हरियाणा का एक ऐसा सरकारी स्कूल जहां 10वीं में 3 साल से कोई नहीं हुआ पास

punjabkesari.in Wednesday, May 31, 2017 - 01:04 PM (IST)

जींद (विजेंदर कुमार):देश की राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में जहां इस बार रिजल्ट काफी अच्छा रहा। वहीं, जींद के गांव सिल्लाखेड़ी का राजकीय उच्च विद्यालय का 10वीं का रिजल्ट बिल्कुल जीरो रहा। जी हां, इस कक्षा में कुल 20 बच्चे थे और सभी के सभी फेल हो गए हैं। स्कूल की लड़कियां इसके लिए टीचरों को जिम्मेवार ठहरा रही है। लड़कियों का कहना है कि टीचर उन्हें अच्छे से पढ़ाते नहीं है, जिसके चलते पूरी क्लास फेल हो गई है। वहीं कुछ छात्रों ने टीचरों की कमी को भी इसका एक कारण माना है।
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बच्चों का कहना है कि स्कूल में मास्टरों की कमी है जिसकी वजह से एक भी बच्चा पास नहीं हो पाया है। जीरो रिजल्ट आने पर जींद का जिला शिक्षा अधिकारी विभाग हरकत में आ गया है और जिम्मेवारी शिक्षकों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की बात कह रहा है। 
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साईंस व हिन्दी का कोई टीचर नहीं, इसलिए आया जीरो रिजल्ट
वहीं दूसरी ओर स्कूल प्रशासन का कहना है कि यहां टीचरों की काफी कमी हैं। 7 पद खाली पड़े हैं। साईंस और हिन्दी का कोई टीचर नहीं हैं जिसकी वजह से इन दोनों विषयों में बच्चे फेल हुए, जिसकी वजह से जीरो रिजल्ट आया। स्कूल प्रशासन का यह भी कहना है कि अगर पद पूरे भरे होते तो रिजल्ट काफी अच्छा आता। सरकार लाखों रुपए सरकारी स्कूलों पर खर्च करती है। टीचरों को खूब तनख्वाह मिलती है। उसके बाद भी अगर पूरी की पूरी क्लास फेल हो जाए तो यह उन टीचरों के लिए शर्म की बात है। गांव की सरपंच का कहना है कि यहां टीचरों की जो कमी है उसकी मांग करेंगी। 
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जिला शिक्षा अधिकारी वंदना गुप्ता का कहना है कि उन्होंने इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी से बात की है। पता चला है कि टीचरों में आपसी तालमेल की कमी है। उन्होंने कहा कि जो खराब रिजल्ट आया है उसके लिए संबंधित टीचरों ​​के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। आगे से ऐसा रिजल्ट नहीं आए ऐसी उनकी पूरी कोशिश रहेगी।
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2015-2016 में भी 10वीं कक्षा के सभी बच्चे थे फेल
जींद के सिलाखेड़ी गांव के इस सरकारी स्कूल में ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि पूरी की पूरी क्लास फेल हो गई है बल्कि इससे पहले भी दो बार पूरी की पूरी क्लास फेल हो चुकी है। 2015-2016 में 10वीं कक्षा में कुल 15 बच्चे थे। सभी के सभी फेल हो गए थे। उससे पहले 2014-2015 में दसवीं कक्षा में 22 बच्चें थे। इन 22 बच्चों में से भी एक भी बच्चा पास नहीं हो पाया था। 
 


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