किसानों की मांगे जायज हैं, इन्हें तुरंत मान लेना चाहिए ताकि वाद-विवाद खत्म हो: कुलदीप सिंह

punjabkesari.in Saturday, May 15, 2021 - 03:27 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : आज कोरोना की लड़ाई में देश की सेना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। एक और जहां सेना ने अपने अस्पताल आम जनता के लिए खोल दिए हैं। वहीं ऑक्सीजन की भारी किल्लत के समय ऑक्सीजन को लाने ले जाने के लिए देश की वायु सेना और नेवी बड़ा योगदान दे रही हैं। इसी कड़ी में अब पूर्व ब्रिगेडियर एवं ऑल इंडिया डिफेंस ब्रदर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलदीप सिंह काहलो ने पंजाब केसरी से बातचीत के दौरान कहा है कि हरियाणा प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को पूर्व सैनिकों के जज्बे, अनुभव, ट्रेनिंग का फायदा लेंना चाहिए।

पूर्व सैनिक हमेशा देश की हर मुश्किल के समय आगे रहे हैं। चाहे युद्ध का मैदान हो या सुनामी हो। चाहे भूकंप हो या कानून व्यवस्था बहाल करने की बात हो। सैनिक अपनी भूमिका हमेशा निभाते रहे हैं और आज कोरोना की इस लड़ाई में पूर्व सैनिक भी तैयार है। बस एक अपील की जरूरत है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अगर यह अपील करें तो यह मोर्चा भी पूर्व सैनिक संभालेंगे और यह लड़ाई जीत कर दिखाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि किसान अपनी जायज मांगों को लेकर दिल्ली के चारों और बैठे हैं। ऐसे समय में प्रधानमंत्री को उनकी मांगों को मान लेना चाहिए और वाद विवाद को खत्म कर देना चाहिए। और भी कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर उनसे बातचीत हुई। जिसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रश्न : प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का यह बयान कि लगने वाले ऑक्सीजन प्लांटों की व्यवस्था सेना करें। इससे आप कितने सहमत हैं ?
उत्तर :
मैं समझता हूं कि मंत्री जी की यह एक अच्छी सोच है। क्योंकि इन्होंने किसानों के लिए भी प्रधानमंत्री तक एप्रोच की थी कि यह मामला तुरंत हल किया जाए। इसका प्रभाव कोरोना पर भी पड़ सकता है। अभी जो इनका कहने का मकसद यह है कि देश में आज ऑक्सीजन की दुर्दशा ऐसी हुई है कि ऑक्सीजन के पीछे भाग दौड़ मची हुई है। ब्लैक मेलिंग हो रही है। ब्लैक मार्केटिंग और चौरबाजारी चल रही है। क्योंकि हर जगह कुछ एलिमेंट ऐसे होते हैं जो माहौल को बिगाड़ना चाहते हैं। कोई दुर्घटना न घटे इसलिए इस प्रकार का बयान दिया गया है।

प्रश्न : लेकिन निगरानी के लिए तो सिविल एडमिनिस्ट्रेशन भी हैं ?
उत्तर :
सिविल एडमिनिस्ट्रेशन जब फेल हो जाती है, हाथ खड़े कर देती है। फिर फौज को याद किया जाता है। खासतौर पर हम हरियाणा की बात करें तो बहुत सारे रिटायर्ड फौजी, हमारी जत्थे बंदिया खासतौर पर ऑल इंडिया डिफेंस ब्रदर्स जो कि 1997 से रजिस्टर बॉडी है। प्रशासन का फर्ज बनता है कि उनसे अपील करें। मंत्री जी खुद आगे आएं और अपील करें। उन्हें ड्यूटीयां सौंपी जाए। फिर आगे वह संभालेंगे। क्योंकि पूर्व सैनिकों ने इस प्रकार के बहुत से काम जैसे कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए, भूकंप के दौरान, सुनामी जैसे हालातों में भी काम किए हैं। उनके पास क्षमता है, अनुभव है, ट्रेनिंग है। मैं समझता हूं कि इनका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

