आन-बान और शान की प्रतीक पगड़ी कर देती है बड़े-बड़े केस हल, कई बीमारियों से भी करती है बचाव !

punjabkesari.in Friday, Jul 12, 2024 - 10:22 PM (IST)

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी): हरियाणा की शान, मान और गौरव मानी जाने वाली पगड़ी का मानव जीवन से गहरा नाता है।  समाज ने शरीर के अंगों को सुरक्षित ढंग से रखने के लिए पगड़ी, कुर्ता, धोती, जूती जैसे वस्त्रों को मान्यता प्रदान की, लेकिन इन सबमें पगड़ी को सर्वोच्च स्थान मिला है। पगड़ी को हरियाणवीं लोकजीवन में पग, पाग, खण्डवा, खण्डका, पग्गड़, मंडासा, तुर्रा, मंडासी, साफा, रूमालियो, परणा, शीशकाय, जालक, मुरैठा, मुकुट, कनटोपा, पेचा, मदील, मोलिया और चिंदी आदि नामों से जाना जाता है। धीरे-धीरे इसे मान और सम्मान के प्रतीक के साथ जोड़ दिया गया, क्योंकि पगड़ी सिरोधार्य है। 

एक लंबे अरसे के बाद हरियाणा के सिविल सचिवालय में एक साथ अनेक पगड़ी धारी लोगों को देखकर जब उनसे बात की तो मानों पुरानी यादे ताजा हो आई। दअरसल, हरियाणा की फरीदाबाद लोकसभा से कई सरपंच राज्य मंत्री संजय सिंह के कार्यालय में पहुंचे थे। ये सभी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का सरपंचों की ग्रांट 21 लाख करने पर धन्यवाद करने पहुंचे थे। पगड़ी के बारे में बात करने पर सरपंच महीपाल आर्य ने बताया कि हरियाणा में पगड़ी का बहुत बड़ा महत्व है। पगड़ी गांवों में बहुत चीजों की घोतक है। उन्होंने बताया कि गांवों में कहीं पर कोई झगड़ा हो और कोई बुजुर्ग अपनी पगड़ी फैला दे तो बड़े-बड़े झगड़े बंद हो जाते थे। पगड़ी के माध्यम से पुराने समय में पगड़ी बदल भाई भी बन जाते थे, जो पगड़ी के कारण एक-दूसरे पर जान न्यौछावर करने का दम भरते थे। आर्य ने बताया कि देश की आजादी के लिए सरदार भगत सिंह ने भी पगड़ी संभाल जट्टा गाना गाया था। इसलिए पगड़ी हमारी हर चीज की घोतक है। पगड़ी हरियाणा ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की शान है। विशेषतौर पर जब तक पगड़ी हमारे देश में पहनी जाती थी तो उसकी अलग रौनक होती थी। 

हरियाणा से बनकर जाती है मोदी की पगड़ी

उन्होंने अपने सिर पर डाली पगड़ी की विशेषता बताते हुए कहा कि ये अहीरवाल और जौधपुर की मिलावट है। इस प्रकार की पगड़ी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बहुत पसंद करते हैं। जहां भी वह इस प्रकार की पगड़ी पहनते है तो वह उनके यहीं से बनकर जाती है।

पगड़ी हल कर देती है बड़े-बड़े फैसले

पलवल से आए प्रेम राज रावल ने बताया कि पगड़ी हरियाणा की आन, बान और शान है। कुर्ता, धोती और पगड़ी इंसान की बहुत बड़ी इज्जत है। पगड़ी से ऐसे फैसले हो जाते है, जो कोर्ट में भी नहीं हो पाते। गांवों में आज भी इंसान के सिर की पगड़ी को बहुत महत्व दिया जाता है।

कई बीमारियों से भी करती है बचाव

सरंपच महीपाल आर्य ने बताया कि पगड़ी सिरदर्द के अलावा खांसी और बुखार जैसी बीमारियों से भी बचाव करती है। यह उनका खुद का अनुभव भी है। सरंपच अजीत रावत ने बताया कि पगड़ी शरीर के ऊपरी भाग को सर्दी, गर्मी, धूप, लू, वर्षा आदि विपदाओं से सुरक्षित रखती है। इसीलिए पुराने समय में बुजुर्ग पठ की तरह से ही पगड़ी को भी सिर पर धारण करने की सलाह देते थे। सरपंच हुकम चंद बघेल ने कहा कि पगड़ी हमारी संस्कृति है और वह आज भी अपनी संस्कृति पर चलते हैं, ना कि अंग्रेजों की संस्कृति पर। 

राजनीति में भी मिले पगड़ी के संकेत

हरियाणा और पंजाब के गांव ही नहीं, बल्कि राजनीति में भी पगड़ी के संकेत दिखाई देते हैं। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल और देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल आपस में पगड़ी बदल भाई बने थे। आज भी इन दोनों परिवारों में आपसी भाईचारे की परंपरा कायम है। इसीलिए कहते हैं कि पगड़ी इंसान की शान के साथ उसका गौरव भी मानी जाती है।

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Content Editor

Saurabh Pal

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