कचरा बन सकता है आय का साधन : भारद्वाज

punjabkesari.in Monday, Jun 24, 2019 - 10:26 AM (IST)

कुरुक्षेत्र (धमीजा): न.प. थानेसर लगातार एक से दूसरे गांव में ठेके पर जगह लेकर कचरा डम्प करके लोगों की सेहत तथा पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करके भारत सरकार के ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 तथा एन.जी.टी. के आदेश की धज्जियां उड़ा रही है। आज दक्षिण कोरिया से लौटे भारत सरकार के 4 सदस्यीय डैलिगेशन के सदस्य डा. नरेश भारद्वाज ने बताया कि न.प. कचरे को इधर-उधर डम्प करके प्रदूषण फैलाने की बजाय वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन करें तो ही स्थायी समाधान हो सकता है तथा कचरे को कमाई का साधन बनाया जा सकता है। 17 से 22 जून तक डैलिगेशन ने कोरिया की राजधानी सिओल में वैज्ञानिक ढंग से किए जा रहे प्रबंधन को देखा। 

वहां कोई भी कचरा डम्प नहीं किया जाता बल्कि गलनशील कचरे से खाद, बायोगैस बनाई जाती है तथा बाकी का कचरा री-साइकिल किया जाता है। ग्रीन अर्थ संगठन के सदस्य डा. भारद्वाज ने बताया की न.प. ने पहले मथाना, फिर मुकीमपुरा में कचरा डाल कर प्रदूषण फैलाया। अब बीड़ पिपली में तैयारी है। शहर से प्रतिदिन निकलने वाले कुल 70 टन कचरे का करीब 35-40 टन (50 से 60) गलनशील होता है जिससे जैविक खाद बन सकती है। करीब 20 टन (30) बिकने वाला होता है तथा करीब 10 टन बचा हुआ कचरा सीमेंट फैक्टरी में बतौर ईंधन इस्तेमाल किया जा सकता है। 

ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 तथा एन.जी.टी. के आदेशों के अनुसार हर घर गीला-सूखा कचरा अलग-अलग रखे तथा अलग-अलग दे। न.प. भी हर घर से अलग-अलग ही उठाए तथा शहर में ही करीब 10 से 12 स्थानों पर छोटी-छोटी यूनिट बनाकर खाद बनाए तथा अन्य कचरे का प्रबंधन करे तो ही कचरे का स्थायी समाधान करके एक संसाधन में बदला जा सकता है।
 


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Naveen Dalal

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