प्रश्न : आपका मानना है कि पूर्व सैनिकों को न्योता दिया जाना चाहिए ?
उत्तर :
बिल्कुल, पुलिस अपनी जगह है और फौज अपनी जगह है। फौज की अपनी लिमिटेशन है, बहुत से काम है। मैं समझता हूं कि उनकी योग्यता, ट्रेनिंग डिसिप्लिन और देशवासियों के प्रति उनका जज्बा इसका फायदा लेने के लिए मंत्री अनिल विज को चाहिए कि वह जत्थे बंदियों से अपील करें, इंवॉल्व करें। मुझे पूरी उम्मीद है फिर वह अपना काम करके दिखाएंगे।

प्रश्न : पूरे भारत में कोरोना से निपटने के लिए अस्थाई अस्पताल फौज द्वारा खोले जाने हैं जो कि हरियाणा में भी दो अस्पताल खोले जा रहे हैं ?
उत्तर :
2 दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी की तरफ से हमारी हिंदी, पंजाबी, उर्दू बहुत सी अखबारों में एक लेख छपा है। उसमें बहुत जगह फौज की इंवॉल्वमेंट बताई गई है जैसे चंडीगढ़ में, पटियाला में बैडो की व्यवस्था हो रही है। देश में 19 अस्थाई अस्पताल बनाए जा रहे हैं। इन सबमें 4000 बैड़ों की व्यवस्था रहेगी। दिल्ली में हमारे चार सौ बेड के अस्पताल को बढ़ाकर 1000 तक किया जा रहा है। ऑक्सीजन कंटेनर लाने में हमारी एयर फोर्स, नेवी बहुत बड़ा योगदान दे रही है। दवाइयों, मरीजों और अन्य इक्विपमेंट को इधर उधर ले जाने में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। 28 अप्रैल को एयर चीफ मार्शल भदोरिया और 29 अप्रैल को जरनल रावडे जी ने प्रधानमंत्री जी से मुलाकात की और कोरोना से चल रही लड़ाई में उनके द्वारा दिए जा रहे योगदान के बारे में अवगत करवाया। जबकि इस मीटिंग में देश के रक्षा मंत्री और बड़े अधिकारी भी शामिल होने चाहिए थे। सांझा मीटिंग होनी चाहिए थी। इस लड़ाई में बहुत प्रभाव के साथ फौज अपनी कार्यवाही कर रही है। फोर्सज के पास डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है। लेकिन फिर भी प्रशासन की तरफ से जब भी कोई डिमांड आती है तो फौज अपना हमेशा योगदान देती है। फौज के सभी प्रतिनिधि, सैनिक, पैरामेडिकल स्टाफ, डॉक्टर लगभग सभी को कोरोना के दोनों टीके लग चुके हैं। इसलिए उनमें एक अतिरिक्त शक्ति है।

प्रश्न : कोरोना आज भारी तबाही मचा रहा है।आपका तैयारियों को लेकर क्या नजरिया है ?
उत्तर :
19 अक्टूबर 2019 को अमेरिका में इंटरनेशनल लेवल पर एक कॉन्फ्रेंस हुई। जिसमें पेनडेमिक के लिए व्यवस्थाओं को लेकर एक किसम की वार्निंग दी गई। हमारी पहली लहर के लिए देश ज्यादा तैयार नहीं था। ज्यादा जानकारियां नहीं थी।लेकिन अफसोस की बात है कि देश के स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मार्च में ही बयान दिया था कि कोरोना का खतरा टल गया है। इस किस्म के बयान से यह साफ है कि हम तैयार नहीं हैं। हमारा ध्यान, हमारी प्राथमिकता कहीं और है। हमारे नेताओं का फर्ज बनता था कि इस पर ध्यान देते। तैयारियां करते। क्योंकि बहुत सारे विद्वानों, साइंसदानों ने और रिसर्च सेंटरस ने दूसरी लहर के खतरे की आशंका जाहिर कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने तीसरी लहर के लिए भी तैयार रहने की बात कह दी है। लेकिन तैयारियां नहीं की गई थी।

