गड्ढा खोदकर एक साथ जिन्दा दफना दिए 30 हजार मुर्गे-मुर्गियां, ऐसा न करते तो हालात बिगड़ जाते
punjabkesari.in Friday, Mar 27, 2020 - 07:50 PM (IST)
भिवानी: हरियाणा के भिवानी में एक अलग तरह का मामला सामने आया है। कोरोना वायरस के कारण पहले चिकन यानि मुर्गे के मीट के दाम गिरे तो फिर 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद व्यापार पूरी तरह से बंद हो गया। ऐसे में अब मुर्गी फार्म संचालकों ने हाथ खड़े कर दिए हैं और वे खुद को फार्म में पल रहे मुर्गों को दाना खिलाने के लिए सक्षम नहीं बता रहे हैं। आलम ये है कि भिवानी के ढिगावा में मुर्गी फार्म संचालक ने 30,000 मुर्गियों को जिंदा दफना दिया। मुर्गी फार्म ने बताया कि इससे उन्हें लाखों रुपये का नुकसान हुआ है।
व्यापार ठप होने के कारण मुर्गियों को डालने के लिए फीड नहीं मिल रहा है। मुर्गियां 25 से 30 दिन की हो चुकी थी जिनका वजन 1000 से 1500 ग्राम हो गया था। कोई खरीदार नहीं था तो इनकी सप्लाई भी अब कहीं नहीं हो सकती थी। क्योंकि होटल समेत सब कुछ बंद है। ऐसे में ऐसा करना पड़ा है। इस मंजर को जिसने भी देखा वो चर्चा करने में जुटा है।
बता दें कि चिकन खाने से कोरोना फैल सकता है, इस तरह की अफवाहें सोशल मीडिया पर खूब चलीं। अफवाहों का असर ये हुआ कि लोगों ने चिकन खाना बंद कर दिया। जिसके कारण चिकन के भाव लगातार गिरते गए। फार्म संचालक इस हालत को लेकर बेहद चिंतित थे। इसके बाद 25 मार्च को पीएम मोदी ने देशभर में लॉकडाउन की घोषणा कर दी। ऐसे में मुर्गे फार्मों में ही कैद होकर रह गए।
फार्म संचालकों ने कहा अगर मुर्गों को नहीं दफनाते तो ये भूख से ही मर जाते। इसके कारण दुर्गंध भी फैलती और इसके कारण बीमारी भी फैलने का भय बना रहता। इसलिए मुर्गों को जमीन में दफनाने का फैसला लिया। दरअसल ये मामला केवल अब भिवानी तक सीमित नहीं है, बल्कि देशभर में अब यही स्थिति बनती जा रही है। वहीं मुर्गों के दाम गिरने से मछली और बकरे के मांस की डिमांड बढ़ गई थी। अंडों के दाम भी गिरने लगे थे। लॉकडाउन के बाद कहीं भी अब मांस की बिक्री नहीं हो रही है। ऐसे में मांस से जुड़ा कारोबार करने वाले लोग बुरी तरह से प्रभावित है।
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