अगले 2 साल में 4,000 और प्ले-वे स्कूल खोलने का लक्ष्य: मनोहर लाल

punjabkesari.in Saturday, Sep 23, 2023 - 09:11 PM (IST)

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति - 2020 में नीहित 3 से 6 वर्ष तक की आयु के बच्चे के संज्ञानात्मक और बौद्धिक क्षमता के विकास पर बल देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने 4,000 प्ले-वे स्कूल खोलें हैं। इन स्कूलों में लगभग 40 हजार बच्चों का दाखिला हुआ है। इसके अलावा, सरकार ने अगले 2 साल में 4,000 और प्ले स्कूल खोलने का निर्णय लिया है। इनके लिए लगभग 2500 भवन चिन्हित कर लिए गये हैं।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शनिवार को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री की विशेष चर्चा कार्यक्रम के तहत ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्ले स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों के अभिभावकों से संवाद किया। संवाद के दौरान बच्चों के माता पिता ने कहा कि सरकार द्वारा प्ले स्कूलों की जो सुविधा शुरू की गई है, उससे बच्चों को बहुत लाभ हो रहा है। पहले आंगनवाड़ियों में शिक्षा उतनी बेहतर नहीं होती थी लेकिन अब प्ले स्कूलों में खेल के साथ साथ बच्चों को अच्छी शिक्षा भी दी जा रही है। अभिभावकों ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि इन स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक भोजन, खेल की सुविधाएं इत्यादि बहुत सुविधाएं मिल रही हैं।मुख्यमंत्री  ने कहा कि पहले के समय में घरों में आंगन और गलियां ही हमारा खेलकूद का स्थान होता था, लेकिन आजकल ऐसे स्कूल समाज की जरूरत बन गए हैं। आज के आधुनिक दौर में हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, इसलिए लोग अपने बच्चों को प्ले स्कूल में पढ़ाई के लिए भेजते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश के उज्ज्वल भविष्य की चिंता करते हुए 3 साल की आयु से ही बच्चों के लिए खेल-खेल में शिक्षा का प्रबंध किया है। आज के आधुनिक दौर में हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, जिससे आगे चलकर वे बेहतर इंसान बन सकें। इस जरूरत को जानते हुए निजी क्षेत्र में अनेक प्ले स्कूल खोले गये। लेकिन उनमें धनवान परिवारों के बच्चों को ही दाखिला दिया जाता रहा है। हमने गरीब से गरीब परिवार के बच्चों के लिए भी प्ले स्कूल की व्यवस्था करने के लिए पूरे राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र में ये स्कूल खोले हैं।

उन्होंने कहा कि सरकारी प्रयासों के अलावा कुछ समाज सेवकों ने भी प्ले स्कूलों की व्यवस्था में रूचि दिखाई है। जिला जींद में श्रीमती राजपति ने अपने गांव में प्ले स्कूल को गोद लिया है और वे इसके सुचारू संचालन में गहरी रूचि लेती हैं। यही नहीं, वे बच्चों की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें पौष्टिक भोजन भी देती हैं। इसी प्रकार, जिला झज्जर के गांव डीघल में ग्राम वासियों ने प्ले स्कूल के लिए 11 पंखें दिए हैं। इसके अलावा, विभिन्न कंपनियों, बैंकों और स्वयंसेवी संस्थाओं से भी प्ले स्कूलों में योगदान करने के अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्ले स्कूलों में बच्चों के लिए स्वच्छ पानी की व्यवस्था हेतु हमने हर स्कूल में वाटर प्यूरीफायर लगाये हैं। बच्चों को तस्वीरें बहुत भाती हैं, इसलिए इन स्कूलों में वॉल पेंटिंग्स लगवाई गई हैं। उनके खेलने के लिए झूले और स्लाइडर भी लगवाए हैं। बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए हमने खिलौनों का विशेष प्रबंध किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश के 4 हजार प्ले स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का सर्वे करवाया है। इसमें पिछले एक साल में 3 से 5 साल तक के बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास का डेटा प्राप्त किया है। इसके अनुसार पिछले एक साल में बच्चों की भाषा का स्तर बढ़ा है और मैथ में सबसे पीछे रहने वाले हरियाणा अब आगे बढ़ने लगे हैं। हमने पाया है कि 3 से 5 साल की आयु वर्ग के बच्चों में मैथ स्किल की अभी भी कमी है। इसलिए इस पर फोकस करने का निर्णय लिया गया है, ताकि हरियाणा के बच्चे न केवल शारीरिक बल्कि मैथ में भी मजबूत बने। सरकार यह सर्वे हर साल करवाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी तक इस आयु वर्ग के बच्चों के लिए आंगनवाड़ियों और इससे बड़े बच्चों के लिए प्राथमिक विद्यालयों का प्रावधान किया जाता रहा है लेकिन हमने इस आयु वर्ग के बच्चों की देखभाल और प्रारंभिक शिक्षा के लिए आंगनवाड़ी केन्द्रों को प्ले स्कूल में अपग्रेड करने का काम किया है। 

हमने इससे भी छोटे उन बच्चों की देखभाल के लिए 500 क्रेच स्थापित करने का निर्णय लिया, जिनकी माताएं कामकाजी हैं। अब तक 165 क्रेच खोले जा चुके हैं और 335 क्रेच खोलने के लिए जगहों की पहचान कर ली गई है। मुख्यमंत्री ने सभी माता-पिता और अभिभावकों से अनुरोध किया कि आप अपने बच्चे को पूरा समय दें। आपको उनसे घुल-मिलकर उन्हें टाइम भी देना होगा, जब आप बच्चों को समय देंगे, तो वे न केवल भावनात्मक रूप से मजबूत होंगे. बल्कि उनका मानसिक विकास भी तेजी से होगा। इससे वे न केवल पढ़ाई-लिखाई में अव्वल होंगे, बल्कि वे ज्ञानवान और संस्कारवान बनेंगे।

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Content Editor

Ajay Kumar Sharma

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