कहता है कि इन चीजों की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि किरण चौधरी ने जब कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया वो स्पीकर के संज्ञान में भी है और कांग्रेस पार्टी ने इस संबंध में उनको पहला नोटिस दिया वो भी उनके संज्ञान में है। संविधान के मुताबिक स्पीकर का कर्तव्य बनता है कि सदन के एक सदस्य ने इस्तीफा दे दिया है तो उसी समय स्पीकर को कार्रवाई करनी चाहिए थी। लेकिन किरण चौधरी विधानसभा में अवैध रूप से अपनी सदस्यता को जारी रखे हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के डा. महाचंद्रा प्रसाद सिंह बनाम चेयरमैन बिहार लेजेस्लेटिव काऊंसिल के केस का हवाला दिया

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के डा. महाचंद्रा प्रसाद सिंह बनाम चेयरमैन बिहार लेजेस्लेटिव काउंसिल के केस का हवाला देते हुए बताया कि कोई भी नियम संविधान की दसवीं अनुसूची की अवमानना के लिए नहीं है। सभी नियम उसकी सुविधा के लिए है। हरियाणा विधानसभा के 1987 में बने नियम 5 के अनुसार उस याचिका की जांच हमने स्वय करके दी है और उसके साथ एफिडेविट भी लगाकर दिया है। संविधान की दसवीं अनुसूची कहती है कि उसकी आवश्यकता नहीं है, लेकिन स्पीकर को सभी दस्तावेज मुहैया करवाने के लिए पार्टी ने एफिडेविट याचिका के साथ दिया था। उन्होंने बताया कि स्पीकर ने उस याचिका को हमारे हस्ताक्षर न होने के कारण रद्द किया है जबकि संविधान में ऐसा कोई नियम नहीं है। स्पीकर पार्टी की छोड़ने की जानकारी पर ही विधायक की सदस्यतता को रद्द कर सकते हैं। लेकिन स्पीकर सत्ता पक्ष से संबंध रखते है इसलिए उन्होंने विपक्ष का पक्ष लेना भी उचित नहीं समझा। उन्होंने कहा कि स्पीकर हमें बुलाकर भी उस याचिका पर हस्ताक्षर करवा सकते थे।

अगर याचिकाकर्ता याचिका वापस भी ले तो भी स्पीकर को कार्रवाई नहीं रोकनी चाहिए

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में डॉ. महाचंद्रा प्रसाद वाली दलील का हवाला देते हुए कहा कि अगर याचिकाकर्ता अपनी याचिका को वापस भी ले तो स्पीकर को इस याचिका पर कार्रवाई नहीं रोकनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये व्यक्ति विशेष या पार्टी का मुकदमा नहीं है। ये विधायक के दल-बदल का विषय है। स्पीकर को निस्वार्थ भाव से इस संदर्भ में कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा हम स्पीकर के संज्ञान में ये लाना चाहते हैं कि संविधान की दसवीं अनुसूचि यह कहती है कि सदस्यता को रद्द करने के लिए किसी याचिका की जरूरत नहीं है सिर्फ जानकारी काफी है। काग्रेस ने सबसे पहले स्पीकर को नोटिस के माध्यम से इसकी जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि स्पीकर कांग्रेस पार्टी को इसा फनहीं देना चाहते इसलिए उन्होंने असंवैधानिक तरीके से कार्रवाई की है। स्पीकर संविधान और उसकी दसवीं अनुसूची की अवेहलना कर रहे हैं। उन्होंने चेताया कि एक बार स्पीकर का द्वार खटखटायेंगे और अगर सुनवाई नहीं हुई तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

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Content Writer

Manisha rana

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