Delhi Blast: अल फलाह यूनिवर्सिटी को इन देशों से होती है फंडिंग, 70 एकड़ के विशाल कैंपस को छान रही जांच एजेंसियां

punjabkesari.in Thursday, Nov 13, 2025 - 12:05 PM (IST)

फरीदाबाद: दिल्ली स्थित लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास सोमवार शाम को हुए कार धमाके में मरने वालों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। सूत्रों ने बताया कि ब्लास्ट किसी बड़ी साजिश का हिस्सा था। मामले में गिरफ्तार 8 आतंकियों से शुरूआती पूछताछ में ऐसे संकेत मिले हैं कि कई बड़े शहरों में सीरियल ब्लास्ट की साजिश थी। वहीं मामले में नया खुलासा हुआ है।

वहीं फरीदाबाद के मुस्लिम बहुल गांव धौज में बनी अल फलाह यूनिवर्सिटी के टेरर मॉड्यूल से जुड़े डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद फंडिंग, प्रबंधन और कैंपस कल्चर पर सवाल खड़े हो गए हैं। जांच एजेंसियां अब यूनिवर्सिटी के 70 एकड़ के विशाल कैंपस को छान रही हैं। एजेंसियां को शक है कि यह यूनिवर्सिटी शिक्षा के नाम पर रेडिकलाइजेशन का सेंटर बनी है।

 
कैंपस में 800 बेड का सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल भी है, जो 1997 में छोटे डिस्पेंसरी से शुरू हुआ। यहां मरीजों का मुफ्त इलाज होता है। अब यह अस्पताल और लैब्स जांच के केंद्र में हैं, क्योंकि संदेह है कि यहां विस्फोटक बनाने के लिए सामग्री का दुरुपयोग हुआ। यूनिवर्सिटी को दिल्ली के ओखला में रजिस्टर्ड अल-फला चैरिटेबल ट्रस्ट चलाता है।

 
विवादों व जांच के दायरे में आने 4 दिन बाद यूनिवर्सिटी की ओर से आधिकारिक तौर पर बयान जारी कर सफाई दी गई। यूनिवर्सिटी की उपकुलपति प्रो. भुपिंदर कौर आनंद की तरफ से बयान जारी किया गया। जिसमें कहा-पता चला है कि हमारे दो डॉक्टरों को जांच एजेंसियों द्वारा हिरासत में लिया गया है। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यूनिवर्सिटी का इन व्यक्तियों से कोई संबंध नहीं है, सिवाय इसके कि वे यूनिवर्सिटी में अपनी आधिकारिक भूमिकाओं में कार्यरत थे।

वहीं पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ है कि आतंकी माड्यूल कई महीनों से मुंबई के 26/11 हमले जैसे बड़े धमाकों की प्लानिंग कर रहा था। यह साजिश जनवरी 2025 से चल रही थी। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा, शोपियां और अनंतनाग के रैडिकलाइज्ड युवा डॉक्टरों ने व्हाइट कॉलर कवर के तहत फरीदाबाद में बेस बनाया। इनका मकसद था कोई संदेह न हो क्योंकि डॉक्टरों का प्रोफेशन उन्हें आसानी से एनसीआर में घूमने- फिरने की आजादी देता है।

विस्फोटक छिपाने के लिए धौज और फतेहपुर तागा में ऐसे कमरे तलाशे गए, जहां बेरोक-टोक जाया जा सके। यहां शक की गुंजाइश भी कम थी। धौज और फतेहपुर तागा क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य हैं। जांच एजेंसियां इस एंगल से भी जांच कर रही हैं कि कहीं दिल्ली-एनसीआर में 26 नवंबर (26/11) के आसपास तो हमले की साजिश नहीं थी?

 
आतंकियों ने दिल्ली-एनसीआर में आसानी से मूवमेंट करने के लिए जानबूझ कर गुरुग्राम नंबर की आई-20 कार खरीदी। जिसे आरोपियों ने साजिश की मोबाइल लैब बना लिया और इसी से विस्फोटक दिल्ली लाया गया। पूरी साजिश का केंद्र धौज में अल-फलाह यूनिवर्सिटी रहा। शिक्षा का केंद्र होने की वजह से इस पर शक की गुंजाइश कम थी। पकड़े गए आरोपी मेडिकल प्रोफेशन से हैं।

 
इसके अलावा बुधवार देर शाम को फरीदाबाद में राउंड अप की गई संदिग्ध इको स्पोर्ट्स डीएल10सीके-0458 नंबर की लाल रंग गाड़ी की रातभर जांच चलती रही। मौके पर एनआईए और एनएसजी समेत दिल्ली से केंद्रीय एजेंसियां जांच के लिए पहुंची हैं। बम स्क्वायड और खोजी कुत्ते भी बुलाए गए। हालांकि, गुरुवार सुबह तक भी उस गाड़ी को खंदावली गांव से नहीं ले जाया गया। ग्रामीणों के अनुसार, यह कार मंगलवार शाम से यहां खड़ी थी। गांव से एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया। पुलिस को इस कार में विस्फोटक होने का शक था, इसलिए इस गाड़ी को लेकर हरियाणा और यूपी में अलर्ट जारी किया गया था।

 

इन प्रमुख स्थानों पर हमले की तैयारी में थे आतंकी
पुलिस के अनुसार, मॉड्यूल ने 200 से अधिक शक्तिशाली आईईडी तैयार करने की योजना बनाई थी, जो दिल्ली, गुरुग्राम और फरीदाबाद के हाई-प्रोफाइल टारगेट्स पर एक साथ इस्तेमाल होते। टारगेट्स में लाल किला, इंडिया गेट, कांस्टीट्यूशन क्लब, गौरी शंकर मंदिर, प्रमुख रेलवे स्टेशन और मॉल्स शामिल थे। खासतौर पर धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने की प्लानिंग थी, ताकि साम्प्रदायिक तनाव भड़क सके।


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Content Writer

Isha

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