''मैं जिद पर आ गई तो कुछ भी कर सकती हूं'', सम्मान में चांदी का मुकुट मिलने के बाद भावुक हुईं विनेश फोगाट

punjabkesari.in Tuesday, Aug 27, 2024 - 08:10 PM (IST)

जींद(अमनदीप पिलानिया): बांगर की धरती पर कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट के सम्मान में सम्मान समारोह खटकड़ टोल कमेटी द्वारा आयोजित किया गया। 105 गांवों के अलावा किसान संगठनों, खापों के अलावा अन्य संगठनों द्वारा विनेश फोगाट को सम्मानित किया गया। टोल कमेटी युवा कमेटी द्वारा शक्ति का प्रतीक गदा देकर सम्मानित किया तो खटकड़ खाप ने चांदी का मुकुट पहना स्वागत किया। समारोह को संबोधित करते हुए विनेश फोगाट ने कहा कि जिस तरह से बेटी अपने माता-पिता का कर्ज नहीं चुका सकती है, ऐसे ही आपका कर्ज नहीं उतार पाउंगी।

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उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में जब हमारे किसान शहीद हुए थे बहुत दुख होता था। विडियो देख कर बहुत बार रोई भी। किसान आंदोलन में किसानों को बहुत परेशान किया गया। जितना मेरे से हो सका मैंने सहयोग किया। जब हम मुसीबत में थे दिल्ली धरना दे रहे थे तो आप मेरी ताकत बन कर मेरे साथ नजर आए। विनेश फोगाट ने जींद की तारीफ करते हुए कहा कि जींद की धरती में बहुत ताकत, हिम्मत है। यहां के लोग लड़ाके है। यहां से ओलिपिंक में मेडल जीतने वाले खिलाड़ी निकल सकते हैं। मैंने जो कमी छोड़ी है वो जींद के युवा पूरा करें। मेरे को कुश्ती आती है कुश्ती को लेकर जो मेरा सहयोग होगा वो मैं करूंगी। 

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समारोह को संबोधित करते हुए विनेश फोगाट ने कहा कि मेरे से आप लोगों की उम्मीद बढ़ गई है, जो आप कहेंगे वो ही मैं करूंगी। जहां तक कुश्ती वो मैं कर पाउंगी या नहीं पता, लेकिन मैं अपनी जिद्द पर आ गई तो मैं कुछ भी कर सकती हूं। इस तरह के आयोजन से खिलाडिय़ों में हौंसला बढ़ेगा। मेरे को अब पहचान हो गई है कौन मेरे अपने हैं। ओलिपिंक में जब ये सब कुछ हो रहा था तो मैं बहुत दुखी थी। फाइनल में पहुंचने के बाद जो हुआ वो सबको पता है। जब अपने देश में आई तो आप सबका प्यार देखा तो ये लगा कि वो मेडल कुछ नहीं था जो आपके प्यार, मान-सम्मान दिया है।

 पत्रकार वार्ता में डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह द्वारा विनेश फोगाट के राजनीति मंच सांझा न करने को लेकर दिए गए बयान पर पूछे सवाल पर विनेश फोगाट बोलीं संजय सिंह को मैं नहीं जानती कौन हैं। फोगाट ने कहा कि खिलाड़ी के नाते मेरे लिए मेडल जरूरी होता, लेकिन मेडल इसलिए जीतते थे कि लोग हमें मान-सम्मान दें। बिना मेडल के मान-सम्मान पाना बड़ी उपलब्धि मानती हूं, मैं अपने आप के लिए। मेरे ऊपर जिम्मेदारी बढ़ गई है। मैं चाहे कुश्ती में जाऊं या अकादमी खोलूं। 

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Content Editor

Saurabh Pal

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