अमरूत बना जहर, जलभराव से धंसा मकान, बाल-बाल बचा परिवार और मवेशी

punjabkesari.in Monday, Aug 10, 2020 - 10:00 AM (IST)

जींद (जसमेर मलिक): जींद शहर के बरसाती पानी निकासी की 20 करोड़ की अमरूत योजना 2 लाख से ज्यादा की आबादी के लिए अमरूत की जगह जहर बन गई है। नप प्रशासन ने दवा के नाम पर लोगों को दर्द दिया है। रविवार दोपहर हुई हल्की बारिश से पूरा शहर जलमग्न हो गया। शिव कॉलोनी में जलभराव से एक मकान धंस गया। इस मकान के मालिक ईगराह गांव के मुकेश और उसके परिवार के 6 लोग तथा मवेशी बाल-बाल बचे।

रविवार दोपहर शहर में मध्यम बारिश हुई। इस बारिश में ही पूरा शहर बरसाती पानी में तैरता नजर आया। बस अड्डे के पास की शिव कॉलोनी में जेडी-7 पर बनी मेन सड़क का एक मकान जलभराव से धंस गया। बरसाती पानी पहले नाले को तोड़ते हुए ईगराह गांव के मुकेश के घर के बेसमेंट में घुसा। उसके बाद बेसमेंट में 10 फुट से ज्यादा पानी भर गया और मकान नीचे धंस गया। 

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मुकेश तथा उसकी पत्नी और 2 बच्चे तथा किरायेदार बाल-बाल बचे। उसके मकान में मवेशी भी बंधे हुए थे, जिन्हें मुश्किल से बाहर निकाला गया। मुकेश और उसके परिवार के लोगों ने पड़ोस के मकान में शरण ली है। मवेशियों को भी दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। मुकेश ने कहा कि बरसाती पानी निकासी के लिए बनाए गए नाले के टूटने से उसके मकान में पानी भरा। 

पानी मकान की नीवों तक गया तो मकान धंस गया। अब यह मकान कभी भी और किसी भी पल गिर सकता है। उसे लाखों रूपए का नुकसान हुआ है। 27 साल पहले उसने मकान बनाया था। इसी मकान में वह पशुओं की डेयरी भी चला रहा है और डेयरी के सहारे वह अपना तथा परिवार का पेट पाल रहा है। 

मुश्किल से उसने अपने बच्चों को छत मुहैया करवाई थी, जो नगर परिषद और जन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण अब बर्बाद हो गई है। उसे मकान गिराकर दोबारा बनाना पड़ेगा। मुकेश के साथ लगते कुछ और मकानों के लिए भी बड़ा खतरा पैदा हो गया है। रविवार को जब मुकेश का मकान जलभराव से नीचे धंसा, तब शिव कॉलोनी के काफी लोग मौके पर जमा हो गए थे। इन लोगों का कहना था कि जन स्वास्थ्य विभाग और नगर परिषद की लापरवाही से यह सब हो रहा है।

नगर परिषद प्रशासन ने 20 करोड़ रूपए की लागत से बरसाती पानी निकासी के लिए अमरूत योजना पर साल 2018 में काम शुरू किया था। जब योजना शुरू हुई थी, तब कहा गया था कि शहर में बरसाती पानी निकासी की समस्या जड़ से समाप्त हो जाएगी। लोगों को भी लगा था कि अमरूत हकीकत में उनके लिए अमृत साबित होगी, लेकिन अब यह शहर और शहर के लोगों के लिए जहर बन गई है।

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अमरूत योजना के तहत बरसाती पानी निकासी की पाइप लाइन दबाने के लिए पूरे शहर की सड़कों, कॉलोनियों की गलियों को उखाड़ कर छोड़ दिया गया है। बारिश के दिनों में यह सड़कें और गलियां कच्चे तथा पक्के बरसाती नालों में बदल गई हैं। दवा के नाम पर लोगों को दर्द देने का काम सरकारी मशीनरी ने किया है। टीम अन्ना के सुनील वशिष्ठ और महावीर ने कहा कि अमरूत योजना जींद शहर के लिए अमृत की जगह जहर बन गई है। जहर भी मीठा और धीमा है, जो लोगों को तिल-तिल कर मारने का काम कर रहा है।

2 लाख की आबादी वाला जींद शहर हर बारिश में इसी तरह डूबता है। रविवार की बारिश के बाद शिव कॉलोनी की गलियों में 3 फुट पानी भर गया। गांधी नगर कालोनी की गलियों में 2 से 3 फुट तक पानी भर जाने से लोग बेहद परेशान हुए। कई मकानों में भी बरसाती पानी घुस गया। गांधी नगर कालोनी की कांग्रेस भवन से अर्जुन स्टेडियम तक जाने वाली मेन सड़क को ठेकेदार ने दोबारा बनाने के लिए उखाड़ दिया था। 

पिछले कई महीने से सड़क जस की तस पड़ी है। रविवार को बारिश हुई तो 3 फुट से ज्यादा पानी भर गया। लोग अपने घरों से बाहर निकलने के लिए तरस गए। इसी कॉलोनी में पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता और बृज मोहन सिंगला तथा प्रदेश के पूर्व डीजीपी यशपाल सिंघल तथा आईएनए चीफ योगेश मोदी के मकान हैं और उन सभी गलियों में कई फुट पानी भरा हुआ है। यहां रहने वाले बीएसएनएल के एजीएम अनार सिंह मलिक, स्कूल प्राध्यापिका रेखा मलिक, एसडी स्कूल के प्रधान लक्ष्मीनारायण बंसल, व्यापारी नेता श्यामबिहारी जिंदल ने कहा कि गांधी नगर कॉलोनी शहर की सबसे पाश कॉलोनी है, मगर इसकी हालत गांवों से भी बदतर हो गई है। इसके लिए पूरा सिस्टम जिम्मेदार है।

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जींद बस अड्डे में रविवार को बारिश के बाद कई फुट पानी भर गया। इससे रोडवेज की बसों में यात्रियों को बस अड्डे के गेट के बाहर से बैठाना और बाहर से आने वाली बसों से यात्रियों को गेट पर ही उतारना पड़ा। यह हादसे को न्यौता दे रहा था। गांधी नगर कॉलोनी, अर्बन एस्टेट कॉलोनी, हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी की पार्कों में कई-कई फुट पानी भर जाने से यह पार्क की जगह तरणताल नजर आ रही थी।


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Edited By

vinod kumar

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