दिल्ली ने हरियाणा से फिर मांगी हाथियों के लिए पनाह
punjabkesari.in Tuesday, Jan 08, 2019 - 05:22 PM (IST)

चंडीगढ़(अर्चना): दिल्ली सरकार ने हरियाणा सरकार से हाथियों के लिए पनाह मांगी है। हरियाणा के यमुनानगर जिले के बनसंतौर जंगल की एलीफैंट सैंचुरी में दो हथिनियों को रखने के लिए कहा गया है। दिल्ली वन्य जीव विभाग द्वारा हाथियों के लिए मांगी गई शरण के जवाब में हरियाणा के वन्य जीव विभाग ने हाथियों के खानपान व रखरखाव के खर्च को ध्यान में रखते हुए साफ तौर पर कह दिया है कि एक हाथी के खाने पीने व देखभाल पर महीने के 60,000 रुपए खर्च आता है। दो हाथियों के लिए करीब 1.5 लाख रुपए महीने का बजट मिलता है तो सैंचुरी में हाथी रखे जा सकते हैं
अगर कोई स्वयंसेवी संगठन हाथियों के रखरखाव का खर्च उठाने के लिए तैयार होता है तब ही हाथियों का स्वागत किया जा सकता है। बीते साल भी दिल्ली के वन्य जीव विभाग ने बनसंतौर सैंचुरी में 6 हाथियों को रखने के लिए कहा था और तब भी हरियाणा के वन्य जीव विभाग द्वारा 6 हाथियों के लिए मांगे गए 3.5 लाख रुपए महीने के बजट को दिल्ली सरकार ने स्वीकार नहीं किया था। दिल्ली के वन्य जीव विभाग ने इन छह हाथियों को विभिन्न राज्यों में भीख मांगते या सर्कस करते हुए पाया था। इनमें दो नर हाथी थे, जबकि चार हथिनियां थीं। चूंकि बनसंतौर सैंचुरी में नर हाथी नहीं रखा गया है इसलिए नर हाथियों को रखने पर मनाही थी। 6 हाथियों में चार को उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सैंचुरी में भेज दिया गया है, परंतु दो हथिनियों के लिए दोबारा हरियाणा में जगह की मांग की गई है।
स्वस्थ हो गई सैंचुरी मेंरहने वाली तीनों हथिनियां
वर्ष 2008 में बनसंतौर जंगल में एलीफैंट सैंचुरी की स्थापना की गई थी। सैंचुरी का नाम एलीफैंट रिहैबिलिटेशन एंड रिसर्च सैंटर रखा गया था। सैंचुरी में हथिनियों की देखभाल वन्य जीव विभाग और वाइल्ड लाइफ एस.ओ.एस. संस्था द्वारा पिछले दस सालों से किया जा रहा है। सैंचुरी में तीन हथिनियां 70 साल की लक्ष्मी, 60 साल की चंचल और 40 साल की लिली की देखभाल की जा रही है। तीनों हथिनियों से सड़कों पर कुछ लोगों द्वारा भीख मांगने का काम किया जा रहा था और ये तीनों घायल, कमजोर और बीमार हालत में थीं। उनको फलों और पौष्टिक आहार खिला पिला का स्वस्थ कर दिया गया है। एक हाथी के खाने-पीने पर दिन में करीब 3000 रुपए का खर्च आता है और इसके अलावा हाथियों की देखरेख करने वाले महावत का वेतन भी अलग से दिया जाता है।
तीन दफा की जाती है सर्दियों में हाथियों की मालिश
हाथियों को सर्दियों से बचाने लिए हर रोज गुड़ खिलाया जाता है। आधा किलो गुड़, 100 ग्राम तिल का तेल, 150 ग्राम डाइजेस्टिव मिक्सचर खाने के लिए दिया जाता है। हाथी को गेहूं के दलिये की बजाए बाजरे का दलिया खाने के लिए दिया जाता है। हर रोज एक हाथी को 20 किलो फल और सब्जियां भी खाने के लिए दिए जाते हैं। सर्दी के मौसम में हाथियों की तीन बार धूप में बैठाकर तिल के तेल के साथ मालिश की जाती है।
सरकार से मांगी गई है बजट के लिए राय
प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरैस्ट (वाइल्ड लाइफ) वी.एस. तंवर का कहना है कि सैंचुरी में हाथियों को रखने के लिए हरियाणा और दिल्ली सरकार से बातचीत चल रही है। हाथियों की देखभाल अच्छे तरीके से की जा सके, इसलिए बजट मांगा जा रहा है। बनसंतौर की सैंचुरी में वन्य जीव विभाग और वाइल्ड लाइफ एसओएस संस्था के सहयोग के साथ हाथियों की देखभाल कर रहा है। दो हथिनियों की देखभाल के बजट को लेकर राय मांगी गई है कि या तो दिल्ली सरकार खुद बजट देकर सहयोग करें या किसी एन.जी.ओ. से हाथियों की देखभाल के लिए वित्तीय सहयोग लिया जाए। कंजर्वेटर ऑफ फॉरैस्ट एम.एल. राजवंशी का कहना है कि हथिनियों को कुछ महीनों के लिए सैंचुरी में रखने की व्यवस्था की जाएगी। उसके बाद उन्हें किसी अन्य सैंचुरी में शिफ्ट कर दिया जाएगा।