बड़ी खबर: टोक्यो पैरालिंपिक में छाए हरियाणा के विनोद कुमार, देश को दिलाया कांस्य पदक
punjabkesari.in Sunday, Aug 29, 2021 - 06:53 PM (IST)
रोहतक (दीपक भारद्वाज): जापान में चल रहे टोक्यो पैरालिंपिक में विनोद कुमार ने देश का नाम रोशन करते हुए डिस्कस थ्रो स्पर्धा में कांस्य पदक जीता है। विनोद कुमार ने टोक्यो पैरालिंपिक के एफ-52 कैटेगरी में डिस्कस थ्रो स्पर्धा में कांस्य पदक जीता है। विनोद ने स्पर्धा के दौरान 19.98 मीटर के थ्रो के साथ एशियन रिकॉर्ड कायम किया है।
3rd Medal in the same day!! #Bronze for @VinodMa23797758 with an #AsianRecord!! #Discus @ParaAthletics #ParaAthletics #Praise4Para #Tokyo2020 #Paralympics
— Paralympic India 🇮🇳 #Cheer4India 🏅 #Praise4Para (@ParalympicIndia) August 29, 2021
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विनोद कुमार हरियाणा के जिले रोहतक से संबंध रखते हैं। विनोद की इस बड़ी उपलब्धि पर परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है। वहीं उनकी पत्नी की आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे और उन्होंने कहा कि वो अपने पति से 10 महीने तक दूर रही हैं, लेकिन उनके पति की मेहनत रंग लाई जिससे वे बेहद खुश हैं।
विनोद ने दी है कोरोना को मात
विनोद कुमार की इस जीत पर पत्नी और बहन के खुशी के आंसू निकल आए और उन्होंने कहा कि अबकी बार कांस्य मेडल मिला है, अगले ओलंपिक में विनोद जरूर गोल्ड मेडल लेकर आएगा। पैरा ओलंपिक से पहले विनोद कुमार कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे। जिसके बाद उन्होंने यह लड़ाई जीती और टोक्यो में आयोजित पैरा ओलंपिक में भाग लेने के लिए पहुंचे। जहां पर उन्होंने आज 19.98 मीटर थ्रो फैंक कर कांस्य मेडल हासिल किया। परिवार ने विनोद कुमार की इस जीत पर मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया।
पत्नी अनीता व बहन प्रोमिला विनोद की जीत पर अपनी खुशी के आंसू नहीं रोक पाई। पत्नी अनीता बोली की बहुत खुशी है और इस बार कांस्य मेडल मिला है, अगले ओलंपिक में विनोद जरूर गोल्ड मेडल जीतकर आएगा। बहन प्रोमिला ने बताया कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए विनोद ने काफी मेहनत की है और पिछले 10 महीने से वह परिवार से बिल्कुल दूर था, परिवार ने काफी दुख झेला है। लेकिन इस जीत के बाद सारे दुख दूर हो गए और वे इसके लिए पूरे देश को बधाई देती हैं।
विनोद की इस उपलब्धि पर आईपीएस पंकज ने अपने फेसबुक वॉल पर विनोद के जीवन संघर्ष की कहानी बताई। उन्होंने लिखा, '41 साल के विनोद की कहानी वास्तव में एक प्रेरणा है - 2002 में रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण उन्हें कमर के नीचे पैरालिसिस हो गया।
2012 तक हरियाणा के रोहतक में विनोद कुमार राजीव गांधी स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स के पास एक छोटी सी किराने की दुकान चलाते थे। दिन भर फिट और मजबूत एथलीटों को उनके प्रशिक्षण के लिए स्टेडियम में आते जाते देखते थे । 32 साल की उम्र में कुछ सपना देखा , उसी समय से दिल -जान सब लगा दिया। साधन काम थे पर संकल्प बडा।
आज देश को ओलंपिक मैडल दिलवाया है।
सैलूट चैंपियन'