फनी तूफान में उड़ न जाए डाक्टरों की विदेश यात्रा की फाइल!

punjabkesari.in Sunday, May 05, 2019 - 05:48 PM (IST)

रोहतक(मैनपाल): पी.जी.आई.एम.एस. में विदेश यात्रा का मामला उन अधिकारियों के गले की फ ांस बना हुआ है, जो एयर क्राफ्ट की टिकट बुकिंग में गड़बड़ी का मायाजाल बुनकर विदेश गए थे। इनमें जूनियर डाक्टरों की कम और सीनियर डाक्टरों की कार्यशैली अधिक सवालों के घेरे में है। ऐसा इसलिए कि 5 माह में 5 नोटिस के बाद 400 मीटर का सफर तय करने वाला रिकार्ड बता रहा है कि पी.जी.आई. के अधिकारियों द्वारा की जा रही जांच में दशा व दिशा, दोनों का अभाव है।
 
कछुआ चाल से भी धीमी चाल से चल रही जांच से साफ है कि पी.जी.आई.एम.एस. में एक चिकित्सा अधिकारी दूसरे अधिकारी की गर्दन पकड़े बैठे हैं। एक बोला, तो दूसरा अपने आप उसका काला चि_ा तोते की तरह सबूत के साथ बयां कर देगा। परिस्थितियां यहां तक खराब हो गई है कि अधिकारियों के जी का जंजाल बनी विदेश यात्रा के रिकार्ड का मामला कैसे दबाया जाए, जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।

यहां तक विदेश यात्रा का रिकार्ड इतना परेशान कर रह है कि अगर, फनी तूफान बंगाल की खाड़ी से रोहतक तक पहुंचता है तो जवाब इतना अट-पटा भी आ सकता है कि वी.सी. कार्यालय से फाइल उड़कर हवा में घुलने तक कि हिम्मत रखती है। अब यह और बात है कि फाइल प्राकृतिक तौर पर हवा में उड़ती है, या कृत्रिम तरीके से हवा में उड़ाई जाती है।

वी.सी. की टेबल पर फाइल तो पहुंची पर जांच टीम तो नहीं है
विदेश यात्रा का रिकार्ड भले ही 5 नोटिस के बाद निदेशक कार्यालय से वी.सी. कार्यालय में पहुंच गया है लेकिन अभी तक मामले में कोई जांच टीम गठित नहीं की गई है, जो इस रिकार्ड का जांच पड़ताल करेगी। बड़ा सवाल है कि अधिकारी मामले को गंभीरता से क्यों नहीं ले रहे है, जांच प्रक्रिया में देरी क्यों की जा रही है? जबकि इस विदेश यात्रा मामले में ही डा. नित्यानंद को मामला सामने आते ही तुरंत प्रभाव से सस्पैंड कर दिया गया था, अब जवाब लेने में ही अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं।

रिकार्ड फिर मांगने की नौबत पैदा हो सकती है
कई चिकित्सक मामले का सही व पूरा ब्यौरा तक नहीं सौंपा है। सूत्रों की माने तो डाक्टरों के विदेश यात्रा का रिकार्ड खंगलते ही कई बड़े अधिकारियों का छल-कपट तुरंत प्रभाव से सामने आएगा। क्योंकि, एक डाक्टर एक वर्ष में कई विदेशी यात्रा कर चुके है, जिनकी टिकट का पैसा उनके खाते के बजाय किसी और के खाते से हुई है। ऐसे डाक्टरों ने टिकट भुगतान का सही जवाब न देते हुए मामले को घुमाने का प्रयास किया है। पड़ताल के पैदा भी स्थिति स्पष्ट न होने से इन डाक्टरों से टिकट बुकिंग के दस्तावेज मांगने के लिए फिर जवाब तलब करने की नौबत पैदा हो सकती है।

5 नोटिस के बाद भी 25 प्रतिशत डाक्टरों ने नहीं सौंपा रिकार्ड
सरकार के आदेश के बाद पी.जी.आई. अधिकारियों ने 5 बार नोटिस जारी किए थे, जिसके बाद चिकित्सकों ने अपनी यात्रा का ब्यौरा दिया है। इसमें से 25 प्रतिशत डाक्टरों ने तो अब तक भी ब्यौरा नहीं दिया है। डाक्टरों ने जो ब्यौरा दिया है उसमें सरकारी खर्च पर की गई विदेश यात्रा का ब्यौरा नहीं है। सूत्रों का दावा है कि चिकित्सक जानबूझ कर अपना ब्यौरा देने से बच रहे हैं। जबकि कई चिकित्सक ऐसे हैं जिन्होंने सरकारी खर्च पर की गई यात्रा का ब्यौरा अन्य माध्यमों से भी भत्ता लिया है।

पी.जी.आई. निदेशक डा. रोहताश यादव ने बताया कि फाइलों को वी.सी. दफ्तर भेज दिया गया है। फिलहाल फाइलों की जांच की जाएगी। जिसके बाद आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी मामला : वर्ष 2012 से 18 तक का रिकॉर्ड तलब किया है।स्वास्थ्य मंत्रालय में ने पी.जी.आई. से वर्ष 2012-18 के बीच जिन डाक्टरों ने हवाई यात्रा की उनका रिकॉर्ड मांगा है। रिकॉर्ड की जांच मुख्यालय द्वारा गठित कमेटी कर रही है।

टीम ने 7 मार्च तक रिकॉर्ड सौंपने की बात कही थी लेकिन, 60 प्रतिशत चिकित्सकों ने अपना ब्यौरा नहीं दिया। टीम ने अब पी.जी.आई. के सभी डाक्टरों को 3 दिन के अंदर पिछले 6 साल की विदेश यात्राओं का रिकॉर्ड प्रदेश सरकार को सौंपना है। बता दें कि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने आदेश दिए हंै कि वर्ष 2012 से लेकर 18 तक पी.जी.आई. के डाक्टरों की विदेश यात्रा का रिकार्ड खंगाला जाए। 
हमने रिकार्ड सौंप दिया है, अगली कार्रवाई वी.सी. कार्यालय से होगी : निदेशक

पी.जी.आई.एम.एस. के निदेशक डा. रोहताश यादव का कहना है कि विदेश यात्रा का रिकार्ड वी.सी. कार्यालय को भेजा जा चुका है। इसमें वे डाक्टर शामिल है जिन्होंने विदेश यात्रा का रिकार्ड दिया है या जो भी जवाब उनकी ओर से आया है। इस संदर्भ में आगामी कार्रवाई वी.सी. कार्यालय से होनी है।


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