DU की छात्राएं भी किसान आंदोलन के समर्थन में आई, गांव की महिलाओं से कर रही ये अपील

punjabkesari.in Thursday, Dec 03, 2020 - 02:28 PM (IST)

गोहाना (सुनील जिंदल): किसान आंदोलन का हर दिन अलग रूप नजर आ रहा है, जहां एक तरफ कई हजार किसान बॉर्डर पर अपने हक के लिए खड़े हुए हैं, तो वहीं अब दिल्ली यूनिवर्सिटी की लड़कियां भी किसान आंदोलन के समर्थन में आई गई हैं। वह पोस्टर बनाकर घरों में रहने वाली महिलाओं को घर से बाहर निकलने की अपील कर रही हैं। महिलाएं चूल्हे चौके तक सीमित नहीं हैं, वक्त पड़ने पर महिलाएं क्रांति भी ला देती हैं। कुंडली बॉर्डर पर काफी ऐसी बेटियां हैं जो पोस्टर बना कर मीडिया के माध्यम से गांव देहात की महिलाओं से अपील कर रही हैं। 

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किसान आंदोलन में पहुंची दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा ने कहा कि गांव की सभी महिलाएं खेतों में पुरुष के बराबर काम करती हैं, लेकिन उनको उनके बराबर का हक नहीं मिलता और उन्हें हमेशा कमतर आंका जाता है, लेकिन महिलाएं हर क्षेत्र में बराबर मैदान में उतरती हैं और किसान आंदोलन में भी अब बराबर में खड़ी होंगी। हालांकि कुंडली बॉर्डर पर महिलाओं की संख्या काफी कम है, लेकिन पोस्टर बनाकर मीडिया के माध्यम से गांव देहात की महिलाओं को आंदोलन में शामिल होने की अपील की जा रही है। 

उन्होंने कहा कि महिला भी किसान होती हैं और उनके बारे में कोई बात नहीं करता। गांव में पुरुष के बराबर ही महिला खेत में काम करती हैं, लेकिन कहीं ना कहीं उनके काम की कोई वैल्यू नहीं आंकी जाती। अब पोस्टर के माध्यम से उन सभी महिलाओं को अपनी ताकत का अंदाजा पोस्टरों के माध्यम से बताया जा रहा है, जिनमें लिखा है औरतें क्रांति करती हैं, उन्हें भी इस मैदान में आगे आना चाहिए। 

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इसके साथ ही लेबर क्लास लोगों के बीच में भी जाकर उनका संगठन अपने हक की लड़ाई के लिए जागरूक कर रहा है। जहां मजदूरों से भी 12 से 18 घंटे काम किया जाता है और उनका शोषण किया जाता है, लेकिन उनकी सुनने वाला और उनके हक को उठाने वाला कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई छात्रों और किसानों से जुड़ी हुई है। स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन किसानों के लिए खड़ी हुई है। महिलाओं को जागरूक करते हुए कहा कि कि उनकी जगह केवल घरों में नहीं है बल्कि किसी भी हक की लड़ाई के लिए मैदान भी है। 

वहीं एक अन्य छात्रा ने कहा कि अभी तक पंजाब का इतिहास यह रहा है कि महिलाएं भी कई आंदोलन में हिस्सेदार रही हैं। उन्होंने कहा कि तीन कानून में महिलाओं की संख्या ज्यादा नहीं है, लेकिन महिलाएं भी अब आगे आने लगी है। औरतें जो क्रांति करती हैं, वह रोटी बनाने या कॉफी बनाने के लिए नहीं है। 


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vinod kumar

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