IVF से उम्र का कोई लेना-देना नहीं है, यह मिथक है सच्चाई, जानिए एक्सपर्ट की राय

punjabkesari.in Friday, Oct 18, 2024 - 07:54 PM (IST)

गुड़गांव ब्यूरो : बांझपन यानी इनफर्टिलिटी (Infertility) एक आम समस्या बनती जा रही है जिससे दुनिया भर में लाखों कपल्स प्रभावित हो रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 17।5% एडल्ट्स गर्भधारण में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। भारत में भी यह स्थिति चिंताजनक है, जहां 10-14% आबादी प्रभावित है, खासकर शहरी क्षेत्रों में जहां हर छह में से एक कपल प्रजनन समस्याओं का सामना करता है। सौभाग्य से, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक में हाल के सुधारों ने सफलता दर को काफी बढ़ा दिया है, जिससे यह ऑप्शन सभी उम्र के कपल्स के लिए अधिक सुलभ और प्रभावी हो गया है। प्री इम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (PGT), एंब्रियो कल्चर मेथड और हार्मोनल सिमुलेशन प्रोटोकॉल जैसी नई तकनीकों ने इस क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इस क्षेत्र में इतनी प्रगति के बावजूद एक सामान्य मिथक यह है कि उम्र IVF की सफलता को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक है। कई लोग अभी भी मानते हैं कि केवल बुजुर्ग महिलाओं को ही IVF पर विचार करना चाहिए। चलिए जानते हैं कि आईवीएफ में उम्र का क्या महत्व है और आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

 

सभी उम्र के लिए है आईवीएफ

हालांकि यह सच है कि महिला की प्रजनन क्षमता उम्र के साथ कम हो जाती है, खासकर 35 के बाद लेकिन आईवीएफ सभी उम्र के कपल्स के लिए एक बेहतर ऑप्शन है। रिसर्च से पता चलता है कि 20 और 30 के दशक में केवल एक में से चार स्वस्थ महिलाएं एक ही मासिक धर्म चक्र के भीतर गर्भवती होती हैं, जिससे पता चलता है की फर्टिलिटी की चुनौतियां युवा व्यक्तियों को भी प्रभावित कर सकती हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि फर्टिलिटी केवल उन कपल्स के लिए ही नहीं है जिनकी उम्र अधिक है बल्कि कम उम्र के कपल्स भी परिवार शुरू करने की जर्नी में कई बड़ी चुनौतियों का सामना करते हैं। यही वजह है कि ऐसे कपल्स को यही नहीं सोचना चाहिए कि आईवीएफ उनके लिए नहीं है।

 

आईवीएफ और पुरुष

फर्टिलिटी सिर्फ महिलाओं की समस्या नहीं है लगभग 30-50% फर्टिलिटी के मामले पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े होते हैं। हाल के दशकों में खराब लाइफस्टाइल, डाइट और पर्यावरणीय कारकों के कारण स्पर्म काउंट में काफी गिरावट आई है जोकि पिछले 46 वर्षों में 50% से अधिक है। यह गिरावट भारत सहित दुनियाभर में है, याद रहे कि पुरुष प्रजनन समस्याएं भी फर्टिलिटी की समस्या को बढ़ा सकती हैं। फर्टिलिटी की चुनौतियों का सामना करने वाले कपल्स को एक-दूसरे की हेल्थ और गर्भाधान प्रक्रिया में उनके रोल को अच्छी तरह समझना चाहिए। सिर्फ उम्र ही एकमात्र कारक नहीं है, स्पर्म काउंट, स्पर्म क्वालिटी और मोबिलिटी जैसे कारक भी आईवीएफ की सफलता को बहुत प्रभावित कर सकते हैं।

 

आईवीएफ पर जीवनशैली का प्रभाव

आपका लाइफस्टाइल कैसा है, आपकी हेल्थ कैसी है, यह ऐसे कारक हैं जो आईवीएफ की सफलता दर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यौन संचारित रोग (एसटीडी) प्रजनन क्षमता के लिए एक प्रमुख कारण हैं, विशेषकर जब यौन साथियों की संख्या बढ़ती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा, गर्भपात कराने से जटिलताएं हो सकती हैं, जो विशेष रूप से उन महिलाओं में फर्टिलिटी की संभावना बढ़ा देती हैं जिन्हें पहले गर्भ से संबंधित समस्याएं रही हैं। इसके साथ ही, मोटापा, धूम्रपान और अत्यधिक शराब पीने जैसी जीवनशैली से जुड़े कारक, जो आमतौर पर युवाओं में पाए जाते हैं, प्रजनन क्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं। मोटापा हार्मोनल असंतुलन और ओव्यूलेशन को बाधित कर सकता है, जबकि धूम्रपान अंडों की गुणवत्ता और स्पर्म काउंट को कम करने से जुड़ा हुआ है। इसी तरह, अत्यधिक शराब का सेवन पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

 

इस प्रकार फर्टिलिटी एक जटिल समस्या है जो दोनों कपल्स के स्वास्थ्य, जीवन शैली के चुनाव और आंतरिक स्वास्थ्य स्थिति से प्रभावित होती है। प्रजनन क्षमता के बारे में अच्छे से जानना और उम्र से जुड़े मिथकों को दूर करने से कपल्स को इस तकनीक का सही फायदा लेने में मदद मिल सकती है। डॉ. शीतल जिंदल - जिंदल आईवीएफ में सीनियर कंसल्टेंट और आईवीएफ-पीजीटी एक्सपर्ट


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Content Editor

Gaurav Tiwari

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