प्रश्न : कोविड का संक्रमित होने पर पूर्व फौजियों को जो प्राथमिकताएं मिलनी चाहिए, क्या वह मिल रही है?
उत्तर :
 इस किस्म के बहुत से केस हमारे सामने आए हैं। हमारे दो ब्रिगेडियर, एक जनरल दिल्ली में अस्पताल में, रिसेप्शन सेंटर में एडमिशन के लिए बार बार चक्कर लगाते रहे। लेकिन एडमिशन नहीं मिला।जिससे उन्हें जान गवानी पड़ी। एक ब्रिगेडियर को दिल्ली में एडमिशन न मिलने के कारण वह चंडीगढ़ में किसी अस्पताल के लिए पहुंचे। पहुंचने के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया। दिल्ली वेस्टर्न कमांड में आता है। कानपुर निवासी एक विंग कमांडर जो बिल्कुल फिट थे। उन्हें ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगी। वह 7 एयर फोर्स हॉस्पिटल में चले गए। लेकिन उन्हें एडमिशन नहीं मिला। उनका बेटा उन्हें 6 ईसीएचएस  इंपैनल्ड अस्पतालों में लेकर गया। लेकिन कहीं भी एडमिशन नहीं हुआ। आखिर में वह अपने घर पर ही लौट आए। उन्होंने डीजीएएमएस को अपने पोस्ट में लिखा जो कि रिकॉर्डिड है। जिन्होंने देश के लिए जाने कुर्बान की। आज उनकी वीर नारियों को दर-दर की ठोकरें नसीब हो रही है। हम चाहते हैं कि सिविलियंस को भी एडमिशन मिले। लेकिन जो सिविल प्रशासन की मदद के लिए आते रहे हैं। जिन्होंने जंगे जीती हैं। आज वह दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। यह बहुत गलत बात है। इसी तरह ही एक हवलदार त्रिपाठी की वीडियो भी वायरल हुई। जो सर्विंग हवलदार छुट्टी पर आया था। उसकी दादी कोरोना इनफेक्टेड हो गई जो कि एक लेफ्टिनेंट की पत्नी है। उन्होंने जो अपनी पोस्ट में दुर्दशा बताई, वह मैं बयान नहीं कर सकता।

प्रश्न : ऐसे बुरे हालातों में भी किसान दिल्ली के चारों ओर धरने पर बैठे हैं। उनको क्या कहना चाहेंगे। क्या आज भी पूर्व सैनिकों का उन्हें समर्थन है ?
उत्तर : 
मैं उनको तो बाद में कहूंगा। पहले तो मैं अपील करता हूं कि मंत्री विज और मेघालय के गवर्नर जिन्होंने प्रधानमंत्री से यह अपील की थी कि किसानों की सुनवाई करो। इनके वाद विवाद को खत्म करो। इनकी मांगे जायज हैं। अगर इनकी पार्टी में ही इस प्रकार की आवाजें उठ रही हैं तो इसके ऊपर तुरंत सरकार को कार्यवाही करनी चाहिए थी। लेकिन उनको चिंता नहीं है और किसानों ने भी डटे रहने का मन बना लिया है। उनकी मांगे जायज है। हमने पहले भी बताया था कि पूर्व फौजी उनके समर्थन में हैं। बल्कि ब्यूरोक्रेसी भी पूर्व प्रशासनिक अधिकारी उनकी मदद में आ चुके हैं। मीटिंग हो रही हैं। जायज मांगों को तुरंत मान लेना चाहिए। हम प्रधानमंत्री जी से यह अपील करते हैं। ताकि वाद-विवाद खत्म हो।

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Content Writer

Manisha rana

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