भाजपा-जजपा नेताओं के गले की फांस बन गया किसान आंदोलन

punjabkesari.in Thursday, Apr 15, 2021 - 09:30 AM (IST)

चंडीगढ़ : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और हरियाणा की सीमा पर चल रहा किसान आंदोलन अब केंद्र व हरियाणा सरकार के गले की फांस बन गया है। कांग्रेस की सरकार में जो भाजपा नेता कपड़े उतारकर किसानों के हित में प्रदर्शन करते नजर आते थे, उन्हें अब विपक्षी दलों के सवालों से दो-चार होना पड़ रहा है। किसान आंदोलनकारियों ने हरियाणा की भाजपा व जजपा गठबंधन सरकार के तमाम नेताओं के विरोध प्रदर्शन का कड़ा फैसला लिया, जिसके बाद यह नेता न तो अपने विधानसभा क्षेत्रों में और न ही सार्वजनिक कार्यक्रमों में जाने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं।

हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निवास पर हुई एक मीटिंग में तमाम नेताओं को सुरक्षा उपलब्ध करवाने का भरोसा भी दिलाया था। इसके बाद 14 अप्रैल के लिए बाबा साहेब डा. भीम राव अम्बेडकर की जयंती के सरकारी कार्यक्रम बने, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के किसानों द्वारा विरोध के ऐलान कर देने के बाद इन सरकारी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया। प्रदेश के लोगों में गलत संदेश न जाए इसलिए भाजपा ने अपने संगठन के तौर पर इन कार्यक्रमों को अलग से जारी करवाया, लेकिन इसके बाद भी सभी नेता उन इलाकों में जाने का साहस नहीं कर पाए, जहां उनकी ड्यूटी लगी थी।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सोनीपत के बड़ौली और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को रेवाड़ी जाना था। सोनीपत में मुख्यमंत्री नहीं गए, लेकिन रेवाड़ी में उपमुख्यमंत्री ने जैसे तैसे कार्यक्रम कर लिया। अब हालत यह हो गई है कि भाजपा व जजपा नेता अपने घरों से निकलने से पहले कई तरह शंकाए घेर लेती हैं। उन्हें हमेशा इस बात का भय सताता रहता है कि कहीं उनके काफिले पर और व्यक्तिगत रूप से उन पर हमला न हो जाए। सरकार की मजबूरी यह है कि वह चाहकर भी किसानों पर बल प्रयोग नहीं कर सकती, हालांकि सरकार इसे अपना संयम बरतना करार दे रही है। 

कोई मंडी बंद हुई या किसान की फसल एम.एस.पी. पर न खरीदी गई हो तो बताएं : दुष्यंत चौटाला
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का कहना है कि पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से हुई मुलाकात के दौरान धरना दे रहे किसानों में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को लेकर चर्चा हुई। दुष्यंत ने कहा कि किसान संगठनों व केंद्र सरकार के बीच बैठक जल्द हो, इसके लिए वे प्रधानमंत्री से भी आग्रह कर रहे हैं कि किसी वरिष्ठ मंत्री को इस टीम में शामिल करके आंदोलनरत किसान नेताओं से चर्चा जारी रखी जाए। साथ ही उन्होंने आंदोलनरत नेताओं से भी आग्रह किया है कि वे भी चर्चा जारी रखें क्योंकि बिना चर्चा के समाधान नहीं हो सकता। दुष्यंत ने कहा कि आज हरियाणा में किसानों की फसल सुचारू रूप से खरीदी जा रही है, सीधा किसानों के खाते में पैसा डाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि क्या कोई मंडी बंद हुई या किसी किसान की फसल एम.एस.पी. पर न खरीदी गई हो तो बताएं। उन्होंने कहा कि पंजाब को भी आखिर में आकर किसान के खाते में पैसा डालने का निर्णय लेना पड़ा, जो पहले इसके विरोध में था। 

उन्होंने कहा कि संविधान में बात रखने का सभी को अधिकार है, लेकिन किसी को कानून हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा, अगर किसी प्रकार की व्यवस्था खराब की गई तो सरकार सख्ती से निपटेगी। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने आज स्पष्ट कहा कि हरियाणा प्रदेश लॉक डाउन की ओर नहीं बढ़ रहा है बल्कि रात्रि कफ्र्यू केवल कोरोना संक्रमण की चेन को तोडऩे के लिए एहतियाती तौर पर लगाया गया है। उन्होंने कहा, मैं हरियाणा में काम करने वाले एक एक व्यक्ति को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि आपको घबराने की जरूरत नहीं है। प्रदेश में व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाया जाए, जिसमें महामारी और ना फैले उसके लिए एहतियातन कदम उठाए जा रहे हैं। 

सरकार किसी भी तरह की आंच अपने ऊपर नहीं आने देना चाहती
राजनीति विश्लेषकों का कहना है कि हरियाणा में पूर्व हो चुके जाट आरक्षण आंदोलन, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम और सतलोग आश्रम के संचालक संत रामपाल की गिरफ्तारी के बाद हुए भयंकर आंदोलन के परिणाम भाजपा आज तक भुगतती आ रही है। इसलिए किसान आंदोलन को लेकर प्रदेश सरकार किसी भी तरह की आंच अपने ऊपर नहीं आने देना चाहती। अब भाजपा को निर्दलीय विधायकों व इनैलो से टूटकर अलग हुइ जजपा की बैसाखियों पर चलना पड़ रहा है। जजपा ने भी भाजपा पर कई तरह के दबाव बना रखे हैं। सबसे बड़ा दबाव तो जजपा कोटे का बचा हुआ एक मंत्री और कम से कम 4 चेयरमैन बनाने का है। यह दबाव का ही नतीजा है कि भाजपा के पास जजपा नेताओं की तमाम ऐसी शिकायतें हैं, जिन्हें वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। यही हाल निर्दलीय विधायकों का हैं।

बिना किसी सुरक्षा के न जाने की सलाह
भाजपा व जजपा गठबंधन की सरकार को सी.आई.डी. से अभी भी यह इनपुट मिल रहे हैं कि यदि उनकी पार्टियों के नेता फील्ड में उतरे तो उनके साथ किसी भी तरह की अनहोनी हो सकती है। लिहाजा उन्हें बिना किसी सुरक्षा के लोगों खासकर किसानों के बीच न जाने की सलाह दी गई है। इसी का नतीजा है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ज्यादातर कार्यक्रम अपने घर बैठकर अथवा कार्यालय से वर्चुअल माध्यम से कर रहे हैं। दूसरी ओर किसान नेताओं का यह भी कहना है कि जिन कृषि कानूनों को लेकर उनका विरोध है वह हरियाणा सरकार ने नहीं बनाए लेकिन आंदोलन शुरू होने के दौरान प्रदेश सरकार ने जिस तरह के अवरोध खड़े किए, उस बात को लेकर प्रदेश सरकार पर ज्यादा गुस्सा है। 

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Content Writer

Manisha rana

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