Auretics Limited ने CSIR-NRDC के साथ स्वास्थ्य सेवाओं में नवाचार को बदलने के लिए तकनीकी हस्तांतरण समझौता किया

punjabkesari.in Saturday, Jan 25, 2025 - 08:33 PM (IST)

गुड़गांव ब्यूरो : Auretics Limited ने औपचारिक रूप से वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के साथ एक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर एग्रीमेंट (ToT) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (NRDC) द्वारा सुगम बनाया गया। यह समझौता मुंबई के अंधेरी (पश्चिम) में स्थित CSIR-NIO रीजनल सेंटर कैंपस में आयोजित CSIR इनोवेशन कॉम्प्लेक्स, मुंबई (C-ICM) के उद्घाटन समारोह के दौरान किया गया। इस समझौते का मुख्य फोकस CSIR-IHBT, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश में विकसित हर्बल फार्मूलेशन पर है, जो कार्टिलेज निर्माण को बढ़ावा देने के लिए क्लीनिकली टेस्टेड है।

 

इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में प्रतिष्ठित हस्तियों ने शिरकत की, जिनमें शामिल थे:

• डॉ. जितेंद्र सिंह, माननीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) – मुख्य अतिथि

• डॉ. वी. के. सरस्वत, सदस्य, नीति आयोग

• डॉ. वी. के. पॉल, सदस्य, नीति आयोग

 

CSIR की महानिदेशक और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) की सचिव, डॉ. एन. कलैसेल्वी ने उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में उद्योग और विज्ञान के सहयोग की महत्ता पर जोर दिया।

 

कार्यक्रम में CEO, Auretics Limited, श्री अर्जुन गुप्ता ने कहा:

“यह समझौता Auretics के लिए एक ऐतिहासिक पल है और वैज्ञानिक संस्थानों और उद्योग के बीच सहयोग की शक्ति का प्रतीक है। इस नवाचारी हर्बल फार्मूलेशन को बाजार में लाकर, हमारा उद्देश्य है कि हम लाखों लोगों को जोड़ों और कार्टिलेज से जुड़ी समस्याओं के लिए एक प्राकृतिक और प्रभावी समाधान प्रदान करें। यह साझेदारी हमारे विज्ञान-आधारित नवाचारों के माध्यम से देशभर में जीवन सुधारने और वेलनेस को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।”

 

उन्होंने आगे कहा, “CSIR के एडवांस्ड रिसर्च और Auretics के एंटरप्रेन्योरियल दृष्टिकोण का संयोजन हमें भारत के हेल्थकेयर सेक्टर की चुनौतियों को दूर करने और नवाचार के माध्यम से विकास के नए अवसर बनाने में सक्षम बनाएगा।”

 

डॉ. अरविंद कुमार गुप्ता ने जोर देते हुए कहा:

“CSIR-IHBT द्वारा विकसित यह हर्बल फार्मूलेशन कार्टिलेज डिग्रेडेशन से निपटने में एक महत्वपूर्ण सफलता है। कठोर SOP-आधारित और क्लीनिकली परीक्षण किए गए अध्ययनों पर आधारित होने के कारण, यह उत्पाद अपनी प्रभावशीलता और सुरक्षा की गारंटी देता है। यह सहयोग केवल एक उत्पाद के बारे में नहीं है; यह भारत की वैज्ञानिक उत्कृष्टता को harness करके समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाले समाधान बनाने के बारे में है। हम इस परिवर्तनकारी यात्रा का हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “यह साझेदारी यह दर्शाती है कि विज्ञान और उद्योग कैसे मिलकर नवाचारी और सुलभ हेल्थकेयर समाधान प्रदान करके राष्ट्र की सेवा कर सकते हैं।”

 

यह साझेदारी देश के लिए कई लाभ लाएगी:

1. बेहतर स्वास्थ्य सेवा पहुंच: यह हर्बल फार्मूलेशन शुरुआती चरण के गठिया और जोड़ों की समस्याओं के लिए एक सस्ता, प्राकृतिक और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित उपचार प्रदान करेगा।

2. नवाचार को बढ़ावा: CSIR-IHBT के उन्नत शोध को उद्योग में स्थानांतरित करके, यह सहयोग स्वदेशी नवाचारों के व्यावसायीकरण को प्रोत्साहित करेगा।

3. आर्थिक वृद्धि: इस उत्पाद के विकास और वितरण से रोजगार के अवसर सृजित होंगे और देश की बढ़ती हेल्थकेयर अर्थव्यवस्था में योगदान मिलेगा।

यह समझौता परंपरागत ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को मिलाकर एक स्वस्थ भारत के दृष्टिकोण को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


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Content Editor

Gaurav Tiwari

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