दादरी में लॉकडाऊन से पस्त होकर पलायन करने को विवश हुए श्रमिक
punjabkesari.in Sunday, Mar 29, 2020 - 10:38 AM (IST)
भिवानी : दादरी जिले में लॉक डाऊन के चलते जहां बाजार व अन्य कामकाज बंद पड़ा हुआ है। वहीं, इसी कारण देश के अन्य राज्यों से जिले अपनी आजीविका चलाने के लिए आए प्रवासी श्रमिकों का बुरा हाल होने लगा हैं। काम धंधा न मिलने के कारण शनिवार को दर्जनों की संख्या में प्रवासी श्रमिक जिले पलायन को विवश हो गए। जिन्हें अब अपने परिवार के पास जाने की ङ्क्षचता है, क्योंकि कोविड-19 कोरोना वायरस के कारण देशभर में लॉक डाऊन है। इसी कारण ये श्रमिक पैदल ही शहर की सड़कों से जाते दिख रहे हैं।
उनको अपने गंतव्य तक जाने के लिए कोई भी साधन नहीं मिल रहा। बाहरी राज्यों से दादरी जिले में आए श्रमिकों का कहना था कि वे यहां पर फसल कटाई के लिए आए थे। क्योंकि इस समय हरियाणा प्रदेश में सरसों की फसल की कटाई शुरू हो चुकी है। लेकिन जिन लोगों ने उन्हें दादरी में बुलाया था। वहीं उनके लिए रहने व खाने पीने की व्यवस्था करने से इंकार कर रहे हैं। जिसके चलते वे दो वक्त की रोटी भी जुटाने में पूरी तरह से असहाय है।
इसी कारण उन्होंने वापिस अपने गांव जाने का फैसला लिया। हालांकि जिस वक्त ये सभी श्रमिक दादरी की सड़कों से अपने गंतव्य जाने के लिए निकले तो सामाजिक संगठनों द्वारा उन्हें खाने पीने का सामान भी वितरित किया गया लेकिन सैंकड़ों किलोमीटर की दूरी को पैदल तय करना उनके लिए काफी विकट हालात पैदा कर सकता है। अपने सामान को पीठ पर लादकर कोई भी इतनी लम्बी दूरी तय करने में थक हार जाता है। फसल कटाई करने वाले अधिकतर श्रमिक कुछ दिनों पहले ही दादरी आए थे। जिसके बाद कोरोना वायरस के कारण देश में लॉक डाऊन किया गया।
क्रशर जोन से भी पलायन कर रहे हैं श्रमिक
बता दें कि दादरी जिले के कई गांवों के पहाड़ी क्षेत्र में क्रशर का काम किया जाता है। जिसमें काम करने के लिए बड़ी संख्या में श्रमिक यू.पी., बिहार, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों से अपनी आजीविका चलाने के लिए आते है। मगर, पिछले कई दिनों से दादरी जिले में क्रशर का काम भी बंद पड़ा हुआ है।
ऐसे में क्रशर जोन में रहने वाले श्रमिक परिवारों के लिए रोजी रोटी का प्रबंध करना भी मुश्किल हो चला है। वहीं,प्रशासन ने इन श्रमिकों को राशन उपलब्ध करवाने की बात भी कही थी। जिसके बाद कई क्रशर जोन में राशन भी पहुंचाया गया लेकिन दिन ब दिन बिगड़ते हालात के कारण ये श्रमिक काफी उदास हो गए और यहां पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा।