विभाग कर्मचारियों की लापरवाही पड़ रही लोगों के स्वास्थ्य पर भारी

punjabkesari.in Wednesday, Sep 18, 2019 - 04:20 PM (IST)

यमुनानगर (जैन): जिले भर में सफाई के नाम पर जगह-जगह कूड़े के ढेर मिलना आम होता जा रहा है। चाहे शहर के मुख्यमार्ग हों, पॉश कालोनियां हों या अन्य गलियां व मोहल्ला हो, गंदगी व कूड़े के ढेर शहरवासियों के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं। प्रशासन व विभाग के शहर को साफ व स्वच्छ बनाने के अनेक दावे पेश कर रहा है किन्तु सभी दावे झूठे साबित हो रहे हैं। गंदगी की समस्या विभाग व लोगों के लिए जी का जंजाल साबित हो रही हैं। 

जिला प्रशासन द्वारा शहर को साफ सुथरा रखने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, किन्तु विभाग अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही के कारण सभी प्रयास विफल हो रहे हैं।अधिकारी कर्मचारी व लोग स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत अभियान तो चला रहे हैं किन्तु इस पर पूरी तरह से अमल नहीं कर पा रहे हैं। अब गंदगी के हालात सभी के काबू से बाहर होते जा रहे हैं।

शहर की मॉडल टाऊन, प्यारा चौक, मॉडल कालोनी, छोटी लाइन, सरोजनी कालोनी, कृष्णा कालोनी, मधु कालोनी आदि के साथ-साथ मुख्य सड़कों, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड सभी में कूड़े के ढेर अटे पड़े हैं। विभाग द्वारा कूड़ा एकत्र करने के लिये चलाए गए वाहनों से भी यह समस्या कम होती नजर नहीं आ रही है।


वाहनों के आने का नहीं है कोई निश्चित समय नीरजा, अनीता, ममता, सीमा, अर्चना, प्रकाश, सुमित, मुकेश निर्भय सिंह, मनोज कुमार व ललित आदि ने बताया कि विभाग द्वारा अनेक योजनाएं बनाकर कूड़ा एकत्र करने और शहर को साफ रखने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें प्रमुख रूप से कूड़ा एकत्र करने वाले वाहन चलाकर घरों से कूड़ा इकट्ठा करने की योजना चलाई गई है। 

किन्तु इन वाहनोंके आने का कोई समय निश्चित नहीं है और न ही यह वाहन चालक कालोनियों में से गुजरते हुए पूरा समय ही देते हैं जिस कारण लोगों को मजबूरन अपने घर का कूड़ा कूड़ेदान में डालना पड़ता है अथवा प्राइवेट कूड़ा एकत्र करने वालों को देना पड़ता है, जिसकी एवज में यह कूड़ा एकत्र करने वाले मासिक शुल्क लेते हैं।

कूड़ेदान में डाले गए कूड़े को उठाने के लिए कई-कई दिन तक कोई कर्मचारी नहीं आता और कालोनियों में सफाई नहीं होती है। इस कूड़े में आने वाली बदबू के कारण क्षेत्र का वातावरण भी दूषित होता रहता है और कालोनियों में अनेक प्रकार की बीमारियां भी फैलती हंै, लोगों की सेहत का नुक्सान होता है। विभाग करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी शहर को साफ सुथरा रखने में असमर्थ है।
 


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Isha

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