CORONA: हरियाणा में सिर्फ 5 शवों का हुआ पोस्टमार्टम, पंजाब और हिमाचल में ऐसे ही सौंप दिए शव

punjabkesari.in Thursday, Aug 06, 2020 - 03:53 PM (IST)

डेस्कः उत्तरी भारत के दो राज्यों हिमाचल और पंजाब में कोरोना वायरस से हुई 483 मरीजों की मौत के बाद उनके शवों का पोस्टमार्टम नहीं करवाया गया है। हरियाणा की बात करें तो 448 लोगों की मौत कोरोना से हुई और केवल 5 लोगों के शवों का ही पोस्टमार्टम हुआ है, जिसके चलते कोरोना से हुई मौत के असली कारणों को जानना देश के शोधकत्र्ताओं के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। दूसरे देशों की बात करें तो वहां पर सैंपङ्क्षलग के तौर पर पोस्टमार्टम करवाए जा रहे हैं और यह भी शोध किया जा रहा है कि कोरोना वायरस कैसे मानव शरीर को प्रभावित कर उसे मौत की नींद सुला देता है।

पोस्टमार्टम को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाइडलाइंस भी तैयार कर रखी हैं, लेकिन इनके मुताबिक विशेष परिस्थितियों में भी कोरोना के मृतकों का पोस्टमार्टम नहीं किया जा रहा है। ऐसे में कोरोना के खिलाफ यदि लंबी लड़ाई लडऩी पड़ी तो तीनों राज्यों के पास कोई ऐसी स्टडी भी नहीं है जिसके आधार पर कोरोना के गंभीर मरीजों को बचाया जा सके। पंजाब केसरी ने इन तीनों राज्यों के 56 जिलों में एक सर्वे करवाया है जोकि पोस्टमार्टम न करवाने पर राज्य के स्वास्थ्य विभागों पर सवालिया निशान लगाता है।


पोस्टमार्टम को लेकर ये थीं गाइडलाइन्स
स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन्स के मुताबिक अगर विशेष परिस्थितियों में कोरोना वायरस के कारण किसी व्यक्ति की मौत होती है तो उसका पोस्टमार्टम करते समय इन बातों का ध्यान रखा जाए -

  •  पोस्टमार्टम से परहेज किया जाना चाहिए, लेकिन यदि खास कारणों से पोस्टमार्टम करवाना पड़े तो पोस्टमार्टम टीम को इंफैक्शन नियंत्रण की अच्छी तरह से ट्रेङ्क्षनग दी जानी चाहिए। 
  •   पोस्टमार्टम रूम में फॉरैंसिक और सहायक अमले की संख्या सीमित होनी चाहिए।
  •   टीम को पी.पी.ई. किट्स का उपयोग करना चाहिए।
  •    पोस्टमार्टम प्रक्रिया के बाद शब को 1 फीसदी सोडियम हाइपोक्लोराइड से विषाणुमुक्त किया जाना चाहिए। बैग की बाहरी सतह को भी 1 फीसदी सोडियम हाइपोक्लोराइड से विषाणुमुक्त किया जाना चाहिए।
  •   उसके बाद मृतक देह रिश्तेदारों को दी जा सकती है।

आई.सी.एम.आर. की  गाइडलाइन्स 
कोविड-19 से मरने वाले लोगों में फॉरैेंसिक पोस्टमार्टम के लिए चीर-फाड़ करने वाली तकनीक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे पोस्टमार्टम रूम के कर्मचारियों के अत्यधिक एहतियात बरतने के बावजूद शरीर में मौजूद द्रव तथा किसी तरह के स्राव के संपर्क में आने से इस जानलेवा रोग की चपेट में आने का खतरा हो सकता है। 
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आई.सी. एम.आर.) ने भारत में कोविड-19 मौतों में चिकित्सा-विधान के लिए मानक दिशा-निर्देशों  में यह जानकारी देने के साथ ही कहा है, ‘‘इससे शव के निस्तारण में डॉक्टरों, पोस्टमार्टम रूम के कर्मचारियों, पुलिसकर्मियों और अन्य सभी लोगों में संक्रमण फैलने से रुकेगा।’’

एम्स के डॉक्टर पोस्टमार्टम कर करेंगे अध्ययन
एम्स के डॉक्टर कोविड-19 से मरने वालों का पोस्टमार्टम कर अध्ययन करने बारे विचार कर रहे हैं कि किसी शव में कोरोना वायरस संक्रमण कितने समय तक रह सकता है। दिल्ली के अस्पताल के फॉरैंसिक प्रमुख डॉ. सुधीर गुप्ता के मुताबिक इस अध्ययन से यह पता लगाने में भी मदद मिलेगी कि वायरस कैसे मानव अंगों पर असर डालता है। इस अध्ययन में रोग विज्ञान और अणुजीव विज्ञान जैसे कई और विभाग भी शामिल होंगे।

डॉ. गुप्ता के मुताबिक, ‘‘यह अपने आप में पहला अध्ययन होगा और इसलिए सावधानीपूर्वक इसकी योजना बनानी होगी। इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि वायरस शरीर पर क्या असर डालता है। साथ ही इससे यह भी पता चलने में मदद मिलेगी कि कोरोना वायरस किसी मृत शरीर में कितने समय तक रह सकता है।’’ 
अभी तक मौजूद वैज्ञानिक साहित्य के अनुसार किसी शव में वायरस धीरे-धीरे खत्म होता है लेकिन अभी शव को संक्रमण मुक्त घोषित करने के लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं है।उत्तरी इटली में 

अध्ययन के लिए 38  लोगों का पोस्टमार्टम
ब्रिटिश चिकित्सा पत्रिका द लासैंट में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक उत्तरी इटली में 29 फरवरी से 24 मार्च के बीच कोविड-19 से मरने वाले 38 लोगों का पोस्टमार्टम कर मौत के कारणों की जांच की गई।  सभी मामलों में कोशिका जमाव (कैपिलरी कांंजैक्शन), नैक्रोसिस ऑफ न्यूमोसाइट्स, कॉमन रहा। इसके अलावा 33 मामलों में हायलाइन मैंबरैंस, 37 में इन्टॢस्टशल एंड इंट्रा-ऐल्वीअलर ओडिमा, सभी मामलों में टाइप-2 न्यूमोसाइट हाइप्रप्लेसिया और 21 मामलों में स्क्वेमस मैटाप्लेसिया विद एटाइपिया फाइंडिग्स पाई गईं।  


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Isha

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