आर्टेमिस ने सुरक्षित एवं एथिकल एस्थेटिक केयर पर परिचर्चा का आयोजन किया
punjabkesari.in Wednesday, Jul 16, 2025 - 08:25 PM (IST)

गुड़गांव ब्यूरो : विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस (15 जुलाई) के मौके पर आर्टेमिस हॉस्पिटल्स ने गुरुग्राम में ‘न्यू एज कॉस्मेटिक एंड एस्थेटिक वंडर्स’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया। इस चर्चा में त्वचा रोग, प्लास्टिक सर्जरी व स्त्री रोग विशेषज्ञों और डिजिटल मीडिया के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इस परिचर्चा को हल्के-फुल्के अंदाज के साथ खुशनुमा बनाने के लिए स्टैंडअप कॉमेडियन सुश्री हरिप्रिया उपस्थित रहीं। उन्होंने अपने चुटीले अंदाल से सभी को हंसने के लिए मजबूर कर दिया।
इसमें इस बात पर चर्चा हुई कि कैसे सुंदरता के मानक बदल रहे हैं, क्यों लोग कुछ खास लुक चुन रहे हैं, इलाज कराने वालों में पुरुषों की संख्या क्यों बढ़ रही है और सोशल मीडिया से प्रभावित ब्यूटी ट्रेंड्स की इस दुनिया में प्रशिक्षित मेडिकल परामर्श की क्यों जरूरत बढ़ गई है। आर्टेमिस हॉस्पिटल्स के सेल्स एवं मार्केटिंग प्रमुख असगर अली ने कहा, ‘प्लास्टिक सर्जरी एवं एस्थेटिक केयर आज की तारीख में सिर्फ शारीरिक सुंदरता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मेंटल वेलनेस, बॉडी कॉन्फिडेंस एवं इमोशनल रिकवरी का विस्तार है। आर्टेमिस में हमारा फोकस ऐसे नतीजे देना है, जो एथिक्स या सुरक्षा से समझौता किए बिना शारीरिक सौंदर्य एवं जीवन की गुणवत्ता, दोनों बढ़ाएं।’
चर्चा के दौरान आर्टेमिस हॉस्पिटल्स के विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप कुमार सिंह (हेड – कॉस्मेटिक एंड प्लास्टिक सर्जरी), डॉ. मोनिका बांबरू (हेड ऑफ डर्मेटोलॉजी), डॉ. रेनु आर. सहगल (चेयरपर्सन, ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी) और सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर अंशुल चौधरी उपस्थित रहे। एस्थेटिक ट्रीटमेंट अब सामान्य होते जा रहे हैं। इसमें मुंहासों के दाग हटाने और लिप फिलर्स से लकर राइनोप्लास्टी, स्किन बूस्टर्स एवं कॉस्मेटिक गायनेकोलॉजी तक शामिल हैं।
यह बात भी सामने आई कि पुरुषों में पीआरपी हेयर ट्रीटमेंट, बोटॉक्स और अंडर आई फिलर्स जैसे प्रोसिजर्स को अपनाने का ट्रेंड दिख रहा है। इस सत्र के दौरान कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट्स के मनोवैज्ञानिक पहलू पर भी बात की गई। विशेषज्ञों ने कहा, ‘कॉस्मेटिक केयर का लक्ष्य कभी परफेक्शन पाना नहीं होता है। यह अपना आत्मविश्वास पाने, कुछ समस्याओं को सही करने और खुद को महसूस करने की बात है। पोस्ट-प्रेग्नेंसी करेक्शन से लेकर मुंहासों के दाग मिटाने या एस्थेटिक करेक्शन तक, लोगों की पहुंच जिम्मेदार समाधानों (रेस्पॉन्सिबल सॉल्यूशन) तक आसान होनी चाहिए, जिसमें कोई पूर्वाग्रह न हो। इसमें मेडिकल विशेषज्ञता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, न कि मार्केट हाइप को।’
पैनल चर्चा के दौरान एस्थेटिक प्रोसिजर्स से संबंधित भ्रमों को दूर किया गया, खासकर सोशल मीडिया पर फैलाए जाने वाले भ्रमों को। विशेषज्ञों ने बताया कि ग्लूटाथियोन इंजेक्शन को आमतौर पर त्वचा का रंग निखारने के लिए प्रयोग में लाया जाता है, जिसे मूलत: लिवर केयर के लिए तैयार किया गया था। इसका प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में ही होना चाहिए। यह भी स्पष्ट किया गया कि ओरल कोलेजन सप्लीमेंट्स केवल सामान्य विटामिन्स व मिनरल्स होते हैं। इनमें कोई जादुई ताकत नहीं है, जो अचानक से त्वचा को निखार दे।
विमर्श के दौरान यह बात भी निकलकर सामने आई कि फिल्टर्स एवं डिजिटल तरीके से सुंदर बनाई हुई तस्वीरों ने सुंदरता के ऐसे मानक बना दिए हैं, जिनसे लोग असंभव की उम्मीद करने लगे हैं, विशेष रूप से किशोर एवं युवा। विशेषज्ञों ने सैलून पर या किसी बिना लाइसेंस वाले प्रैक्टिशनर से कॉस्मेटिक प्रोसिजर कराने को लेकर चेतावनी भी दी।