शहीद मेजर ध्रुव के पिता की सोच को सलाम- बहू को बेटी की तरह विदा करने की ख्वाहिश

punjabkesari.in Thursday, Dec 03, 2015 - 08:14 PM (IST)

गुडग़ांव (गौरव तिवारी/विशेष): देश पर जान न्यौछावर करने वाले मेजर ध्रुव यादव के माता-पिता जिसे कभी बहू बनाकर लाए थे, उसे अब बेटी की तरह विदा करना चाहते हैं। मेजर ध्रुव की पत्नी सुरभि को उनके पिता राजबीर यादव बहू की तरह नहीं बल्कि बेटी की तरह मानते हैं। वह कहते हैं, ‘‘मेरा बेटा शहीद होकर देश के काम आ गया। अब उसकी पत्नी को बड़ा काम करते हुए देखना चाहता हूं।’’ उनकी ख्वाहिश है कि जिस तरह बेटी नम्रता को विदा किया, उसी तरह सुरभि को बेटी बनाकर विदा करें।

देश के नाम जिंदगी
पोखरण में युद्ध अभ्यास के दौरान बीते 22 सितम्बर को दुर्घटनावश गोला फट गया था और उसकी चपेट में आकर मेजर ध्रुव की मौत हो गई थी। ध्रुव 32 साल के थे। उनके पिता ने बड़ी चाहत के साथ उन्हें देश की सेवा के लिए भेजा था। राजबीर कहते हैं, ‘‘ध्रुव बहुत ही नेक था। दोस्त, साथ काम करने वाले सभी उसका गुणगान करते रहते थे। धु्रव शुरू से ही आर्मी में जाना चाहता था। मुझे गर्व है कि मेरा बेटा देश की रक्षा के लिए गया और देश के लिए शहीद भी हुआ।’’

मास्टर ध्रुव से बड़ी उम्मीदें
मेजर ध्रुव के परिवार में मास्टर ध्रुव की किलकारियां गूंज रही हैं। मेजर की शहादत के समय पत्नी सुरभि गर्भवती थीं। 15 नवम्बर को बेटे का जन्म हुआ। मेजर के पिता रिटायर्ड विंग कमांडर राजबीर यादव, मां शालिनी, पत्नी सुरभि तीनों मास्टर ध्रुव के जन्म को लेकर यही मान रहे हैं कि मेजर ध्रुव ही वापस आ गए हैं। सभी का कहना है कि मास्टर ध्रुव भी देश की सेवा करेगा। मां शालिनी का कहना है कि धु्रव के जाने के बाद तो सब कुछ खत्म हो गया। पहले तो ऐसा लगता था कि जीवन अकेला है, लेकिन मास्टर धु्रव के जन्म के बाद से घर में फिर से रोशनी आई है। मास्टर ध्रुव में मेजर ध्रुव का बचपन नजर आ रहा है।

मां अब भी लिखती है चिट्ठी
मेजर ध्रुव शहीद हो गए हैं, लेकिन मां शालिनी अब भी उनके नाम से चिट्ठियां लिखती हैं। वह कहती हैं कि जब मास्टर ध्रुव बड़ा होगा तो ये चिट्ठियां पढ़ाएंगी ताकि उसको पता चल सके कि उसके पिता कैसे थे।

बूट और वर्दी की पूजा
गुडग़ांव के पालम विहार में रहने वाले यादव परिवार में पहुंचकर इस बात का अंदाजा मिलता है कि किस तरह से एक शहीद की पूजा होती है। घर में एक टेबल पर मेजर के बूट रखे हैं, जिन पर मां शालिनी पुष्प अर्पित करती है। वर्दी और फोटो को सजाकर दीया जलाया जाता है।

सुरभि बोलीं, हमारे बीच हैं ध्रुव
मेजर ध्रुव की पत्नी सुरभि कहती है, ‘‘जिंदगी तो आगे बढ़ेगी ही। मुझमें, मेरे बच्चे और परिवार के बीच ध्रुव हमेशा बने रहेंगे। मुझे ध्रुव की शहादत पर गर्व है।’’

सेना का सम्मान ही काफी
माता-पिता का कहना है कि ध्रुव के जाने के बाद उन्हें आर्मी से जो सम्मान मिला वह उससे खुश हैं। वे किसी तरह की फाइनैंशियल डिमांड नहीं रखना चाहते लेकिन वे इतना जरूर कहना चाहते हैं कि देश में आर्मी को लेकर जिस तरह की राजनीति कभी-कभी देखने को मिलती है, वह अच्छी नहीं। जो भी सरकार हो वह सेना के जवानों पर ध्यान दे, जिससे जवानों में कभी उत्साह कम न हो।


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