उदयभानु हंस के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर

punjabkesari.in Wednesday, Feb 27, 2019 - 04:22 PM (IST)

हिसार (ब्यूरो): उदयभानु हंस का जन्म 2 अगस्त , 1926 को पाकिस्तान के गांव दायरा दीन पनाह में हुआ था। एम. ए. हिन्दी तक शिक्षित हंस गवर्नमैंट कॉलेज, हिसार के पिं्रसीपल के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे। इनके परिवार में बेटा शशि हंस, बेटियां गीता , विनीता और पुनीता हैं। गीता व पुनीता विदेश रहती हैं जबकि विनीता यमुनानगर में रहती हैं।

पौत्र गुंजन व पौत्री कावेरी हैं। हंस ने रात्रि 7 बजकर 40 मिनट पर अंतिम सांस ली। गौरतलब है कि उदयभानु हंस को हरियाणा सरकार ने 1967 में राज्य कवि का सम्मान प्रदान किया था। हंस ने माध्यमिक शिक्षा तक उर्दू एवं फारसी की शिक्षा ग्रहण की और घर पर ही उनके पिता ने हिन्दी व संस्कृत पढ़ाया। हंस ने स्नातन धर्म संस्कृत कॉलेज मुलतान और रामजस कॉलेज दिल्ली से शिक्षा प्राप्त की। 1926 में पैदा हुए उदय भानु हंस की हिन्दी रूबाइयां 1952 में प्रकाशित हुई थी, जो हिन्दी में एक नया और निराला प्रयोग था। इन्होंने हिन्दी साहित्य को अपने गीत, दोहों, कविताओं व गजलों में समृद्ध किया है। प्रसिद्ध गीतकार नीरज तो उदय भानु हंस को मूल रूप से गीतकार मानते है। हस की अनेक साहित्यिक उपलब्धियां है।

 इसके अलावा हरियाणा, पंजाब व हिमाचल प्रदेश के स्कूल, कॉलेजों के पाठयक्रम में जीवन परिचय सहित रचनाएं रखी गई। 1962 में पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह द्वारा दिल्ली में गीत गंगा सम्मान प्रदान किया गया। 1994 में हिमाचल प्रदेश की प्रमुख संस्था हिमोत्कर्ष द्वारा अखिल भारतीय श्रेष्ठ साहित्यकार का सम्मान, हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा इलाहबाद में विद्यावाचस्पति की मानद उपाधि प्रदान करना, 2001 में कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा महर्षि विश्वविद्यालय रोहतक द्वारा कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर दो शोध छात्रों को पीएचडी की उपाधियां दी गई। राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी के लिए 6 शोध प्रबंध स्वीकृत की, जिनमें महाकाव्य संत सिपाही एक आधार ग्रंथ शामिल था। 1981 और 1993 में दो बार इग्लैंड व अमेरिका की यात्राएं की। प्रथम यूरोप हिन्दी महासम्मेलन में कवि रूप में आमंत्रित किया गया था। सुप्रसिद्ध कवि हरिवंशराय बच्चन हंस जी को को हिंदी कविता की एक विशेष प्रवृति का पोषक मानते थे।
 


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Prof.Sandeep Chahal

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