नई तकनीक से स्वास्थ्य सेवाओं में जमीनी स्तर पर आ रही क्रांति: शांतनु मिश्रा

punjabkesari.in Monday, Sep 25, 2023 - 09:00 PM (IST)

गुड़गांव, ब्यूरो: स्वास्थ्य सेवाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), इंटरनेट, डेटा प्रबंधन जैसी नई तकनीक के प्रयोग से भारत में दूरदराज के गांवों में रहने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। एआई तकनीक का उपयोग करके, स्वास्थ्य सेवाएं अब दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी आसानी से उपलब्ध हो रही हैं। इससे प्राथमिक देखभाल की गुणवत्ता में काफी सुधार देखने को मिल रहा है। नई तकनीकों में स्वास्थ्य देखभाल संबंधी असमानताओं को कम करने और दूरदराज के समुदायों में समग्र स्वास्थ्य परिणामों में उल्लेखनीय सुधार करने की क्षमता है।

 

स्माइल फाउंडेशन की एल.ई.ए.डी. (सीखें, संलग्न करें, संरेखित करें, वितरित करें) ने हाल ही में नई दिल्ली में सम्पन्न हुए तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में इस बात पर जोर दिया कि कैसे मोबाइल हेल्थकेयर सिस्टम और प्रौद्योगिकियों के सही उपयोग से लाखों लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाया जा सकता है और उन्हें विभिन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों और योजनाओं में मुख्यधारा में ला सकता है।

 

स्माइल फाउंडेशन के सह-संस्थापक और कार्यकारी ट्रस्टी शांतनु मिश्रा का कहना है, “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित व्यावहारिक तकनीक को अपनाने से स्वास्थ्य सेवाओं को ग्रामीण और दूर दराज़ के क्षेत्रों में आसानी से पहुंचाया जा सकता है। नई तकनीक में विशेष रूप से मुख्यधारा से दूर रहने वाली आबादी के लिए चिकित्सा विशेषज्ञता की उपलब्धता सुनिश्चित करके समानता लाने की क्षमता है। निकट भविष्य में, एआई-संचालित मोबाइल हेल्थकेयर सिस्टम और टेली-मेडिसिन तंत्र के साथ, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को भी गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त हो, जो अंततः समग्र स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के सरकारी मिशन का पूरक होगा।"

 

शांतनु मिश्रा का कहना है कि तकनीक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता की भौगोलिक सीमाओं को खत्म कर सकती है और वंचित आबादी द्वारा अनुभव की जाने वाली स्वास्थ्य देखभाल संबंधी असमानताओं को दूर कर सकती है। यह वाकई में एक गेम-चेंजर का काम कर रही है। स्माइल फाउंडेशन वर्तमान में 83 स्वास्थ्य देखभाल परियोजनाओं का संचालन कर रहा है जिसमें इसकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल पहल स्माइल ऑन व्हील्स के तहत मोबाइल मेडिकल यूनिट, मोबाइल टेलीमेडिसिन यूनिट, मोबाइल डेंटल यूनिट, स्टेटिक क्लीनिक और मोबाइल फिजियो यूनिट शामिल हैं। इसमें 15 भारतीय राज्यों के 17 महत्वाकांक्षी जिलों सहित 63 जिलों के 920 गांवों और शहरी मलिन बस्तियों को शामिल किया गया है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, स्माइल ऑन व्हील्स के तहत दस लाख से अधिक लाभार्थियों को उनके दरवाजे पर प्राथमिक और निवारक स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हुईं।

 

वैश्विक स्वास्थ्य सेवा बाजार में AI के 2023 में 14.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2028 तक 102.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है। NASSCOM (नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज) के अनुसार, स्वास्थ्य सेवा में डेटा और AI में लगभग 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर जोड़ने की क्षमता है। भारतीय एआई हेल्थकेयर मार्केट 2019-2025 रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वानुमान अवधि के दौरान भारतीय हेल्थकेयर उद्योग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता 50.9 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ने का अनुमान है। एआई तकनीक और डेटा प्रबंधन का उपयोग करके, मोबाइल हेल्थकेयर सिस्टम दूरदराज के स्थानों में भी रोगियों का कुशलतापूर्वक निदान और उपचार कर सकता है, इस प्रकार जीवन-घातक स्थितियों की समय रहते रोकथाम की जा सकती है। नई तकनीक में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा वितरण में क्रांति लाने और पहुंच के मामले में शहरी और दूरदराज के समुदायों के बीच अंतर को पाटने की शक्ति है।

 

रिपोर्ट की माने तो नीति आयोग मधुमेह की जटिलताओं का शीघ्र पता लगाने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में एआई के अनुप्रयोग की व्यवहारिकता की जांच पर ज़ोर दे रहा है, और वर्तमान में रेटिना विशेषज्ञों की नैदानिक सटीकता के साथ इसकी निदान सटीकता की तुलना करके, आंखों की देखभाल में एक स्क्रीनिंग टूल के रूप में एआई के उपयोग को मान्यता दे रहा है।


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Content Editor

Gaurav Tiwari

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