वृक्ष पृथ्वी के आभूषण हैं, इसलिए प्रकृति की रक्षा जीवन रक्षा: धीरा खण्डेलवाल
punjabkesari.in Friday, Jun 11, 2021 - 08:39 AM (IST)
चंडीगढ़ (धरणी) : हरियाणा के बिजली विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री पी. के. दास की परिकल्पना पर पर्यावरण विभाग एवं हरियाणा पॉवर युटिलीटिज़ के माध्यम से प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड एवं उच्च शिक्षा विभाग की सक्रिय भागीदारी से पर्यावरण दिवस के अवसर पर 5 जून,2021 से निरंतर जारी वेबिनार श्रृंखला का समापन पर्यावरण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती धीरा खण्डेलवाल ने स्वरचित कविताओं के पाठ से किया। ‘सीखा है मैंने पेड़ों से प्यार करना, प्यार जो अडिग़ है,प्यार जो अटल है, सीखा है मैंने बस वहीं ठहरना। जड़ो गहरें रखना, हवा से थोड़ा झूमना, विरह में तप पीले पतों सा झडऩा, मैंने सीखा है मैंने अकेले भी हरा भरा रहना, वृक्ष सा तन कर खड़े रहना, इंतजार करना, प्रेम में वृक्ष बनना।’ पर्यावरण ज्ञान केन्द्र से जुड़े सैकड़ों विद्यार्थियों के बीच श्रीमती धीरा खण्डेलवाल की यह कविता प्रकृति की कविता की अनुगूंज है।
इस अवसर पर बोलते हुए श्रीमती धीरा खण्डेवाल ने कहा कि 5 जून,2021 से जारी इस वेबिनार श्रृंखला के दौरान प्रतिदिन प्रकृति संरक्षण के अलग-अलग माध्यम से जो संवाद आयोजित हुए उनके निष्कर्ष प्रदूषण मुक्त हरियाणा के सपने को साकार करेंगे। केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. प्रभोधचंद्र शर्मा ने इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए भारतीय पारम्परिक खेती और वैज्ञानिक विधियों का विस्तार से जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में कृषि वैज्ञानिकों ने क्रांतिकारी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब भारतीय किसानों को प्रकृति हितैषी संस्कृति को अपनाना होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव श्री एस. नारायणन ने कहा हरियाणा के सभी पर्यावरण ज्ञान केन्द्रों से हजारों की संख्या में विद्यार्थियों ने पर्यावरण प्रहरी बनने का जो संकल्प लिया है, आने वाले समय में इसका साकारात्मक स्वरूप दिखाई देगा।
इसी कार्यक्रम के समानान्तर संयोजित ऑनलाइन ललित कला कार्यशाला में कुरूक्षेत्र से डा. राम विरंजन, डा. आर एस पठानियां, राहुल, सुनिल एवं रविन्द्र ,अम्बाला से डा. गगनदीप कौर, गुरुग्राम से सौनी खन्ना एवं मीनाक्षी, जामिया मिलिया से शबनम और पंचकूला से शारदा ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम संयोजक श्री राजीव रंजन ने कहा कि प्रकृति ज्ञान का यह 6 दिवसीय कार्यक्रम कला, साहित्य, विचार एवं संगीत प्रस्तुति का सर्वोत्तम मंच बन गया। इस दौरान रंग कर्मी विकल्प के ‘शौर युं ही नहीं परिंदों ने मचाया होगा। आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है। हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए।’ जैसे प्रकृति रक्षा गीतों के प्रस्तुतीकरण के अतिरिक्त अम्बाला से गुरूदेव सिंह, रोहतक से डा. विनोद और रचना ने भी प्रकृति रक्षा का गीत प्रस्तुत किया।
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